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अमेरिकी सेंट्रल बैंक की ब्याज बढ़ोतरी के बाद अब क्या फैसला लेगा भारत का रिजर्व बैंक?
अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने महंगाई को देखते हुए एक बार फिर ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है. अब देखने वाली बात ये होगी कि अगले महीने रिजर्व बैंक क्या कदम उठाता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 9 months ago
भारत में महंगाई दर रिजर्व बैंक के चेतावनी स्तर से नीचे बनी हुई है. ऐसे में रिजर्व बैंक पिछले दो बार लगातार बढ़ोतरी ना करते हुए ब्याज दरों को स्थिर बनाए हुए है. लेकिन अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के थोड़े सख्त लहजे के बीच उन्होंने ब्याज दरों में एक चौथाई इजाफा कर दिया है. अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या एक बार फिर भारत में भी ब्याज दरों में इजाफा हो सकता है या जस की तस बनी रहेंगी.
कितना इजाफा हुआ सेंट्रल बैंक की ब्याज दरों में?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने गुरुवार को ब्याज दरों में 25 बीपीएस का इजाफा करके इसे 2001 के बाद से अपने उच्चतम स्तर 3.75% कर दिया है. यह कदम अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 26 जुलाई को अपनी ब्याज दरों में फिर से बढ़ोतरी करने के बाद उठाया गया है. फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) ने बेंचमार्क फंड दर को 25 आधार अंक (बीपीएस) बढ़ाकर 5.25% - 5.5% की सीमा तक बढ़ा दिया, जो इसका 22 साल का उच्चतम स्तर है. वहीं अगर भारत की रेपो रेट पर नजर डालें तो रेपो दरों को पिछले दो बार से 6.5 % पर स्थिर बनाए हुए है. इससे भारत और अमेरिका के बीच ब्याज दरों का अंतर घटकर केवल 100 आधार रह गया है.
क्या भारत में भी बढ़ेंगी ब्याज दरें?
वहीं अगर भारत की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि अर्थशास्त्रियों को उम्मीद नहीं है कि भारत का केंद्रीय बैंक 8-10 अगस्त, 2023 के दौरान होने वाली अगली बैठक में ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है. उन्हें लगता है कि आरबीआई आगामी मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों में बदलाव नहीं कर सकता है. वहीं एक जानकार कहते हैं कि केंद्रीय बैंक अगली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान थोड़ा बढ़ा सकता है. जबकि अर्थशात्रियों को ये भी संभावना है कि आने वाले में समय में महंगाई के ज्यादा रहने की संभावना है ऐसे में ब्याज दरों में कटौती अगले साल तक नहीं होगी. यानी उन्हें लग रहा है कि आरबीआई वित्त वर्ष 2025 की शुरुआत में रेपो दर में कटौती करेगा.
कितनी है इस वक्त देश में महंगाई दर?
वहीं अगर भारत की महंगाई दर पर नजर डालें तो भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति मई में 4.31% से बढ़कर जून में 4.81% हो गई है. जो सब्जियों की कीमतों में वृद्धि के कारण उम्मीद से अधिक है. पिछले महीने खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 4.49% हो गई थी. आरबीआई ने FY24 सीपीआई मुद्रास्फीति 5.1% रहने का अनुमान लगाया है. वहीं पिछली मीटिंग के मिनट्स ऑफ मीटिंग पर नजर डालें तो उससे पता चलता है कि सभी के विचारों में भिन्नता देखने को मिली थी. कुछ बाहरी सदस्यों का तर्क है कि और सख्ती यानी बढ़ोतरी से आर्थिक सुधार में बाधा आ सकती है.
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