मुकेश अंबानी को क्यों पड़ी लोन की जरूरत? खटखटा रहे इन बैंकों के दरवाजे!

मामले से जुड़े लोगों की मानें तो RIL का बिजनेस तेल से लेकर टेलिकॉम के क्षेत्र तक फैला हुआ है और धीरे-धीरे यह बिजनेस और आगे बढ़ रहा है.

Last Modified:
Thursday, 15 June, 2023
Mukesh Ambani

मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL), विदेशी करेंसी में 2 बिलियन डॉलर्स जितना लोन लेने के लिए उधारदाताओं के साथ बातचीत कर रही है. RIL, भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और इतनी बड़ी कंपनी द्वारा 2 बिलियन डॉलर्स का लोन लेने की वजह क्या हो सकती है ये सवाल आप भी जरूर सोच रहे होंगे. 

क्यों पड़ रही है फंड्स की जरूरत 
मामले से जुड़े लोगों की मानें तो RIL का बिजनेस तेल से लेकर टेलिकॉम के क्षेत्र तक फैला हुआ है और धीरे-धीरे यह बिजनेस और आगे बढ़ रहा है. इसी वृद्धि को ताकत प्रदान करने के लिए अब कंपनी उधारदाताओं से लोन लेने की कोशिश कर रही है. RIL के मालिक एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं और वह भारत के बाहरी कमर्शियल रूट का इस्तेमाल करके लोन प्राप्त करना चाहते हैं. इस लोन की मैच्योरिटी 3 से 5 सालों के बीच हो सकती है. 

किन बैंकों से चल रही है उधार की बात
मामले से जुड़े लोगों ने यह भी बताया कि इस लोन के माध्यम से इकट्ठा हुए फंड्स का प्रयोग कंपनी द्वारा कैपिटल बढ़ाने और सितंबर में पूरे होने वाले एक अन्य लोन का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है. कंपनी 2 बिलियन डॉलर्स का लोन लेने के लिए विभिन्न उधारदाताओं से बातचीत कर रही है जिनमें बैंक ऑफ अमेरिका कॉर्प, सिटीग्रुप और स्टैण्डर्ड चार्टर्ड प्राइवेट लिमिटेड जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं. फिलहाल इन बैंकों ने इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का जवाब देने से मना कर दिया है. 

कंपनी को आसानी से मिल रहे हैं फंड्स
लोगों का मानना है कि मुकेश अंबानी को फंड्स इकट्ठा करने की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि वह टेलिकॉम क्षेत्र के बिजनेस को बढ़ा रहे हैं और साथ ही कच्चे तेल की रिफाइनिंग पर आधारित एक साम्राज्य की कंज्यूमर शाखा को विकसित करना चाहते हैं. 2020 में RIL ने नेट जीरो डेट का स्टेटस प्राप्त कर लिया था और इसी की वजह से अब कंपनी को आराम से फंड मिल पा रहा है. रिलायंस का कहना है कि वह अगले 15 सालों में रिन्यूएबल एनर्जी में 75 बिलियन डॉलर्स का इन्वेस्ट करना चाहती है. 
 

यह भी पढ़ें: सरकार ने कर्मचारियों को दिया तोहफा, DA में कर दी जबरदस्त बढ़ोत्तरी!

 


भारतीयों की नाराजगी से Maldives के छूटे पसीने, 'हमें' मनाने की कोशिश में जुटी मुइज्जू सरकार 

मालदीव की इकॉनमी में भारतीय पर्यटकों का 11% योगदान बताया जाता है. ऐसे में उनका लंबे समय तक नाराज रहना मालदीव की आर्थिक सेहत बिगाड़ सकता है.

Last Modified:
Wednesday, 01 May, 2024
BWHindia

चीन के दम पर भारत से बैर लेने वाले मालदीव (Maldives) के होश ठिकाने आ गए हैं. कल तक अकड़ दिखा रही मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार को समझ आ गया है कि भारतीयों को नाराज करके मुल्क की आर्थिक सेहत को दुरुस्त नहीं रखा जा सकता. दरअसल, मालदीव की इकॉनमी पर्यटन पर आधारित है और उसमें भारतीय पर्यटकों का काफी योगदान रहा है. अब जब भारतीयों ने मालदीव से मुंह मोड़ लिया है, तो उसे भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. 

बहुत बदल गए हैं हालात
मालदीव सरकार रूठे भारतीय पर्यटकों को मनाने के प्रयासों में जुटी है. मालदीव मार्केटिंग एंड पब्लिक रिलेशंस कॉरपोरेशन (MMPRC) के प्रबंध निदेशक फातिमथ तौफीक का कहना है कि मालदीव में भारतीय यात्रियों की संख्या फिर से बढ़ाने के लिए प्रयास तेज किए गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि जैसे ही पर्यटन मंत्रालय ने 2024 में पर्यटकों की आगमन संख्या में उल्लेखनीय गिरावट देखी, उसने भारतीय बाजार को आकर्षित करने के प्रयास शुरू कर दिए. भारत ने 2021 से 2023 तक मालदीव के पर्यटन बाजार में अपनी टॉप रैंक बनाए रखी, लेकिन इस साल वह सीधे छठे स्थान पर आ गया है.  

