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SKIN DISEASE की आई नई दवा, जानिए क्या है इसमें खास
कोपेलर (इक्सीकिज़ूमैब) एक प्रेसक्रिप्शन मेडिसिन है जिसका इस्तेमाल किसी डर्मेटोलॉजिस्ट या रेमेटोलॉजिस्ट की सलाह पर और चिकित्सकीय निगरानी में ही करना चाहिए.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
सोरायसिस बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर निकलकर सामने आई है. एली लिली कंपनी ने ड्रग कंट्रोलर अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अप्रूवल के बाद भारत में इस बीमारी की दवा कोपेलर (इक्सीकिज़ूमैब) को लॉन्च कर दिया है. ये दवा मध्यम से लेकर गंभीर प्लाक सोरायसिस से ग्रस्त उन मरीज़ों के लिए उपयोगी होगी जिन्हें सिस्टमेटिक थेरेपी या फोटोथेरेपी कराने की जरूरत होती है, साथ ही, एक्टिव सोरायटिक आर्थराइटिस से पीड़ित वयस्क मरीज़ों के उपचार में भी मदद मिलेगी.
क्या है सोरायसिस और सोरायटिक आर्थराइटिस
सोरायसिस त्वचा में लंबे समय तक चलने वाली ऑटो-इम्यून बीमारी है जिसमें लगातार जलन की वजह से त्वचा पर सूखे, मोटे, उभरे हुए और लाल धब्बे पड़ जाते हैं और इससे सफेद चकत्ते लगातार बने रहते हैं. इन चकत्तों से मरीज़ों को बहुत परेशानी होती है क्योंकि इसमें लगातार खुजली होती रहती है. इससे कपड़े पहनने, टहलने, खाना पकाने और टाइपिंग जैसी रोज़ की गतिविधियों पर असर पड़ सकता है. कई अध्ययनों से पता चला है कि गंभीर रूप से सोरायसिस से पीड़ित मरीज़ों में अवसाद यानी डिप्रेशन होने की आशंका होती है और कई बार ऐसे लोगों में आत्महत्या जैसी भावनाएं भी पनप सकती हैं. सोरायसिस की वजह से जोड़ों में दर्द की समस्या भी हो सकती है जिसे सोरायटिक आर्थराइटिस कहते हैं. शोध से पता चला है कि सोरायसिस के मामलों में जलन पूरे शरीर में बनी रहती है और इससे सोरायसिस के साथ-साथ हृदय रोगों, डायबिटीज़, किडनी की बीमारियों और पेट में जलन से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
भारत में कितने लोग हैं इस बीमारी से प्रभावित
सोरायसिस एक गंभीर, इम्युनिटी को नुकसान पहुंचाने वाली, आंतरिक सूजन से संबंधित बीमारी है जिससे दुनिया भर में 12.5 करोड़ लोग प्रभावित हैं. भारत में इसके 0.44 फीसदी से लेकर 2.8 फीसदी लोगों में इसके लक्षण देखने को मिलते हैं और सभी सोरायसिस मरीज़ों में से 7 से 42 फीसदी लोगों में सोरायटिक आर्थराइटिस पाया जाता है. यह एक ऐसा प्रोटीन है जो सोरायसिस में सूजन को बढ़ाने और उसे बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
क्या बोले कंपनी के निदेशक
एली लिली एंड कंपनी इंडिया एंड इंडिया सबकॉन्टिनेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत गुप्ता ने कहा, डर्मेटोलॉजी के क्षेत्र में हमारी इस शुरुआत से भारत में इनोवेटिव दवाएं लाने के लिली के वादे को पूरा करने में मदद मिली है. वैश्विक अध्ययनों से पता चलता है कि मरीज के जीवन पर सोरायसिस का असर कैंसर और हार्ट फेल जैसी गंभीर बीमारियों जैसा होता है. कोपेलर (इक्सीकिज़ूमैब) जैसे नए उपचार के उपलब्ध होने से स्वास्थ्यसेवा प्रदाताओं को मध्यम से लेकर गंभीर प्लाक सोरायसिस और एक्टिव सोरायटिक आर्थराइटिस से पीड़ित वयस्कों का सफलतापूर्वक उपचार करने का एक और विकल्प मिल जाएगा जिसकी देश में भारी कमी है. यह पहले से भरे हुए ऑटोइंजेक्टर के सिंगल डोज़ में 80 एमजी प्रति एमएल के स्ट्रेंथ में उपलब्ध है.
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