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Amitabh Kant ने अपनी किताब में दिया भारत को 10 ट्रिलियन की इकॉनमी बनाने का मंत्र
अमिताभ कांत का मानना है कि 2014 से पहले तक कई ऐसे कानून थे, जो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की राह में बाधा थे. PM मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार ने इस दिशा में काफी काम किया.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत (Amitabh Kant) की किताब 'मेड इन इंडिया' इन दिनों काफी चर्चा में है. कांत ने देश के आर्थिक विकास, आर्थिक नीतियों, उनकी सफलता और विफलता को अपने नजरिये किताब में अंकित किया है. रूपा प्रकाशन इंडिया द्वारा प्रकाशित 'मेड इन इंडिया: 75 ईयर्स ऑफ बिजनेस एंड एंटरप्राइज' नामक इस किताब में भारत के विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरने तक के सफर का उल्लेख है.
2014 के बाद के बदलावों का जिक्र
अमिताभ कांत की किताब में विस्तार से बताया गया कि 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद आर्थिक सुधारों को लेकर क्या कदम उठाए गए, जिनसे भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिली. साथ ही इस किताब में प्राइवेट सेक्टर की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया है. कांत इससे पहले 'ब्रांडिंग इंडिया- एन इनक्रेडिबल स्टोरी', 'इनक्रेडिबल इंडिया 2.0', 'एडिटर ऑफ– द पाथ अहेड- ट्रांसफॉर्मेटिव आइडियाज फॉर इंडिया' नामक किताबें भी लिख चुके हैं.
प्राइवेट सेक्टर की भूमिका
नीति आयोग के पूर्व सीईओ ने अपनी किताब में बताया है कि आजादी से पहले दुनिया की GDP में हमारा 24% शेयर था, जो आजादी के बाद घटकर 5% पर आ गया और इसके बाद किस तरह से आर्थिक बदलाव होते चले गए. अमिताभ कांत की ये किताब दरअसल, देश के आर्थिक विकास में प्राइवेट सेक्टर की भूमिका को रेखांकित करती है. इसमें बताया गया है कि हमारी आजादी के 75 सालों में प्राइवेट सेक्टर की भूमिका क्या रही है और भविष्य में ये किस तरह की भूमिका निभाएगा.
काम की आजादी देनी होगी
अमिताभ कांत का मानना है कि 2014 से पहले तक कई ऐसे कानून थे, जो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की राह में बाधा थे. PM मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार ने इस दिशा में काफी काम किया. 2014 के बाद कई रिफॉर्म हुए, स्टार्टअप मूवमेंट को लाया गया, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन हुए. 'ब्रांडिंग इंडिया- एन इनक्रेडिबल स्टोरी', 'इनक्रेडिबल इंडिया 2.0' में बताया गया है कि यदि भारत को 2047 तक 5 या 10 ट्रिलियन की इकॉनमी बनाना है, तो प्राइवेट सेक्टर को काम की आजादी देनी होगी.
इन 4 सेक्टर्स पर फोकस जरूरी
कांत की किताब बताती है कि केंद्र और राज्य सरकारों को नीतियां बनाने और दूसरे कामों तक ही सीमित रहना चाहिए, उन्हें बिजनेस से खुद को पूरी तरह अलग कर लेना चाहिए. सरकारों को बिजनेस का एरिया प्राइवेट सेक्टर के लिए छोड़ देना चाहिए. क्योंकि प्राइवेट सेक्टर की देश के विकास में अहम भूमिका है और वो तेजी से आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है. अमिताभ कांत ने अपनी किताब में कहा है कि यदि भारत को लगातार ग्रोथ चाहिए, तो उसे मुख्यतौर पर चार सेक्टर्स - Manufacturing, Service, Agriculture, Urbanization पर ज्यादा ध्यान देना होगा. कांत का यह भी मानना है कि ग्लोबल वैल्यू चेन में शामिल होने के लिए भारत को बिजनेस करना लगातार आसान बनाना होगा.
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