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रूस से सस्ता तेल लेने के लिए सरकार ने निकाला नया रास्ता, क्या होगी अरबों की बचत?
यूक्रेन युद्ध के बाद भारत को रूस से प्रति बैरल 8 डॉलर की छूट मिल रही थी, लेकिन हाल के दिनों में यह छूट काफी कम हो गई है. अब सरकार अधिक डिस्काउंट लेने के लिए नया रास्ता निकाला है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 3 weeks ago
यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल (Oil) के आयात पर पाबंदी लगा दी थी. ऐसे में रूस ने भारत को डिस्काउंट पर तेल बेचना शुरू कर दिया था. भारत को प्रति बैरल 10 डॉलर तक की छूट मिल रही थी. लेकिन अब उसने डिस्काउंट काफी कम कर दिया है. जानकारी के अनुसार ग्लोबल प्राइस के मुकाबले रूसी तेल पर डिस्काउंट अब 4 डॉलर के करीब आ गया है. वहीं, रूस अब ज्यादा डिस्काउंट देने को तैयार नहीं है. इस बीच सरकार ने सस्ता तेल पाने के लिए एक नया रास्ता निकाल लिया है.
सरकारी कंपनियों के साथ मिलकर रूस से डील करेगी रिलायंस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार ने रूस से तेल पर डिस्काउंट बढ़ाने के लिए सरकारी तेल कंपनियों और रिलायंस इंडस्ट्रीज को साथ मिलकर लॉन्ग टर्म सप्लाई डील करने को कहा है. सरकार चाहती है कि देश की रिफाइनरीज कम से कम एक तिहाई तेल का आयात रूस से एक फिक्स कीमत पर करें. इससे देश को तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाया जा सकेगा. सरकारी कंपनियां हर बैरल पर 5 डॉलर से अधिक डिस्काउंट चाहती हैं, लेकिन रूसी सरकार केवल 3 डॉलर की छूट दे रही है. इंडियन ऑयल ने रूस के साथ लॉन्ग टर्म सप्लाई डील की थी, लेकिन वह मार्च में खत्म हो गई.
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कही ये बात
पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि भारतीय तेल कंपनियों को रूस से ज्यादा से ज्यादा डिस्काउंट पाने के लिए मोलभाव करना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है. देश में रोजाना 50 लाख बैरल तेल की खपत होती है. ऐसे में भारत दुनिया के ऑयल मार्केट के लिए काफी अहम है. अगर भारत की कंपनियां रूस से डिस्काउंट लेने के लिए हाथ मिलाती है, तो इसमें किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए. ICRA की रिपोर्ट के अनुसार रूसी डिस्काउंट के कारण भारत को फाइनेंशियल ईयर 2023 में करीब 5.1 अरब डॉलर की बचत हुई थी, जबकि 2024 में उसे 7.9 अरब डॉलर की बचत हुई.
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आयल इंपोर्ट का खर्च बढ़ा
अप्रैल में क्रूड ऑयल इंपोर्ट में 7 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हुई. इसके लिए खर्च एक साल पहले के मुकाबले 19 प्रतिशत बढ़ गया. पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में इंपोर्ट पर 13 अरब डॉलर (1 लाख 8 हजार 580 करोड़ रुपये) खर्च करने पड़े. अप्रैल 2023 में क्रूड का इंपोर्ट बिल 10.9 अरब डॉलर था. ऑयल बिल बढ़ने में रूसी तेल पर डिस्काउंट घटने का बड़ा हाथ रहा. अप्रैल में ब्रेंट क्रूड की औसत ग्लोबल कीमत 90.2 डॉलर प्रति बैरल रही, जो सालभर पहले 85.5 डॉलर प्रति बैरल थी. अप्रैल में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की खपत 1.99 करोड़ टन रही, जो सालभर पहले इसी महीने के मुकाबले 6.1 प्रतिशत अधिक है. अप्रैल में क्रूड ऑयल के इंपोर्ट पर निर्भरता 88.4 प्रतिशत रही.
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