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क्या होती है Round Tripping, जिसे रोकने के लिए कदम उठाने जा रही है सरकार?
काले धन को सफेद करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं, उन्हीं में से एक राउंड ट्रिपिंग भी है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 10 months ago
देश में कमाए गए धन की राउंड ट्रिपिंग (Round Tripping) रोकने के लिए मोदी सरकार (Modi Goverment) नियमों को सख्त बनाने पर विचार कर रही है. इस संबंध में पिछले साल विदेशी निवेश नियम पेश किए गए थे, अब उन्हें सख्त करने की तैयारी चल रही है. ऐसा इसलिए किया जा सकता है, क्योंकि राउंड ट्रिपिंग से सरकार को बड़ी मात्रा में टैक्स की हानी का सामना करना पड़ता है. सरकार ने 2022 में FEMA (विदेशी निवेश) नियम पेश किए थे, जिन्हें और कड़ा करके राउंड ट्रिपिंग पर लगाम लगाने की कोशिश की जा सकती है.
इस धारा में होगा बदलाव!
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार फेमा (विदेशी निवेश) नियम, 2022 की धारा 19 (3) को और कड़ा करना चाहती है. इस धारा में कहा गया है कि यदि प्रस्तावित निवेश सिर्फ दो सब्सिडियरीज तक सीमित है, तो भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति किसी ऑफशोर यूनिट या उसकी स्टेप-डाउन भारतीय सब्सिडियरीज कंपनी में निवेश कर सकता है. यह निवेश भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्पष्ट अनुमति के बिना भी किया जा सकता है. बता दें कि राउंड ट्रिपिंग अक्सर लेन-देन की एक सीरीज के जरिए होती है.
निवेश की सीमा भी होगी तय
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सरकार ओवरसीज डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (ODI) की शर्तों को भी कठोर कर सकती है. साथ ही बैंकिंग, इंश्योरेंस सेक्टर की विदेशी कंपनी में ODI की शर्तों को बदला जा सकता है. इसके अलावा, निवेश की सीमा भी तय की जा सकती है. माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इस दिशा में बड़ा कदम उठा सकती है. इस प्रस्ताव पर PMO और वित्त मंत्रालय के बीच चर्चा की बात भी कही जा रही है. हालांकि, सरकार की तरफ से अभी कोई बयान जारी नहीं किया गया है.
काला धन होता है सफेद
अब जानते हैं कि आखिर राउंड ट्रिपिंग होती क्या है. सरल शब्दों में कहें तो राउंड ट्रिपिंग किसी व्यक्ति, धन, वस्तु आदि का उस स्थान पर वापस लौट आना, जहां से उसे कहीं भेजा गया था. काले धन को सफेद बनाने के लिए इसका काफी इस्तेमाल होता है. इसके तहत कंपनियां विभिन्न स्रोतों से धन किसी टैक्स हैवन देश में भेजती हैं और वहां से अन्य स्रोत से फिर वापस अपनी किसी भारतीय कंपनी में निवेश करा लेती हैं. इस तरह से काला धन तो सफेद होता ही है, सरकार को दिया जाने वाला टैक्स भी बच जाता है. ऐसा करने के कई स्रोत होते हैं, जैसे कि किसी विदेशी फंड में निवेश करना, ग्लोबल डिपॉजिटरी रीसीट (GDR) या पार्टिसिपेटरी नोट्स (P-Notes) में निवेश करना. इसके बाद विदेश स्थित फंड या कंपनी द्वारा वापस किसी भारतीय एसेट में इन्वेस्टमेंट करना.
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