प्रमोशन एक्टिविटीज शुरू
'सन' को दिए एक इंटरव्यू में, MMPRC के एमडी ने बताया कि पर्यटन बोर्ड ने इंडियन टूरिस्ट को लुभाने के लिए स्पेशल प्रमोशन एक्टिविटीज शुरू की हैं. हम भारत से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या को बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. हम प्रमोशन के लिए अतिरिक्त प्रयास करेंगे, क्योंकि पर्यटकों की संख्या कम हो रही है. उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय बाजार में मालदीव पर्यटन ब्रैंड को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न एयरलाइनों के साथ मिलकर कैंपेन भी चलाया जा रहा है. बता दें कि मालदीव के मंत्रियों की शर्मनाक टिप्पणियों के चलते भारतीय मालदीव का बहिष्कार कर रहे हैं. 

रोड शो की भी है तैयारी
पिछले महीने मालदीव एसोसिएशन ऑफ ट्रेवल एजेंट्स एंड टूर ऑपरेटर्स (MATATO) ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मालदीव में भारतीय उच्चायुक्त मुनु महावर से मुलाकात की थी. मालदीव एसोसिएशन ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय उच्चायोग से सहयोग की इच्छा जताई थी. यह भी सामने आया था कि एसोसिएशन मालदीव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रमुख शहरों में एक व्यापक रोड शो शुरू करने की भी तैयारी कर रही है. दरअसल, MATATO की कोशिश है कि भारतीय पर्यटकों को मालदीव के बारे में ज्यादा से ज्यादा बताया जाए, उन्हें देश की खूबसूरती से परिचित कराया जाए, ताकि मालदीव आने वाले भारतीयों की संख्या में इजाफा हो सके.  

ये है मालदीव की चिंता की वजह
विवाद से पहले तक मालदीव पहुंचने वाले पर्यटकों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की रही है. यहां तक कि कोरोना के बाद जब मालदीव को पर्यटकों के लिए खोला गया, तो भारतीय ही सबसे ज्यादा वहां पहुंचे थे. हालांकि, विवाद के बाद से इसमें लगातार कमी आ रही है. मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय पर्यटकों की संख्या में 33 प्रतिशत की गिरावट आई है. पिछले साल यानी 2023 में 4 मार्च तक 41,054 भारतीय पर्यटकों ने मालदीव की यात्रा की थी. जबकि इस साल 2 मार्च तक मालदीव जाने वाले भारतीयों की संख्या केवल 27,224 रही. मालदीव की इकॉनमी में भारतीय पर्यटकों का 11% योगदान बताया जाता है. ऐसे में उनका लंबे समय तक नाराज रहना मालदीव की आर्थिक सेहत बिगाड़ सकता है.

तब किया था इतना खर्चा
करीब 4 लाख की आबादी वाले मालदीव में धिवेही और इंग्लिश भाषा बोली जाती है. मालदीव जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहा है. इसका कोई भी द्वीप समुद्र तल से छह फुट से अधिक ऊंचा नहीं है. इस देश की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी हुई है. 2023 में बड़ी संख्या में भारतीय मालदीप गए थे और उन्होंने 38 करोड़ डॉलर यानी करीब 3,152 करोड़ रुपए खर्च किए थे. भारत से विवाद के बीच पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मालदीव ने हाल ही में अपने यहां घूमने का खर्चा भी आधा कर दिया था, लेकिन इसका खास फायदा नहीं मिला.   

ऐसे शुरू हुईं मालदीव की मुश्किलें
अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर मालदीव भारत और भारतीयों को नाराज करने की स्थिति में कैसे पहुंचा. भारत और मालदीव के बीच तनाव की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद हुई. सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की मालदीव से तुलना मालदीव के तीन मंत्रियों को रास नहीं आई. उन्होंने भारत को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की और भारतीयों की दुश्मनी मोल ले बैठे. भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद भले ही इन तीनों मंत्रियों को हटा दिया गया हो, लेकिन मालदीव के प्रति लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ. सोशल मीडिया पर #BoycottMaldives ट्रेंड करने लगा. कई भारतीयों ने मालदीव की बुकिंग कैंसल कराकर उसका स्क्रीन शॉट सोशल माडिया पर शेयर किया. यहां से मालदीव की मुश्किलें शुरू हो गईं  

TAGS bw-hindi

GST कलेक्शन ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, सरकारी खजाने में आया इतना पैसा

जीएसटी के इतिहास में पहली बार अप्रैल, 2024 में अभी तक का सबसे अधिक जीएसटी कलेक्शन हुआ है, जो अभी तक का सबसे बड़ा नंबर है.

Last Modified:
Wednesday, 01 May, 2024
BWHindia

देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कलेक्शन के आंकड़े ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और यह अब तक के सर्वाधिक उच्च स्तर पर आ गया है. सरकार ने अप्रैल के जीएसटी कलेक्शन का डेटा सार्वजनिक कर करते हुए बताया कि अप्रैल के महीने में जीएसटी कलेक्शन में 12.4% का इजाफा देखने को मिला है. इस इजाफे के बाद अप्रैल का जीएसटी कलेक्शन 2.10 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है. डेटा के मुताबिक रिफंड के बाद नेट रेवेन्यू में भी इजाफा हुआ है. ये इजाफा करीब 17.1% का है. नेट रेवेन्यू का डेटा 1.92 लाख करोड़ रुपये हुआ.

