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यूक्रेन का तो पता नहीं, पर क्या भारत का 'तेल' निकालेंगे पुतिन?

यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते अन्य प्रमुख देशों ने रूस के कच्चे तेल का इस्तेमाल रोक दिया था जिसके बाद चीन और भारत रूस के कच्चे तेल के प्रमुख कंज्यूमर्स के रूप में उभरकर सामने आये हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

रूस से आने वाले कच्चे तेल की कीमतों में फिर से इजाफा देखने को मिला है. माना जा रहा है कि चीन और भारत से काफी बड़े और मशहूर कस्टमर्स कच्चे तेल के लिए रूस का रुख कर रहे हैं जिसकी वजह से सस्ते तेल का उपयोग करने वाले छोटे रिफाइनर्स पर दबाव बढ़ रहा है और एशिया में कच्चा तेल खरीदने वालों के लिए तेल के दाम बढ़ा दिए गए हैं. 

क्या है एक्सपर्ट्स की राय? 

इस मामले की विशेष जानकारी रखने वाले कुछ एक्सपर्ट्स की मानें तो पिछले कुछ हफ्तों में रूस के Ural तेल, ESPO (Eastern Siberia-Pacific Ocean Oil) के कच्चे तेल के साथ-साथ ईंधन के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल की कीमतों में भी वृद्धि देखने को मिली है. भारतीय मांग में उछाल के साथ-साथ चीन के सरकारी और बड़े प्राइवेट रिफाइनर्स जैसे Sinopec, Petrochina Co. और Hengli Petrochemical Co. की वजह से कार्गो की कीमतों में वृद्धि दर्ज की गयी है. 
 

रूस से कच्चा तेल खरीदने वालों की संख्या बढ़ी
बड़े रिफाइनर्स फिलहाल एक ऐसे भाग में मौजूद हैं जहां आमतौर पर चीन के छोटे और स्वतंत्र प्रोसेसर्स का दबदबा होता है जिन्हें Teapots कहा जाता है और यह रूस के सस्ते कच्चे तेल के रेगुलर कंज्यूमर्स बने हुए हैं. रूस के दूरदराज पुर्वी हिस्से से मिलने वाला ESPO तेल अपने कम शिपिंग डिस्टेंस की वजह से कंज्यूमर्स का फेवरेट बना हुआ है. यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते अन्य प्रमुख देशों द्वारा रूस के कच्चे तेल का इस्तेमाल रोक दिया था जिसके बाद चीन और भारत रूस के कच्चे तेल के प्रमुख कंज्यूमर्स के रूप में उभरकर सामने आये. पश्चिमी देशों द्वारा लगाई गयी बंदिशों को एक तरफ करके रूस से कच्चा तेल खरीदने वाले कंज्यूमर्स की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है. 

यह है तेल खरीदने का नया तरीका
तेल खरीदने वाले ज्यादा से ज्यादातर कंज्यूमर्स अपने हिस्से का जोखिम कम करने के लिए तेल बेचने वालों से ही शिपिंग, इंश्योरेंस, और नॉन-वेस्टर्न बैंकों का इस्तेमाल करके युआन, रूपए, दिरहम या रूबल जैसी कर्रेंसियों में भुगतान करने का अनुरोध करते हैं. माना जा रहा है कि रूस अनुमान से कहीं ज्यादा लम्बे समय तक कच्चे तेल का प्रोडक्शन जारी रखेगा. S&P ग्लोबल के वाइस चेयरमैन Dan Yergin का मानना है कि कच्चे तेल के उत्पादन में कमी देखने को मिल सकती है लेकिन कुछ बहुत नाटकीय गिरावट देखने को नहीं मिलेगी जैसा की कुछ लोगों द्वारा साल भर पहले अनुमान लगाया जा रहा था. 

यह भी पढ़ें: जानिए आखिर क्‍या होता है ई-फ्यूल ? क्‍या यही बनेगा फ्यूचर फ्यूल


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