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BW Gen AI: कहीं AI ने बदल दिए हैं काम करने के तरीके, तो कहीं अभी भी बनी हुई है गुंजाइश
अब तक एआई के द्वारा जो समाधान पेश किए गए हैं उसने हेल्थकेयर से लेकर रिटेल और दूसरे कई सेक्टरों में सॉल्यूशन मुहैया कराए हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
BW GEN AI समिट में एआई के मौजूदा इस्तेमाल से लेकर आने वाले दिनों में उसकी अलग-अलग क्षेत्रों में जो जरूरत महसूस की जा रही है उसे लेकर बातचीत हुई. इस पैनल में एआई कंपनियों से जुड़े कई लोगों ने अपने अनुभवों को साझा किया और कहा कि और बताया कि आज एआई कई क्षेत्रों में काम कर रहा है. इस पैनल में FSSAI की चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर लीली प्रसाद, Nascom ai के प्रोग्राम डॉयरेक्टर माधव बिस्सा, MIT Media Lab के वैज्ञानिक शांतनु भट्टाचार्य और Biz Credit के को फाउंडर और प्रेसीडेंट रमित अरोरा और Ayatiworks Technology के फाउंडर एंड सीईओ उपेन्द्रन नंदाकुमार मौजूद रहे.
AI को लेकर क्या है चुनौती
Nascom ai के प्रोग्राम डॉयरेक्टर माधव बिस्सा ने अपनी बात कहते हुए कहा कि हमारे सामने जो चैलेंज आता है उसमें डेटा, मॉडल टैलेंट और रेगुलेशन सबसे बड़ी चुनौती है. अब जहां तक बात उसके इंप्लीमेंटेशन की बात सामने आती है तो ये दिखता है कि आपकी टीम में कौन शामिल होने जा रहा है वो कितने समय तक वो आपके साथ रहने वाला है. हमारे पास जो डेटा है वो कैसा है. हम अपने चैलेंज को सुलझाने के लिए जिस मॉडल का इस्तेमाल कर रहे हैं वो कैसा है. क्योंकि डेटा समय के साथ बदल रहा है, हर वक्त नई चीजें आ रही हैं. हमारी कैटेगिरी तो एक जैसी ही रहती है. जो भी संस्था एआई या जेन एआई को लागू कर रही है वो उसके सामने हमेशा ही ये चुनौतियां बनी रहती हैं.
एआई से रोज के काम में हो सकती है आसानी
MIT Media Lab के वैज्ञानिक शांतनु भट्टाचार्य ने कहा कि मेरा मानना है कि इसे बड़े पैमाने पर देखे जाने की जरूरत है. मुझे लगता है कि इस वक्त हम लोग एक हाइप साइकिल के मीडिल में हैं. 10 साल पहले जो एआई को लेकर समस्या थी आज वो जेन एआई को लेकर हो गई है. क्या कस्टमर की समस्या एक सीधी लाइन जैसी है. हमारा वो कस्टमर इंटरनल हो सकता है आउटर हो सकता है. इसमे जो चैलेंज है वो डेटा का हो सकता है, टैलेंट का हो सकता है, रेगुलेशन का हो सकता है. कई बार ये भी सवाल उठता है कि हम इसे क्यों कर रहे हैं इसका क्या फायदा होगा.
किसी भी लार्ज कार्पोरेशन में सीनियर लेवल पर 40 से 50 प्रतिशत मेरा काम समराइजेशन करना होता है. मेरे लास्ट जॉब में मुझे एक दिन में 800 ईमेल देखने होते थे. ऐसा कोई रास्ता नहीं होता था जिससे मैं उन्हें देख पाता.मुझे उन्हें समराइज करना होता था. मैं ईमेल देखने के लिए रात में 4 से 5 घंटे तक बिताया करता था. अगर कोई ऐसा इंजन ऐसा होता जो कि उन्हें बॉटम से टॉप तक मेरे लिए समराइज कर सकता तो इससे मुझे बड़ा फायदा होता. वो किसी तरह की प्राइवेसी का उल्लंघन न करे क्योंकि वो कॉर्पोरेट ईमेल थे. जैसे समराइजेशन है उसी तरह से कस्टमर के सवाल, प्रोडक्ट रिसोर्स ये एक बड़ा फायदा दे सकती हैं.
इन सेक्टरों के कामों को आसान बना सकती है तकनीक
FSSAI की चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर लीली प्रसाद ने अपनी बात कहते हुए कहा कि जब हम जेन आई की बात करते हैं तो हमारे जितने भी सरकार के विभाग हैं वो डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सिस्टम की मांग करते हैं, कंटेट क्रिएशन की बात करते हैं, तो हमें हर बार एक आरएफपी लिखना पड़ता है. इसलिए कई सारे आरएफपी हो जाते हैं हमारे पास इसके समराइजेशन का स्कोप होना चाहिए. ये हमारे पास रेडीली उपलब्ध होता है. ये हमारे काम को भी आसान बनाता है. दूसरा हम लोग कई बार FAQ लिखते हैं, क्वेरी लिखते हैं जिसके कारण हमारे पास कई सारा डाटा हो जाता है. इसमें हमारे पास चैटबॉट जैसी चीजें आती हैं जो हमारे काम को आसान बनाती हैं. इसे हम ऑटोमोबाइल सेक्टर में इस्तेमाल कर सकते हैं आ हेल्थकेयर में इस्तेमाल कर सकते हैं. हम अपने प्रोसेस को ऑटोमेशन करने के लिए जेन एआई का इस्तेमाल कर सकते हैं.
चैटबॉट से इस समस्या का किया है समाधान
Ayatiworks Technology के फाउंडर एंड सीईओ उपेन्द्रन नंदाकुमार ने कहा कि हमने दो सेक्टर की इसकी शुरुआत की है.इसमें हेल्थकेयर और रिटेल सेक्टर शामिल है. हेल्थकेयर सेक्टर में एआई की मदद से डाक्टर अपनी वेबसाइट से अब पेसेंट डॉक्टर से सीधे बात कर सकता है और डॉक्टर उनके सवालों का जवाब देते हैं. इसमें मरीज को एक तरह से क्वॉलिटी जवाब मिलता है. इससे फायदा ये होता है कि मुझे एक एक्सपर्ट की सलाह मिलती है ना कि किसी गूगल के जरिए सवालों का जवाब मिलता है. हमने इसमें हाल ही सफलता पाई है.
वहीं अगर रिटेल सेक्टर की बात करें तो वहां भी हमने इसे लॉन्च किया है जहां टेलीकॉलर की बजाए लोग चैटबोट पर अपने सवालों के तेजी से जवाब पाते हैं. इसने इस सेक्टर की ग्रोथ में इजाफा किया है. यहां मेरे दोस्त माधन नरसिम्हन मौजूद हैं जो मेक मॉय ट्रिप से हैं. आज वो अपने क्लाइंट से इस तकनीक के जरिए ऑटोमेटेड तरीके से ईमेल के जवाब दे रहे हैं. इसका सक्सेस रेट भी बेहतर नजर आ रहा है.
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