अप्रैल 2024 के जीएसटी कलेक्शन की डिटेल

केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST): ₹43,846 करोड़
राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST): ₹53,538 करोड़
एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST): ₹99,623 करोड़
सेस: ₹13,260 करोड़

वित्तीय वर्ष 2023-24 का कलेक्शन

इससे पहले जीएसटी कलेक्शन ने वित्त वर्ष 2023-24 को रिकॉर्ड अंदाज में बंद हुआ था. मार्च के महीने में जीएसटी कलेक्शन बढ़त के साथ 1.78 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. ये किसी भी महीने के लिए कलेक्शन का अब तक का तीसरा सबसे ऊंचा आंकड़ा रहा था. खास बात है कि अब तक का सबसे ऊंचा कलेक्शन बीते वित्त वर्ष के पहले महीने यानि अप्रैल में दर्ज किया गया था. इस रिकॉर्ड रफ्तार के साथ ही बीते पूरे वित्त वर्ष के लिए ग्रॉस रेवेन्यू का आंकड़ा 20 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया था.

रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन से खुश हुई सरकार

रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन से सरकार को बेहद खुशी हुई है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस आंकड़े को अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करके खुशी जाहिर की है. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कलेक्शन में ये बढ़ोतरी घरेलू ट्रांजेक्शन में 13.4 फीसदी की शानदार ग्रोथ के बाद देखी गई है और इंपोर्ट में 8.3 फीसदी की बढ़त का भी इसमें साथ है.

2017 में लागू हुआ था GST

गौरतलब है कि जीएसटी (GST) को 01 जुलाई 2017 को लागू किया गया था. इसने अप्रत्यक्ष कर की कई जटिलताओं को दूर किया. इस नई प्रणाली से वैट (VAT), एक्साइज ड्यूटी (कई चीजों पर) और सर्विस टैक्स (Service Tax) जैसे 17 टैक्स खत्म हो गए. छोटे उद्योग- धंधों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 40 लाख रुपये के सालाना टर्नओवर वाले बिजनेस को जीएसटी के दायरे से मुक्त कर दिया था. माल एवं सेवा कर (GST) को लागू करते हुए कहा गया था कि इससे न सिर्फ केंद्र सरकार को बल्कि राज्य सरकारों को भी राजस्व के मोर्चे पर लाभ होगा.
 


अब चीन पर अमेरिका ने ऐसे कसा शिकंजा, इतने बढ़ा दिए इस जरूरी प्रोडक्‍ट के दाम 

चीन जिन क्षेत्रों में सबसे ज्‍यादा स्‍टील निर्यात करता है उनमें एशिया शामिल है. चीन एशियाई देशों को 65 प्रतिशत से ज्‍यादा स्‍टील निर्यात करता है. यही नहीं चीन अमेरिका से केवल 5 प्रतिशत सटील मंगाता है. 

Last Modified:
Wednesday, 01 May, 2024
BWHindia

अमेरिका और चीन के बीच चल रही कोल्‍ड वॉर में कभी चीन ऐसे कदम उठाता है जो अमेरिका के लिए परेशानी बन जाते हैं तो अब अमेरिका, मैक्सिको और ब्राजील ने एक कदम ऐसा उठा दिया है जिसने चीन की परेशानी बढ़ गई है. चीन को ये तीनों देश हर जरुरी सामान में इस्‍तेमाल होने वाले स्‍टील की सप्‍लाई करते हैं. लेकिन अब इन्‍होंने स्‍टील पर 25 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ा दिया है जिसने चीन की परेशानी को बढ़ा दिया है. अब स्‍टील महंगा होने के बाद सीधा वहां उसके प्रोडक्‍ट के दामों में इजाफा होना स्‍वाभाविक है. चीन पहले ही कई फ्रंट पर परेशानी का सामना कर रहा है. 

किस देश ने कितना बढ़ाया है टैरिफ? 
अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको की ओर से स्‍टील के प्रोडक्‍ट पर 25 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ा दिया गया है. वहीं अगर इस कड़ी में दूसरे देशों की ओर से की गई घोषणा पर नजर डालें तो ब्राजील के कॉमर्स एंड विदेश व्‍यापार एग्‍जीक्‍यूटिव कमेटी ने एक साल के लिए 15 तरह के स्‍टील प्रोडक्‍ट पर इंपोर्ट टैरिफ फीस को 25 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. इसके अलावा 11 तरह के स्‍टील प्रोडक्‍ट के लिए इंपोर्ट कोटा को भी तय करने का फैसला किया है. इसी तरह मैक्सिको ने स्‍टील और एल्‍यूमिनियम सहित 544 तरह की कमोडिटी पर 5 से 50 प्रतिशत तक टेम्‍प्रेरी इंपोर्ट टैरिफ लगाने का फैसला किया है. हालांकि चीन में इन तीनों देशों से 5 प्रतिशत स्‍टील ही इंपोर्ट होता है. 

