होम / बिजनेस / नाम बदलते ही बदल गई किस्मत, इन कंपनियों को ऐसे मिला Rebranding का फायदा
नाम बदलते ही बदल गई किस्मत, इन कंपनियों को ऐसे मिला Rebranding का फायदा
सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फेसबुक से लेकर सॉफ्टड्रिंक ब्रैंड पेप्सी तक कई कंपनियों ने नाम पहले कुछ और थे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
रीब्रैंडिंग को सफल बिजनेस स्ट्रेटेजी का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. कई ऐसे उदाहरण मौजूद हैं, जहां रीब्रैंडिंग के बाद बिजनेस को न केवल नई पहचान मिली, बल्कि उसकी सफलता का ग्राफ भी एकदम से खड़ा हो गया. इस फेहरिस्त में फेसबुक (Facebook), ट्विटर (Twitter) से लेकर सॉफ्टड्रिंक ब्रैंड पेप्सी (Pepsi) तक कई बड़े नाम शामिल हैं. शुरुआत में यह कंपनियां किसी दूसरे नाम से शुरू हुईं थीं, लेकिन समय के साथ इन्होंने रीब्रैंडिंग की जरूरत महसूस की, और फिर जो हुआ वो सबके सामने है.
Facemash से Facebook
सबसे पहले बात करते हैं मार्क जुकरबर्ग की Facebook की. इस सोशल मीडिया कंपनी की शुरुआत 2003 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फेसमैश (Facemash) के नाम से हुई थी. बाद में इसके नाम में बदलाव किया गया और यह The-Facebook हो गया. 2005 में जुकरबर्ग ने कंपनी के नाम को और आसान बनाते हुए ‘The’ को छोड़ने का फैसला लिया. इसके बाद अक्टूबर 2021 में फेसबुक ने अपनी पैरेंट कंपनी का नाम बदलकर मेटा (Meta) यानी मेटावर्स कर दिया. आज यदि तुलना करें तो फेसमैश के मुकाबले फेसबुक ज्यादा आकर्षक और आसान लगता है.
Odeo से twttr फिर Twitter
Elon Musk जिस ट्विटर के मालिक हैं, उसका नाम पहले कुछ और था. दरअसल, ट्विटर की शुरुआत ऑडियो (Odeo) के रूप में हुई थी, जब यह पॉडकास्ट था न कि माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट. गूगल के पूर्व कर्मचारी इवान विलियम्स और बिज स्टोन ने एक स्टार्टअप शुरू किया जो एक पॉडकास्टिंग प्लेटफॉर्म था. इस प्लेटफॉर्म का नाम Odeo था. जैक डोर्सी और नोआन ग्लास भी इसके साथ काम करते थे. ये पॉडकास्टिंग प्लेटफॉर्म किसी भी मैसेज को एमपी3 में बदलकर मोबाइल नंबर के जरिए प्रसारित करता था. हालांकि, एप्पल के iTunes के लॉन्च होने के बाद Odeo का मार्केट कम होना शुरू हो गया और तब मार्च 2006 में जैक डोर्सी, नोआ ग्लास, बिज स्टोन और इवान विलियम्स ने मिलकर ट्विटर बनाया था. हालांकि, Odeo से ये सीधा Twitter नहीं हुआ. पहले से इसका नाम twttr रखा गया, फिर बाद में Twitter किया गया.
Matchbox से Tinder
डेटिंग ऐप के तौर पर युवाओं के बीच मशहूर ऐप टिंडर (Tinder) भी रीब्रैंडिंग से गुजरा है. टिंडर का शुरुआती नाम मैचबॉक्स (Matchbox) था. दरअसल, Tinder के एक प्रतियोगी का भी मिलता-जुलता नाम था, इसलिए उसके फाउंडर ने नाम बदलने का फैसला किया. इसके बाद Matchbox - Tinder में तब्दील हो गया. नाम बदलते ही युवाओं के बीच इतना लोकप्रिय हो गया कि आज वह दुनिया के सबसे बड़े डेटिंग ऐप्स में शुमार है. Sean Rad Tinder के को-फाउंडर हैं.
BackRub से Google
जिस गूगल के पास आपके लगभग सभी सवालों का जवाब है, उसका नाम भी बदला गया है. एक जमाने में Google को BackRub कहा जाता था. गूगल की कहानी साल 1995 में स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी में शुरू हुई थी. जब लैरी पेज स्टैंडफोर्ड और Sergey Brin की मुलाकात हुई थी. दोनों कुछ अलग करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने ऐसा सर्च इंजन बनाने का फैसला लिया, जिसने लोगों की जिंदगी पूरी तरह बदलकर रख दी. BackRub नाम ज्यादा आकर्षक नहीं था, इसलिए दोनों ने इसे बदलकर Google कर लिया. हालांकि, कहा जाता है कि लैरी पेज BackRub को Googol नाम देना चाहते थे, लेकिन कुछ कारणों के चलते इसे Google किया गया. अब कंपनी ने इस मूल कंपनी का नाम भी बदलकर अल्फाबेट कर दिया है.
Relentless से Amazon
जेफ बेजोस Amazon का नाम कुछ और रखना चाहते थे. उन्होंने इसके लिए Relentless नाम चुना था, इस पर काम भी हुआ, लेकिन जल्द ही उन्हें समझ आ गया कि Amazon ज्यादा बेहतर नाम हो सकता है. दरअसल, डिक्शनरी सर्च करने के दौरान बेजोस की नजर अमेजन नाम के शब्द पर गई. Amazon दुनिया की सबसे बड़ी नदी का नाम है और चूंकि वह दुनिया की सबसे बड़ी किताबों की ऑनलाइन दुकान शुरू कर रहे थे, इसलिए यह नाम उन्हें तुरंत पसंद आ गया. यदि आप अपने ब्राउजर में relentless.com टाइप करते हैं, तो आपको सीधे amazon.com पर रीडायरेक्ट कर दिया जाता है. इससे अमेजन की नाम बदलने की कहानी का प्रमाण मिलता है.
ब्रैड्स ड्रिंक से Pepsi
सॉफ्टड्रिंक ब्रैंड पेप्सी (Pepsi) को भी रीब्रैंडिंग से गुजरना पड़ा है. पेप्सी को दुनिया के सामने कालेब डी. ब्रैडम ने पेश किया था, हालांकि उस वक्त इसका नाम कुछ और था. इसे कालेब डी. ब्रैडम के नाम के आधार पर 'ब्रैड्स ड्रिंक' कहा जाता था. ब्रैडम ने 1893 में अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना स्थित अपनी दवा की दुकान में इस ड्रिंक को तैयार किया था. जल्द ही उन्हें अहसास हो गया कि नाम बदले बिना, वह अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएंगे. लिहाजा, 1898 में उन्होंने इस ड्रिंक को पेप्सी-कोला के रूप में रीब्रैंड किया और आज पेप्सी की अपनी एक अलग पहचान है.
टैग्स