होम / बिजनेस / अपने टैक्स के दायरे को कम करने के लिए क्या करें उपाय?
अपने टैक्स के दायरे को कम करने के लिए क्या करें उपाय?
इसके लिए सबसे अहम है कि आप ये तय करें आपको किस टैक्स दायरे में रहना है. क्या आप न्यू टैक्स दायरे में रहना है या ओल्ड टैक्स सिस्टम में रहना है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 9 months ago
भले ही इस साल आपका इंक्रीमेंट हो गया हो या होने वाला हो लेकिन जरूरी ये है कि आप अपनी सैलरी को सही से मैनेज कैसे करते हैं. अपने टैक्स को बचाने के लिए आप किन तरीकों का चयन करते हैं. आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि आप ऐसे कौन से उपाय अपनाएं जिससे आपकी टैक्स लॉयबिलिटी कम हो सके.
सही स्लैब का करें चयन?
सबसे पहले आपको ये देखना होगा कि आपकी टैक्स सेविंग के लिए कौन सा टैक्स स्लैब सही है. न्यू टैक्स स्लैब पुराने टैक्स स्लैब से कुछ मायनों में अलग है. न्यू टैक्स स्लैब और ओल्ड टैक्स स्लैब के अलग-अलग फायदे हैं. पुरानी कर व्यवस्था में करदाताओं को उपलब्ध सभी प्रमुख छूट और कटौतियों की अनुमति नहीं है. जबकि नई कर व्यवस्था में वेतनभोगी व्यक्ति एलटीए, एचआरए, 50,000 रुपये की मानक कटौती के लिए छूट का दावा कर सकते हैं.आप दोनों टैक्स सिस्टम से अपना टैक्स कैलकुलेट करने के बाद ये निर्णय कर सकते हैं कि आपके लिए कौन सा बेहतर है.
अगर आप 80 सी का इस्तेमाल पर्याप्त करते हैं तो
जानकारों का कहना है कि अगर आप सेक्शन 80 सी के दायरे को बढ़ाते हैं तो उसका ज्यादा फायदा आपको मिल सकता है. साथ ही अपनी सैलरी में मौजूद कर कटौती का लाभ उठाते हैं. इनमें एचआरए को क्लेम करना, सीटीसी को रीइंबर्समेंट करने जैसे उपाय शामिल हैं.यही नहीं टैक्स फाइल करने वाली संस्था क्लियर टैक्स पर टैक्स फाइल करने वाले 15 प्रतिशत लोगों को ही नई व्यवस्था से लाभ हुआ है.
नहीं करते किसी टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश….
अगर आप किसी भी टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश नहीं करते हैं तो ऐसे में आपको नई कर व्यवस्था को चुनना चाहिए. यही नहीं अगर आप किसी भी तरह की छूट के योग्य नहीं हैं तो ऐसे में भी आपके लिए नई कर व्यवस्था को चुनना चाहिए. अगर आप हाउस प्रॉपर्टी, सैलरी, कैपिटल गेन्स, और दूसरे सोर्स से पैसा कमाते हैं तो ऐसे में आप हर साल अपने स्लैब को सुधार सकते हैं. यदि आप बिजनेस और व्यवसाय से इनकम करते है तो इसमें आपको पुरानी कर व्यवस्था में लौटने का केवल एक मौका मिलता है.
कैसे करें सैलरी को व्यवस्थित?
अपनी सैलरी को सही से मैनेज करने के लिए सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि आपकी बेसिक सैलरी एक महत्वपूर्ण टर्म है. ये कभी भी आपकी सीटीसी का 40 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. बेसिक सैलरी अगर कम होती है तो उसका असर बाकी सभी पहलुओं पर भी पड़ता है. इनकम टैक्स एक्ट में कई तरह के एलाउंस दिए गए हैं. इनमें एचआरए, डीए, टीए, शामिल हैं. अगर आप अपनी बेसिक सैलरी को कम रखने और ज्यादा एलाउंस के लिए बातचीत करने में सक्षम हैं तो ये आपको ज्यादा टैक्स बचाने में मदद कर सकता है. सिर्फ इंडीविजुअल ही नहीं बल्कि नियोक्ता भी अपने टैक्स को बचाने के लिए कई तरह के क्लेम कर सकता है.
इसमें कर्मचारियों को दिए जाने वाले आवास, वर्दी के लिए भत्ते, फूड कूपन, वाई-फाई और मोबाइल जैसे दूरसंचार, पत्रिकाएं, कार लीज और ड्राइवर का वेतन शामिल है. इसी तरह इंडीविजुअल इंटरनेट और मोबाइल बिल का ब्यौरा रखकर उसे भी क्लेम कर सकता है. इसके अतिरिक्त कनवेंस कॉस्ट को भी टैक्स बेनीफिट में जोड़ा जा सकता है. इसके अतिरिक्त होम लोन इंट्रेस्ट, एनपीएस जैसी आपकी सैलरी को सही से मैनेज कर सकती हैं और आपके टैक्स को बचा सकती हैं.
टैग्स