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CBDT ने ओल्ड TDS कटौती को लेकर कंपनियों को दिया ये अहम निर्देश
CBDT ने कहा है कि इस तरह का प्रोसेस हर साल फॉलो किया जाना जरूरी है. कंपनी इसे लेकर अपने कर्मचारी की राय जरूर ले.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
मौजूदा समय में अगर आप टैक्स फाइल करना चाहते हैं तो ये आपके हाथ में होता है कि नई टैक्स व्यवस्था को अडॉप्ट करें या आप पुरानी टैक्स व्यवस्था के अनुसार अपना टैक्स दें. इसी मसले को लेकर CBDT ( सेंट्रल बोर्ड ऑफ डॉयरेक्ट टैक्स) की ओर से ये कहा गया है कि सभी कंपनियों को अपने कर्मचारियों से ये पूछा जाना जरूरी है कि वो अपना TDS आखिर किस व्यवस्था के तहत कटवाना चाहते हैं. सीबीडीटी ने इस बाबत एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें कंपनियों को निर्देश दिया गया है.
सर्कुलर में क्या कहा गया है
CBDT ने स्पष्ट किया है कि एक नियोक्ता को अपने प्रत्येक कर्मचारी से उसकी इच्छित कर व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है. चाहे वो नई व्यवस्था या पुरानी व्यवस्था जिसका भी चयन करना चाहे वो कर सकता है. प्रत्येक कर्मचारी को हर साल की शुरुआत में प्रत्येक वर्ष के लिए अपने नियोक्ता को अपने विकल्प को सूचित करने की आवश्यकता होती है.
अगर कर्मचारी सूचना न दे पाए तो क्या होगा
इस सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि अगर कर्मचारी द्वारा किसी भी सूचना के अभाव में, नियोक्ता यह मान लेता है कि कर्मचारी डिफ़ॉल्ट कर व्यवस्था यानी नई व्यवस्था में बना हुआ है, ऐसे मामले में नियोक्ता धारा 192 के तहत आय पर नई व्यवस्था के तहत यानी धारा 115बीएसी(1ए) के तहत प्रदान की गई दरों के अनुसार करेगा. सीबीडीटी ने आगे स्पष्ट किया है कि ये सूचना केवल टीडीएस के भुगतान के संबंध में है और यह धारा 115बीएसी(6) के संदर्भ में विकल्प का प्रयोग करने की राशि नहीं होगी और तदनुसार, कर्मचारी के पास अभी भी चुनने का विकल्प होगा कि नियोक्ता को दी गई इस तरह की सूचना में लिए गए स्टैंड के बावजूद अपना टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय वो पुरानी या नई किस व्यवस्था में अपना टैक्स दाखिल करना चाहता है.
कंपनी को इसके लिए क्या करना होगा
सीबीडीटी के इस सर्कुलर में कंपनियों के लिए ये भी बताया गया है कि आखिर उन्हें किस तरह से कर्मचारियों इसके लिए सूचित करना है. नियोक्ता को प्रत्येक कर्मचारी को तुरंत एक पत्र/ईमेल के जरिए सूचित किया जाना चाहिए, जिसमें कहा गया हो कि उसे अगले 10 दिनों में 15 अप्रैल, 2023 तक अपनी कर व्यवस्था का चयन करना है. बावजूद इसके यदि किसी भी कर्मचारी से कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है, तो ऐसे कर्मचारियों को एक ईमेल भेजा जा सकता है कि आपके द्वारा कोई जवाब न दिए जाने के चलते डिफ़ॉल्ट व्यवस्था यानी नई व्यवस्था लागू होगी.
वित्त अधिनियम में क्या की गई है व्यवस्था
ये बेहद महत्वपूर्ण बात है कि फाइनेंस बिल 2023 ने नई कर व्यवस्था को डिफ़ॉल्ट विकल्प के रूप में बनाया है, जब तक कि करदाता पुरानी कर व्यवस्था का चयन नहीं करता है तब तक उसे नई कर व्यवस्था का ही हिस्सा माना जाएगा. जबकि वेतनभोगी करदाताओं के पास हर साल से स्विच करने का विकल्प बना रहेगा, जबकि व्यापार या पेशे से जुड़े लोगों के पास नियमित कर व्यवस्था का विकल्प चुनने के बाद केवल एक बार बाहर निकलने का विकल्प होगा. यह सर्कुलर वित्त वर्ष 2023-24 और उसके बाद के वर्षों के दौरान टीडीएस के लिए लागू है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
आईसीएआई के पूर्व प्रेसीडेंट वेद जैन कहते हैं कि प्रत्येक कर्मचारी को उपलब्ध सॉफ्टवेयर की मदद से पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के तहत आय और कर देनदारी की तुलनात्मक गणना करनी चाहिए और उस व्यवस्था को चुनना चाहिए जो अधिक फायदेमंद हो.
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