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तो इसलिए सरकार ने दी 60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात की अनुमति, जानिए पूरी वजह !
सरकार के इस कदम के बाद उम्मीद की जा रही है शुगर मिलों की हालत में सुधार आ पाएगा और वो किसानों को भुगतान कर पाएंगें. देश में चीनी की कीमतों में नियंत्रण बनाए रखने के लिए निर्यात पर रोक लगाई गई है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
केन्द्र सरकार ने शुगर मिल कंपनियों को अगले साल मई महीने तक 60 लाख मीट्रिक टन शूगर की अनुमति दे दी है. सरकार ने ये कदम शुगर मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने और किसानों को जल्द भुगतान के लिए उठाया है. सरकार के इस कदम के बाद उम्मीद की जा रही है शुगर मिलों की माली हालत में सुधार आ पाएगा और वो जल्द से जल्द किसानों को भुगतान कर पाएंगें. आपको बता दें कि देश में चीनी की कीमतों में नियंत्रण बनाए रखने के लिए सरकार की ओर से चीनी के निर्यात पर रोक लगाई गई है. बावजूद उसके सरकार ने ये अनुमति दी है.
आखिर सरकार ने क्यों उठाया ये कदम
दरअसल मौजूदा समय में कई शुगर मिलों को गन्ना किसानों का भुगतान करना है. लेकिन उनकी वित्तीय स्थिति उस योग्य नहीं है. इस अनुमति को देने के पीछे सरकार की बड़ी मंशा यही है. दूसरी सबसे बड़ी वजह ये है कि सरकार जब भी खाद्य पदार्थ के निर्यात का आदेश देती है तो उससे पहले वो आंकलन करती है कि आखिर देश में निर्यात के बाद कितना स्टॉक बच रहा है.दरअसल देश में शुगर की खपत 275 लाख मीट्रिक टन है. जो कि हमारी घरेलू खपत है. उसके बाद 50 लाख मीट्रिक टन शुगर इथेनॉल बनाने के लिए चाहिए है. इन जरूरतों को पूरा करने के बाद सरकार के कोटे में 60 लाख मीट्रिक टन शुगर बच जाती है. ये आंकड़ा 30 सितंबर 2023 तक का है.इसी बची शुगर को एक्सपोर्ट करने की अनुमति दी गई है.
दूसरा सबसे ज्यादा चीनी निर्यात करने वाला देश है भारत
भारत मौजूदा समय में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है. 2021-22 में भारत ने 110 मीट्रिक टन शुगर का निर्यात किया था. जिसके चलते हमने 40 हजार करोड़ रूपये की आय की थी. 2021 22 में देश में रिकॉर्ड 118 लाख करोड़ रूपये की खरीद हुई थी.
क्या कहती है शुगर पॉलिसी
सरकार ने सभी शुगर मिलों के लिए उनके औसत उत्पादन के अनुसार एक्सपोर्ट कोटा निर्धारित किया हुआ है. शुगर मिलों के पास ये भी विकल्प होता है कि वो 60 दिनों के अंदर ये तय कर लें कि उन्हें एक्सपोर्ट करना है या अपना कोटा सरेंडर करना है. या वो अपने एक्सपोर्ट कोटा को डोमेस्टिक कोटे से स्वैप भी कर सकते हैं. सरकार का ऐसा कदम उठाने के पीछे मकसद ये है कि जिससे देश के लॉजिस्टिक पर अन्यथा बोझ न पड़े.
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