ये भी पढ़ें; Everest, MDH में मिलावट को लेकर पूरी हुई जांच, सरकार ले सकती है ये फैसला 

क्‍या चीन पर पड़ेगा इस बढ़ी ड्यूटी का असर? 
अब जबकि चीन इन तीन देशों से सिर्फ पांच प्रतिशत स्‍टील का इंपोर्ट करता है ऐसे में उस पर इस बढ़ी हुई दर का कितना असर पड़ेगा. पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो चीन ने 2023 में 9 करोड़ टन स्‍टील का एक्‍सपोर्ट किया है. इसमें से 69 प्रतिशत स्‍टील को उसने अकेले एशिया के बाजार में एक्‍सपोर्ट किया है. अब जबकि उसकी इन तीन देशों पर निर्भरता ही कम है तो ऐसे इसका कोई बड़ा असर पड़ने की भी उम्‍मीद नहीं है. वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्‍त वर्ष 24 की अप्रैल से लेकर जुलाई तक की अवधि में भारत ने चीन से 5 लाख 70 हजार टन स्‍टील का आयात किया है. इसकी अगर पिछले साल के मुकाबले तुलना करें तो ये 65 प्रतिशत ज्‍यादा है. 

भारत चीन के लिए एक बड़ा बाजार 
चीन हमेशा से ही भारत में बड़े पैमाने पर स्‍टील का निर्यात करता रहा है. वहीं अगर पिछले साल चीन में स्‍टील उत्‍पादन के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये 2.5 प्रतिशत बढ़कर 62.7 करोड़ टन तक जा पहुंचा था. क्‍योंकि पिछले साल चीन से स्‍टील आयात करने को लेकर बाजार में तेजी बनी हुई थी तो ऐसे में इस्‍पात निर्यात में 28 प्रतिशत बढ़कर 5.1 करोड़ टन हो गया. 
 


Everest, MDH में मिलावट को लेकर पूरी हुई जांच, सरकार ले सकती है ये फैसला

इससे पहले इन मसालों के खिलाफ जांच में दोषी पाए जाने पर सिंगापुर से लेकर हांगकांग इन्‍हें प्रतिबंधित कर चुके हैं जबकि अमेरिका में भी इसे लेकर जांच हो रही है. 

Last Modified:
Wednesday, 01 May, 2024
BWHindia

सिंगापुर और हांगकांग में एवरेस्‍ट और एमडीएच मसालों में मिले पेस्‍टीसाइड के इस्‍तेमाल की जांच के बाद इन ब्रैंडस को वहां तो प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन अब खबर आ रही है कि भारत सरकार की जो समिति इस मामले में जांच कर रही थी उसने भी जांच पूरी कर ली है. समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. माना जा रहा है कि सरकार सिंगापुर और हांगकांग से इन दोनों मसाला कंपनियों के उस लॉट को वापस मंगा सकती है और इनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकती है. 

समिति इस मामले की कर रही थी जांच 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार की ओर से बनाई गई समिति एवरेस्‍ट और एमडीएच के मसालों में मिले एक विशेष प्रकार के एसिड की जांच कर रही थी. इसी एसिड को लेकर सिंगापुर और हांगकांग की ओर से आरोप लगाए गए थे. लेकिन अब इस मामले को लेकर समिति की जांच पूरी हो चुकी है और उसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. अब सरकार इस मामले में आने वाले कुछ दिनों में रिपोर्ट के अध्‍ययन के बाद कार्रवाई कर सकती है. खबर है कि सरकार मसालों के उन लॉट को वापस मंगाए जाने के साथ इन कंपनियों पर सख्‍त कार्रवाई भी कर सकती है. अब सरकार क्‍या कदम उठाती है ये सरकार के एक्‍शन के बाद ही पता चलेगा. 

ये भी पढ़ें: Mutual Fund कंपनियों में धोखाधड़ी को लेकर SEBI सख्त, नियमों में किया बड़ा बदलाव

सिंगापुर और हांगकांग में मसालों में मिला था ये रसायन 
सिंगापुर और हांगकांग की सरकार ने जब इन दो मसालों की जांच की थी तो पता चला था कि इनमें अत्‍यधिक मात्रा में एथिलीन ऑक्‍साइड पाया गया था. इस एसिड के इस्‍तेमाल से कैंसर से लेकर दूसरी कई बीमारियों के होने की संभावना है. इन मसालों में इसकी मात्रा ज्‍यादा पाई गई थी, जिसके कारण इन्‍हें सिंगापुर और हांगकांग में प्रतिबंधित कर दिया गया. सबसे खास बात ये भी है कि इन दो देशों के बाद अमेरिका में भी इसे लेकर जांच चल रही है. 

