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महंगाई के चलते गरीबों के घर में ‘शो-पीस’ बना गैस सिलेंडर, गवाही दे रहे आंकड़े
सरकार ने ग्रामीण और वंचित परिवारों के लिए LPG गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) की शुरुआत की थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
मोदी सरकार ने गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत LPG गैस सिलेंडर बांटे थे, ताकि महिलाओं को चूल्हे पर खाना पकाने के लिए मजबूर न होने पड़े. शुरुआत में गरीबों के घर में सिलेंडर पर ही खाना बना, लेकिन लगातार बढ़ती महंगाई और गैस सिलेंडर के आसमान छूते दाम की वजह से ये सिलेंडर अब शो-पीस बनकर रह गए हैं.
विपक्ष के सवाल का जवाब
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के 4.13 करोड़ लाभार्थियों ने एक बार भी LPG गैस सिलेंडर रिफिल नहीं कराया. जबकि, 7.67 करोड़ लाभाथिर्यों ने महज एक ही बार सिलेंडर भरवाया. दरअसल, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा में एक सवाल पूछा था जिसके जवाब में उन्होंने यह जानकारी दी.
महज एक बार कराया रिफिल
मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार से PMUY के ऐसे लाभार्थियों की जानकारी मांगी थी जिन्होंने पिछले 5 सालों में एक बार सिलेंडर रिफिल कराया या नहीं कराया. इस पर मंत्री ने बताया कि 2017-18 के बीच 0.46 करोड़ पीएमयूवाई लाभार्थियों ने सिलेंडर रिफिल नहीं कराया, जबकि 1.19 करोड़ लाभार्थियों ने एक बार सिलेंडर रिफिल कराया. उन्होंने आगे कहा कि 2018-19 के दौरान 1.24 करोड़, 2019-20 के दौरान 1.41 करोड़, 2020-21 के दौरान 0.10 करोड़ और 2021-22 के दौरान 0.92 करोड़ लाभार्थियों ने एक बार भी सिलेंडर नहीं भरवाया. रामेश्वर तेली ने बताया कि 2018-19 के दौरान 2.90 करोड़, 2019-20 के दौरान 1.83 करोड़, 2020-21 के दौरान 0.67 करोड़ और 2021-22 के दौरान 1.08 करोड़ लाभार्थियों ने महज एक बार सिलेंडर रिफिल कराया है.
2016 में हुई थी शुरुआत
बता दें कि मई 2016 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर से ग्रामीण और वंचित परिवारों के लिए LPG जैसे खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) की शुरुआत की गई थी. सरकार के मुताबिक, पारंपरिक ईंधन के उपयोग से ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है. निश्चित तौर पर ये बेहद अच्छी योजना है, लेकिन सिलेंडर के आसमान छूते दामों की वजह से अधिकांश गरीब परिवार फिर से पारंपरिक ईंधन के उपयोग पर लौट आए हैं और सिलेंडर उनके घर में शो-पीस बनकर रह गया है.
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