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टेलीकॉम बिल में आखिर क्या है “रेग्युलेटरी सैंडबॉक्स”
सरकार इस नए टेलीकम्युनिकेशन बिल में पहली बार ये व्यवस्था करने जा रही है. इसके तहत किसी भी तरह के सिग्नल या तकनीक के परीक्षण के लिए सरकार किसी भी कंपनी को एक विशेष एरिया चयन करके देगी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
टेलीकॉम मंत्रालय के नए टेलीकम्युनिकेशन बिल में सरकार एक नई व्यवस्था रेग्युलेटरी सैंडबॉक्स शुरु करने जा रही है. रेग्युलेटरी सैंडबॉक्स एक ऐसी व्यवस्था है,जिसके तहत अब किसी भी कंपनी के सिग्नल टेस्टिंग के लिए एक विशेष एरिया की व्यवस्था की जा सकेगी. जहां अलग-अलग कंपनियां अपनी नई टेक्नोलॉजी के परीक्षण कर सकेंगी.
क्या होगा इस नई व्यवस्था में
सरकार इस नए टेलीकम्युनिकेशन बिल में पहली बार ये व्यवस्था करने जा रही है. इसके तहत किसी भी तरह के सिग्नल या तकनीक के परीक्षण के लिए सरकार किसी भी कंपनी को एक विशेष एरिया चयन करके देगी. इस नई व्यवस्था के बारे में बताते हुए केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस नई व्यवस्था के तहत अब किसी भी कंपनी को एक वर्ग किलोमीटर का एरिया दे सकेगी. जहां वो कंपनी अपनी नई तकनीक का परीक्षण कर सकेगी
पहली बार की गई है ऐसी व्यवस्था
हमारे देश में अभी तक टेलीग्राफ एक्ट चला आ रहा है, जिसमें इस तरह का कोई भी प्रावधान नहीं है. मौजूदा समय में अगर किसी कंपनी को ऐसी जांच करनी होती है तो उसके लिए विशेष एरिया को दे पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है. लेकिन अब इसका प्रावधान बिल में होने के कारण ये काम आसानी से हो जाएगा.
इससे शुरू हो सकेगी नई तकनीक
इस व्यवस्था के लागू होने के बाद देश में नई तकनीकों को लाने में आसानी होगी. क्योंकि उनका एक तय समय में सही तरीके से परीक्षण हो जाएगा. मौजूदा समय में परीक्षण के लिए जगह न मिल पाने के कारण उनका प्रयोग नहीं हो पाता है. जिसके चलते उन्हें लाने में देरी हो जाती है या वो आ ही नहीं पाती है.
नए रोजगार को भी मिलेगा ज़ोर
इस रेग्युलेटरी सैंडबॉक्स व्यवस्था के आने के बाद नए रोज़गार भी बढ़ेंगे . क्योंकि जब नई तकनीक आएगी या उनका परीक्षण होगा तो उसके लिए मैनपावर की जरूरत होगी, जिससे तकनीक से जुड़े बेरोजगार लोगों को नए अवसर मिल जाएंगे.
नए स्टार्टअप भी आ सकेंगे
इस रेग्यूलेटरी सैंडबॉक्स की व्यवस्था के आने के बाद नए स्टार्टअप को भी मौका मिल पाएगा. अभी कई स्टार्टअप इसलिए शुरू नहीं हो पाते हैं, क्योंकि हमारे देश में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां नई तकनीकों का परीक्षण हो सके. लेकिन इस व्यवस्था के आने के बाद ये सबकुछ हो पाएगा.
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