भारत से बड़े पैमाने पर सप्‍लाई होते हैं मसाले
भारत से दुनिया के कई देशों को बड़ी मात्रा में मसाले सप्‍लाई होते हैं. भारत मसाला और मसाले से जुड़ी वस्‍तुओं का बड़े पैमाने पर निर्यात करता है. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2022-23 के दौरान भारत से 3.73 बिलियन डॉलर के मसालों का निर्यात कई देशों को किया गया. वर्ष 2017-18 से 2021-22 से भारत से कुल निर्यात 10.47 सीएजीआर से बढ़ा है. पूरी दुनिया में मसालों का निर्यात 30 फीसदी बढ़ गया है. मसालों के वैश्विक कारोबार में देश की हिस्‍सेदारी 43 फीसदी से ज्यादा हो चुकी है. भारत ने 2021-22 के दौरान लगभग 4.1 अरब डॉलर के 15 लाख टन मसालों का निर्यात किया. इस अवधि में उत्पादन की क्षमता 1.63 प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2.5 टन प्रति हेक्टेयर हो गया. साल 2021-22 में 43.8 लाख हेक्टेयर इलाके में 111.2 लाख टन मसालों का उत्पादन किया गया.
 


Mutual Fund कंपनियों में धोखाधड़ी को लेकर SEBI सख्त, नियमों में किया बड़ा बदलाव

SEBI ने म्यूचुअल फंड को संचालित करने वाले नियमों में बदलाव किया. इसके तहत AMCs को संभावित बाजार दुरुपयोग रोकने के लिए एक Regulatory Framework स्थापित करना जरूरी बनाने का फैसला किया है.

Last Modified:
Wednesday, 01 May, 2024
BWHindia

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) के डायरेक्टर बोर्ड ने म्यूचुअल फंड को संचालित करने वाले नियमों में बड़ा बदलाव किया. इसके तहत एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को संभावित बाजार दुरुपयोग रोकने के लिए एक ‘संस्थागत व्यवस्था’ (Regulatory Framework) स्थापित करना जरूरी बनाने का फैसला किया गया है. यह संस्थागत व्यवस्था पहचान और संभावित बाजार दुरुपयोग की रोकथाम के अलावा सिक्योरिटीज में ‘फ्रंट-रनिंग’ और धोखाधड़ी वाले लेनदेन पर नजर रखेगी. यहां फ्रंट-रनिंग का मतलब कीमत को प्रभावित करने वाली संवेदनशील जानकारी के आधार पर ब्रोकर का कारोबार करना है.

धोखाधड़ी पर नकेल कसने की तैयारी

सेबी ने डायरेक्टर बोर्ड की बैठक के बाद जारी एक बयान के मुताबिक, नियामक चाहता है कि AMC गलतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले ‘व्हिसिल ब्लोअर’ तंत्र बनाकर पारदर्शिता को बढ़ावा दे. सेबी के डायरेक्टर बोर्ड की पिछले डेढ़ महीने में यह पहली बैठक है. इसके पहले 15 मार्च को बैठक हुई थी. AMC से संबंधित गड़बड़ी में फ्रंट रनिंग, भेदिया कारोबार और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग शामिल हैं. जब कोई ब्रोकर या निवेशक गोपनीय जानकारी के आधार पर किसी कारोबार में शामिल होता है, उसे ‘फ्रंट रनिंग’ कहते हैं. यह ऐसी संवेदनशील जानकारी होती है, जिससे परिसंपत्ति की कीमत प्रभावित होती है.

खुश है जमाना आज पहली तारीख है....महीने की शुरुआत में मिली राहत भरी खबर; सस्ता हुआ सिलेंडर

इन दो मामलों के बाद आया फैसला 

यह निर्णय SEBI द्वारा Axis AMC और LIC से संबंधित दो ‘फ्रंट-रनिंग’ मामलों में जारी आदेश के बीच आया है. Axis AMC मामले में ब्रोकर-डीलरों, कुछ कर्मचारियों और संबंधित संस्थाओं को AMC के कारोबारों को ‘फ्रंट-रनिंग’ में लिप्त पाया गया था. वहीं LIC मामले में, बीमा कंपनी के एक कर्मचारी को सौदों की ‘फ्रंट-रनिंग’ करते हुए पाया गया था. SEBI ने बयान में कहा कि हाल में सामने आए मामलों को ध्यान में रखते हुए निदेशक मंडल ने संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और निवारण के लिए AMC को एक व्यवस्थित संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए SEBI (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996 में संशोधन को मंजूरी दी.

AMFI रोडमैप तैयार करेगा

म्यूचुअल फंड निकाय 'एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया' (AMFI) सेबी के परामर्श से ऐसे Regulatory Framework के लिए विस्तृत मानकों को तय करेगा. इसके अतिरिक्त, SEBI ने म्यूचुअल फंड के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रायोजक की समूह कंपनियों की प्रतिभूतियों के संबंध में निष्क्रिय योजनाओं के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों को सुव्यवस्थित किया है. वर्तमान में, म्यूचुअल फंड योजनाओं को प्रायोजक की समूह कंपनियों में अपने नेट एसेट वैल्यू (NAV) का 25 प्रतिशत से अधिक निवेश करने की अनुमति नहीं है.

 

BW Hindi के व्हाट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें.
 


इस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे Raj Babbar के पास है कितनी दौलत?

राज बब्बर फिर से चुनावी मैदान में नजर आएंगे, कांग्रेस ने उन्हें गुरुग्राम सीट से उम्मीदवार बनाया है.

