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अब इस कंपनी में बड़ी हिस्सेदारी बेचकर झोली भरेगी Modi सरकार, जानें क्या है तैयारी
मोदी सरकार नवरत्न कंपनी एनएलसी इंडिया में कम से कम सात प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने जा रही है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 months ago
केंद्र सरकार एनएलसी इंडिया (NLC India) में बड़ी हिस्सेदारी बेच रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार इस कंपनी में 7 प्रतिशत तक हिस्सेदारी 212 रुपए प्रति शेयर के न्यूनतम मूल्य पर बेचेगी. एनएलसी इंडिया में सरकार बिक्री पेशकश (OFS) के जरिए हिस्सेदारी बेच रही है. संस्थागत निवेशकों के लिए एनएलसी की 2000 करोड़ रुपए की बिक्री पेशकश आज यानी गुरुवार को खुलेगी. जबकि खुदरा निवेशकों के लिए यह सोमवार को खुलेगी. बता दें कि महाशिवरात्रि के अवसर पर शुक्रवार को बाजार में अवकाश रहेगा.
मिलेंगे इतने करोड़
रिपोर्ट्स में निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय के हवाले से बताया गया है कि खुदरा निवेशक सोमवार 11 मार्च को NCL India के शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं. सरकार सात प्रतिशत हिस्सेदारी का विनिवेश कर रही है, जिसमें 2 प्रतिशत का ग्रीन शू विकल्प भी शामिल है. सरकार कंपनी में अपने 9.7 करोड़ शेयर 212 रुपए प्रति शेयर के न्यूनतम मूल्य पर बेच रही है. इस हिसाब से देखें तो इस बिक्री से सरकार को 2000 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे.
ऐसी है शेयरों की चाल
एनएलसी इंडिया के शेयरों की बात करें, तो बुधवार को कंपनी के शेयर मामूली गिरावट के साथ 226 रुपए पर बंद हुए थे. जबकि पिछले पांच दिन में इसमें 2.33% की तेजी आई है और छह महीने में यह आंकड़ा 59.83% है. बीते 5 सालों में इसमें 233.83% की तेजी आई है. इसका 52 वीक का हाई लेवल 293.60 रुपए और 52 वीक का लो लेवल 69.79 रुपए है. कोयला मंत्रालय के अधीन काम करने वाली इस नवरत्न कंपनी का मार्केट कैप 31,435.05 करोड़ रुपए है.
ये भी हैं लिस्ट में
पिछले साल खबर आई थी कि सरकार राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (RCF) और नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) में भी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश में है. सरकार की योजना इन दिग्गज खाद कंपनियों में अपनी 10 से 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की है, लेकिन काफी समय में मामला अटका हुआ है क्योंकि उसे खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं. वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) RCF में 10% और NFL में 20% हिस्सेदारी बेचना चाहती है. दोनों कंपनियों में सरकार अपने हिस्से के 1200 करोड़ रुपए के शेयर बेचना चाहती है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि खाद सेक्टर के बजाये निवेशकों की दिलचस्पी डिफेंस और रेलवे पीएसयू में अधिक नजर आ रही है. ऐसा इसलिए कि खाद की कीमतों पर सरकार का नियंत्रण है, इसलिए निवेशकों के लिए उसमें मुनाफा कमाने की गुंजाइश एक सीमा पर आकर रुख जाती है. इसलिए दोनों कंपनियों को खरीदार नहीं मिले.
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