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डिफॉल्टरों की सूचना देने वालों को मिलेगा इनाम, SEBI जल्द निकाल सकता है योजना
SEBI के डाटा के अनुसार देश में 446 ऐसे डिफॉल्टर हैं जिनका पिछले लंबे समय से कोई पता नहीं है और न ही उनकी संपत्ति की कोई जानकारी मिल पा रही है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
अब पुलिस की तर्ज पर सेबी भी रकम न चुकाने वाले डिफॉल्टरों को पकड़ने के लिए इनाम योजना चलाने की तैयार कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) सूचना देने वालों के लिए एक इनाम योजना शुरू करने की प्रक्रिया में है, जो अलग-अलग मामलों के डिफॉल्टर अपराधियों से जुर्माना वसूलने में मदद करेगा.
जल्द हो सकती है औपचारिक घोषणा
SEBI में इस मामले पर 20 दिसंबर को हुई एक बैठक के दौरान विचार-विमर्श किया गया और इसे मंजूरी दे दी गई है. SEBI ने अभी तक औपचारिक रूप से इस योजना की घोषणा नहीं की है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बोर्ड मीटिंग के तहत सूचना देने वाले हर शख्स को प्रति मामला 20 लाख रुपये तक या कर्ज की वसूली की गई राशि का 10 प्रतिशत, इनमें से जो भी कम हो, तक का मुआवजा देने की योजना बनाई है. इसके अतिरिक्त, मुखबिर 5 लाख रुपये तक की अंतरिम इनाम के लिए योग्य माने जाएंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि SEBI मुखबिरों की पहचान को भी गोपनीय बनाए रखेगा.
446 डिफॉल्टरों का नहीं चला है पता
SEBI के डेटा से पता चलता है कि 446 मामले ऐसे हैं जिनमें डिफॉल्टर्स का पता नहीं लगाया जा सका है. उनकी या तो कंपनियां बंद हो गई हैं, या कुर्की योग्य संपत्तियों के बारे में अपर्याप्त जानकारी है. जबकि इनसे अनुमानित $1,939 करोड़ रूपये की वसूली होनी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 'रिकवरी प्रोसीडिंग्स के दौरान कुछ मामलों में यह देखा गया है कि इनसॉल्वेंसी, बकाये की वसूली पर रोक, डिफॉल्टर का पता नहीं चल पाने आदि जैसे कई कारणों से रकम बकाया रह जाती है. उन मामलों को जिनमें वसूली के लिए सभी संभावित स्टेप को पूरा करने के बाद भी बकाया वसूल नहीं किया जा सकता है. इस पॉलिसी के जरिए उन्हें डीटीआर (वसूली करना मुश्किल) कैटेगिरी में बदला जा सकेगा. हर बार जब SEBI धन की वसूली या जुर्माना लगाने का प्रयास करने वाली पार्टी के खिलाफ आदेश देता है, तो वह वसूली प्रमाणपत्र जारी करता है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि SEBI के अधिकारी बैंकों, स्टॉक एक्सचेंजों और डिपॉजिटरी को वसूली प्रक्रिया शुरू करने के लिए कह सकते हैं. इसने ऐसे कई मामलों में अभी भी ये वसूली प्रमाणपत्र जारी किए हैं जहां यह जुर्माना वसूल करने में असमर्थ रहा है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कथित अपराधी का या तो पता नहीं चल पा रहा है या वो दिवालिया होने की घोषणा कर चुका होता है. विभिन्न न्यायालयों द्वारा समय-समय पर वसूली पर स्थगन आदेश दिया गया है. यदि ये स्थगन आदेश काफी समय तक रहता है, तो SEBI इन शुल्कों को डीटीआर के रूप में भी वर्गीकृत करता है.
IEPF से दिया जाएगा मुआवजा
नियामक इन सूचनाओं की भरपाई करना चाहता है. नियामक इन मुखबिरों को निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (आईईपीएफ) से मुआवजा देना चाहता है, एक ऐसा कोष जिसे SEBI विभिन्न निवेशक संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने वाली पहलों के लिए प्रबंधित करता है.
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