Last Modified:
Wednesday, 01 May, 2024
BWHindia

एक्टिंग से लेकर राजनीति तक में बड़ा नाम कमाने वाले राज बब्बर (Raj Babbar) लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस ने उन्हें गुरुग्राम से टिकट दिया है. यहां उनका मुकाबला BJP के राव इंद्रजीत से होगा. कांग्रेस ने हरियाणा की दस लोकसभा सीटों में से नौ पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि कुरुक्षेत्र की सीट उसने इंडिया गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए छोड़ी है. 

ऐसे शुरू हुआ सफर
राज बब्बर ने 1989 में जनता दल के साथ राजनीति में एंट्री ली थी. बब्बर तीन बार लोकसभा सांसद और दो बार राज्यसभा सांसद भी रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली है. राज बब्बर 1994 में पहली बार राज्यसभा सांसद बने थे. 2009 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर ने यूपी की फतेहपुर सीकरी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बसपा के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय ने उन्हें शिकस्त दी थी. 

पिछली बार मिली थी हार 
2014 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से चुनाव लड़ा, मगर परिणाम वही रहे. उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद साल 2015 में बब्बर राज्यसभा सांसद चुने गए. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर ने एक बार फिर से फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़ने का फैसला किया. वह कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन भाजपा के राजकुमार चाहर ने उन्हें करीब 5 लाख वोटों से हरा दिया. राज बब्बर ने एक्टिंग की दुनिया में कई बेहतरीन फ़िल्में की हैं. उन्हें 5 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट भी किया गया था.

2019 में थी इतनी दौलत 
2019 में फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर ने बताया था कि पिछले पांच साल में उनकी संपत्ति एक करोड़ रुपए कम हो गई है. उनकी चल और अचल दोनों संपत्तियों में कमी आई है. बब्बर ने यह भी बताया था कि उनके पास अपना कोई वाहन और हथियार नहीं है. 2019 में बब्बर द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, उनके पास 12.57 करोड़ रुपए से अधिक की चल और अचल संपत्ति है. जबकि 2014 में गाजियाबाद से लोकसभा प्रत्याशी रहे राज बब्बर के पास 13.58 करोड़ से अधिक की संपत्ति थी. 2019 के ब्यौरे के हिसाब से उनके पास 5.83 करोड़ से अधिक की चल और 6.73 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है.  


127 सालों के साथ का बंटवारा, Godrej Group के हुए दो हिस्से; जानें किसे क्या मिला

गोदरेज ग्रुप की पांच कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं, उन पर इस खबर का कुछ न कुछ असर जरूर पड़ेगा.

Last Modified:
Wednesday, 01 May, 2024
BWHindia

127 साल पुराने गोदरेज परिवार (Godrej Family) का बंटवारा हो गया है. परिवार के सदस्यों के बीच आपसी सहमति से कारोबार के बंटवारे पर मुहर लग गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आदि गोदरेज (Adi Godrej) और उनके भाई नादिर के हिस्से में गोदरेज इंडस्ट्रीज आई है. गोदरेज समूह की पांच कंपनियां - गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज, गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफसाइंसेज शेयर बाजार में लिस्टेड हैं. लिहाजा, इस बंटवारे का उनके शेयरों पर असर पड़ सकता है. 

इन्हें मिली गोदरेज एंड बॉयस
आदि गोदरेज और नादिर के हिस्से में जहां गोदरेज इंडस्ट्रीज आई है. वहीं, आदि गोदरेज के चचेरे भाई-बहन जमशेद और स्मिता को नॉन-लिस्टेड कंपनी गोदरेज एंड बॉयस का मालिकाना हक मिला है. जमशेद और स्मिता के हिस्से में गोदरेज एंड बॉयस से जुड़ी कंपनियों के साथ ही मुंबई में एक प्लॉट और दूसरी महत्वपूर्ण संपत्ति भी मिलेगी. बता दें कि गोदरेज ग्रुप का कारोबार साबुन, होम अप्लायंस से लेकर रियल एस्टेट तक फैला हुआ है. पिछले काफी समय से कारोबार के बंटवारे की कोशिश चल रही, जो अब सफल हो गई है.

ब्रैंड का करते रहेंगे इस्तेमाल
गोदरेज समूह को संस्थापक परिवार की दो शाखाओं के बीच बांटा गया है. एक हिस्सा 82 वर्षीय आदि गोदरेज और उनके 73 साल के भाई नादिर को मिलेगा. दूसरा हिस्सा उनके चचेरे भाई-बहन जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज को मिलेगा. आदि, नादिर, जमशेद और स्मिता के पास गोदरेज और बॉयस में लगभग 10% हिस्सेदारी है. जबकि 24% पिरोजशा गोदरेज फाउंडेशन और 27% गोदरेज इन्वेस्टमेंट्स के पास है. समूह की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष गोदरेज ब्रैंड का इस्तेमाल जारी रखेंगे.  

इस पर कुछ साफ नहीं 
समूह की पांच सूचीबद्ध कंपनियों का मार्केट कैप 2.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक है. गोदरेज समूह का कहना है कि आदि के बेटे पिरोजशा गोदरेज इंडस्ट्रीज ग्रुप (GIG) के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरपर्सन होंगे. वह अगस्त 2026 में चेयरपर्सन के रूप में नादिर गोदरेज की जगह लेंगे. हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि गोदरेज एंड बॉयस के तहत समूह की 3000 करोड़ रुपए से अधिक की रियल एस्टेट संपत्ति को दोनों पक्षों के बीच कैसे विभाजित किया जाएगा. आज शेयर बाजार बंद है. लिहाजा इस बंटवारे की खबर का समूह की कंपनियों पर क्या असर होता है ये सीधे सोमवार को पता चलेगा.


