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अप्रैल से लेकर नवंबर के बीच इतना रहा राजकोषीय घाटा, जानिए पिछले साल से कम है या ज्यादा
इस साल बजट भाषण के दौरान केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि इस साल वित्तीय घाटे के 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
भारत सरकार ने देश की वित्तीय स्थिति को सामने लाने वाले कुछ आंकड़े जारी किए हैं. सरकार के अनुसार अप्रैल से लेकर नवंबर के बीच देश का राजकोषीय घाटा 50.9 प्रतिशत यानी 9.07 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया है. जबकि अगर इसकी पिछले साल के वित्तीय घाटे से तुलना करें तो ये 58.9 प्रतिशत था. यानी से पिछले साल से लगभग 8 प्रतिशत कम था.
अप्रैल से लेकर नवंबर तक इतनी रही आय
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर अप्रैल से लेकर नवंबर तक की आय के आंकड़ों पर नजर डालें तो शुद्ध कर राजस्व 14.36 ट्रिलियन रुपये रहा है. ये वार्षिक अनुमान का कोई 62 प्रतिशत रहा है. अगर पिछले साल की आय में नजर डालें तो पिछले साल देश की अप्रैल से लेकर नवंबर तक की आय 12.25 ट्रिलियन रुपये रही थी. वित्तिय घाटा सरकार की आय और व्यय के बीच के अंतर को दिखाता है. वहीं अगर इस अवधि के दौरान कुल व्यय 26.52 ट्रिलियन रुपये रहा था जो वार्षिक लक्ष्य का 59 प्रतिशत था. जबकि पिछले साल ये 24.43 ट्रिलियन रुपये था.
इंफ्रास्ट्रक्चर पर इतना हुआ खर्च
अगर पहले आठ महीनों में सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च को देखें तो वो 5.86 ट्रिलियन रुपये रहा था, जो कि सालाना लक्ष्य का 58.5 प्रतिशत रहा था. जबकि पिछले साल ये इसी समय पर 4.47 ट्रिलियन रुपये रहा था.वहीं अगर केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट को देखें तो तो उसमें उन्होंने इसे वर्ष 2024 तक GDP के 5.9 प्रतिशत लाने की बात कही थी. हाल ही में हुए संसद के सत्र में भी केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवद कराद ने भी यही बात कही थी. जबकि पहले सात महीनों में इस फीगर को देखें तो 8.04 ट्रिलियन रुपये रहा था जो अनुमान का 45 प्रतिशत था.
RBI ने कही थी ये बात
कुछ समय पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा था कि सरकार की केन्द्र और राज्यों के द्वारा अच्छे राजस्व प्राप्त करने के कारण राजकोषीय घाटा जीडीपी का 7 प्रतिशत रह सकता है. वहीं एक अन्य अध्ययन में ये भी कहा गया था कि केन्द्र सरकार ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के कर का बेहतरीन संग्रह किया है. इससे अर्थव्यवस्था में सुधार, बेहतर कर शासन और प्रशासन के साथ-साथ कार्पोरेट क्षेत्र की लाभप्रदता में सुधार दिखा है.
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