Stock Market: आज तो कोई त्योहार भी नहीं, फिर क्यों बंद है शेयर बाजार? 

शेयर बाजार कल गिरावट के साथ बंद हुआ था. आज बाजार में छुट्टी है यानी कोई कारोबार नहीं होगा.

Last Modified:
Wednesday, 01 May, 2024
BWHindia

शेयर बाजार (Stock Market) में आज कारोबार नहीं होगा. आज तो कोई त्योहार भी नहीं है, तो फिर ऐसा क्या है कि मार्केट को बंद रखा गया है. दरअसल, 1 मई को महाराष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर महाराष्ट्र में बैंकों से लेकर सरकारी कार्यालय तक बंद रहते हैं. शेयर बाजार में भी इस दिन अवकाश रखा जाता है. लिहाजा, आज बाजार में ट्रेडिंग नहीं होगी. बाजार कल खुलेगा और उसके बाद शनिवार-रविवार का साप्ताहिक अवकाश रहेगा.

कल आई थी गिरावट 
इससे पहले, मंगलवार को बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. बाजार खुलने के साथ ही सेंसेक्स और निफ्टी दोनों फुल स्पीड से ऊपर की तरफ भागते दिखाई दिए. लेकिन कारोबारी की समाप्ति तक बाजार लाल निशान पर पहुंच गया. आईटी और पावर सेक्टर के शेयरों में अंतिम दौर की बिकवाली की वजह से बाजार ने अपनी शुरुआती बढ़त गंवा दी. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 188.50 अंक टूटकर 74,482.78 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 38.55 अंक फिसलकर 22,604.85 पर बंद हुआ. 

20 मई को भी छुट्टी
BSE और NSE की वेबसाइट के अनुसार, एक मई महाराष्ट्र दिवस के उपलक्ष्य में बाजार बंद रहेगा. इस दौरान, इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट, करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट, इक्विटी सेगमेंट और एसएलबी सेगमेंट में कारोबार नहीं होगा. शनिवार और रविवार को साप्ताहिक अवकाश के चलते ट्रेडिंग नहीं होगी. इसके अलावा, 20 मई को भी शेयर बाजार बंद रहेगा. क्योंकि इस दिन मुंबई की लोकसभा सीट पर चुनाव है. वहीं, कमोडिटी और इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट सेगमेंट में आज सुबह ट्रेडिंग नहीं होगी, लेकिन, MCX में शाम को कारोबार होगा.

कब-कब रहेगी छुट्टी?
एक मई को महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर यानी आज बाजार बंद है. इसके बाद 20 मई को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मार्केट में अवकाश रहेगा. 17 जून को बकरीद के मौके पर भी बाजार में कोई कारोबार नहीं होगा. इसके बाद 17 जुलाई को मुहर्रम, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती के मौके पर बाजार में ट्रेडिंग नहीं होगी. इसी तरह, 1 नवंबर को दिवाली, 15 नवंबर को गुरुनानक जयंती और 25 दिसंबर को क्रिसमस के अवसर पर बाजार में कारोबार नहीं होगा. हालांकि, दिवाली पर लक्ष्मी पूजन वाले दिन बाजार में विशेष सत्र में मुहूर्त ट्रेडिंग होती है.


देश की बड़ी तेल कंपनी के नतीजों ने किया निराश, इतना मिलेगा डिविडेंड 

इंडियन ऑयल कंपनी के मुनाफे से लेकर रेवेन्‍यू तक में गिरावट के बाद कंपनी ने अपने निवेशकों को 7 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड देने का ऐलान किया है.

Last Modified:
Tuesday, 30 April, 2024
BWHindia

ऑयल सेक्‍टर की बड़ी कंपनी इंडियन ऑयल के नतीजे जारी हो गए हैं. कंपनी के मुनाफे से लेकर रेवेन्‍यू में बड़ी कमी देखने को मिली है. हालांकि कंपनी की ओर से निवेशकों को डिविडेंड देने का फैसला किया गया है. कंपनी अपने निवेशकों को प्रति शेयर 7 रुपये का डिविडेंड देने का फैसला किया है. सबसे खास बात ये भी है कि कंपनी ने जो डिविडेंड देने का फैसला किया है वो 10 रुपये के फेसवैल्‍यू वाले का 70 प्रतिशत है. 

जानिए कितना रहा है मुनाफा? 
कंपनी की ओर से जारी किए नतीजों के अनुसार, 2023-24 में कंपनी को 4838 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है. जबकि 2022-23 में नतीजों पर नजर डालें तो ये 10059 करोड़ रुपये रहा था, जो 52 प्रतिशत कम है. वहीं अगर 2024 के पहले तीन महीनों में कंपनी के नतीजों पर नजर डालें तो कच्‍चे तेल के दामों में 16 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था. इसके कारण कंपनी के मुनाफे में कमी आई थी लेकिन कंपनी ने 7 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड देने का फैसला किया है. 

कमाई में भी आई है कमी 
वहीं अगर इंडियन ऑयल की चौथी तिमाही में कमाई पर नजर डालें तो उसमें गिरावट देखने को मिली है. कंपनी का रेवेन्‍यू 3 फीसदी घटकर 2.19 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वित्‍तीय वर्ष में ये 2.26 लाख करोड़ रुपये रहा था. वहीं 2023-24 के दौरान कंपनी के ऑपरेशन से रेवेन्‍यू में गिरावट देखने को मिली है. वहीं अगर कंपनी के पूरे साल के रेवेन्‍यू पर नजर डालें तो वो 866345 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले साल 2022-23 में ये 934953 करोड़ रुपये रहा था. 

कैसी रही शेयर की चाल? 
वहीं अगर कंपनी के शेयर पर नजर डालें तो मंगलवार को ये 179.50 रुपये पर खुला था, जबकि 168.95 रुपये बंद हुआ. कंपनी के शेयर में 4.41 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली. कंपनी के शेयर का 52 हफ्तों का हाई 196.80 रुपये रहा जबकि 52 हफ्तों का लो प्राइस 81.40 रुपये रहा. कंपनी का मार्केट 2.39 लाख करोड़ रहा है. 

ये भी पढ़ें: एक प्‍लेट पानी पुरी का दाम 333 रुपये, जानिए क्‍यों सोशल मीडिया पर हो रही है चर्चा?
 


एक प्‍लेट पानी पुरी का दाम 333 रुपये, जानिए क्‍यों सोशल मीडिया पर हो रही है चर्चा? 

एयरपोर्ट से लेकर होटल्‍स में महंगाई का ये पहला उदाहरण नहीं है. इससे पहले भी कई मामले सामने आए हैं, लेकिन बावजूद इसके ऐसे मामले रूकने का नाम नहीं लेते हैं. 

Last Modified:
Tuesday, 30 April, 2024
BWHindia

मुंबई की महंगाई पहले भी कई बार चर्चा का विषय बनी है. लेकिन इस बार सोशल मीडिया पर पानी पुरी की महंगाई की बड़े पैमाने पर चर्चा हो रही है. दरअसल सुगर कॉस्‍मैटिक कंपनी के सीओओ और को फाउंडर कौशिक मुखर्जी ने पानी पुरी की एक प्‍लेट के दाम 333 रुपये को लेकर एक्‍स पर ट्वीट करते हुए आश्‍चर्य व्‍य‍क्‍त किया है.

अपने ट्वीट में उन्‍होंने लिखी ये बात 
कौशिक मुखर्जी ने अपने ट्वीट में 8 एक तस्‍वीर साझा की है. इसमें पानी पुरी, दही पुरी, सेव पुरी की प्‍लेट दिखाई दे रही है.  उन्‍होंने अपने ट्वीट में लिखा है मुंबई एयरपोर्ट पर खाना पीना काफी महंगा है. लेकिन इतना महंगा होगा इसका अंदाजा नहीं है. उनके इस ट्वीट पर कई लोगों ने अपनी बात कही है. 

कौशिक मुखर्जी के ट्वीट पर लोगों ने कही क्‍या बात? 
कंपनी के को फाउंडर और सीओओ कौशिक मुखर्जी के ट्वीट पर कई लोगों ने अपनी बात कही. एक यूजर ने लिखा कि लास्‍ट में दी जाने वाली सूखी पूरी की तो बात ही कुछ और है. 
इसी तरह एक दूसरे यूजर ने लिखा कि, दिन में लूट... वे इसे हल्के में लेते हैं.. यदि आप 50 हजार का हवाई टिकट खरीद सकते हैं, तो एक पानी पूरी के लिए 333 रुपये क्यों नहीं देते... एक कॉफी के लिए 100 रुपये, एक डोसा के लिए 200 रुपये... इस लूट के बारे में कौन कहना चाहता हैं?.. नियम बदलने होंगे.. तब तक पेट भरने के लिए बाहर से खाएं....
इसी तरह एक अन्‍य यूजर विस्‍मय बुच ने लिखा कि यहां पानी पुरी की कीमत महज 3.5 गुना है. बिल्कुल उचित. टी2 पर आगमन के पास सुख सागर में जंबोकिंग वड़ापाव या डोसा का आनंद लें. इनकी कीमत आसानी से 4-5x की रेंज में होती है. 

इससे पहले राहुल बोस ने सामने लाया था मामला 
एयरपोर्ट से लेकर होटल तक मिलने वाले खाने पीने के सामान की महंगाई का मामला पहली  बार चर्चा में नहीं आया है. इससे पहले 2019 में राहुल बोस ने चंडीगढ़ के पांच सितारा होटल JW Mariott में 2 केलों के लिए 442 रुपये चार्ज किए जाने का मामला सामने आया था. राहुल बोस के इसे लेकर वीडियो बनाए जाने के बाद होटल पर जीएसटी विभाग ने कार्रवाई करते हुए 25000 रुपये की पेनल्‍टी लगा दी थी. जीएसटी विभाग ने इसमें नियमों के उल्‍लंघन का मामला पाया था.