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BW Class: क्या होती है Gratuity, कंपनी के दिवालिया होने पर भी मिलता है पैसा?
ग्रेच्युटी की गणना में फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी गणना अंतिम सैलरी के आधार की जाती है और इसमें नौकरी की कुल अवधि को शामिल किया जाता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
ग्रेच्युटी (Gratuity) क्या होती है, इसकी कैलकुलेशन कैसे की जाती है और क्या कंपनी के दिवालिया होने पर ग्रेच्युटी मिलती है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब हर नौकरीपेशा के पास होना चाहिए. ग्रेच्युटी किसी नौकरीपेशा व्यक्ति को वेतन के साथ मिलने वाले तमाम तरह के भत्तों में से एक है. हालांकि, इसका लाभ पाने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना होता है.
क्या है ग्रेच्युटी?
ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी को उसकी कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवॉर्ड है. ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी के वेतन का हिस्सा जरूर है, लेकिन भविष्य निधि के विपरीत इसे वेतन से नहीं काटा जाता, जिसका अर्थ है कि कर्मचारियों को इसमें योगदान करने की आवश्यकता नहीं है. आमतौर पर ग्रेच्युटी की रकम तब दी जाती है, जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है, उसे नौकरी से हटाया जाता है या वो रिटायर होता है. इसके अलावा, कर्मचारी की मौत, बीमारी या दुर्घटना की वजह से उसके नौकरी छोड़ने की स्थिति में भी उसे या उसके द्वारा नामित व्यक्ति को ग्रेच्युटी की रकम दी जाती है.
क्या है नियम?
मौजूदा व्यवस्था के तहत यदि कोई शख्स एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है, तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है. हालांकि, सरकार इसमें बदलाव करने पर विचार कर रही है. कुछ वक्त पहले खबर आई थी कि सरकार एक कंपनी में 5 साला नौकरी की बाध्यता को घटाकर एक साल कर सकती है. वर्तमान नियम के तहत 10 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को हर साल आधे महीने की बेसिक सैलरी का कुछ हिस्सा ग्रेच्युटी के तौर पर देना होता है. लेकिन उस स्थिति में ग्रेच्युटी का पैसा फंस जाता है, जब कंपनी दिवालिया हो जाती है क्योंकि इसे लेकर अभी कोई स्पष्ट नियम नहीं है.
कैलकुलेशन की प्रक्रिया?
ग्रेच्युटी की गणना में फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी गणना अंतिम सैलरी के आधार की जाती है और इसमें नौकरी की कुल अवधि को शामिल किया जाता है. ग्रेच्युटी की राशि हर साल 15 दिन के वेतन के बराबर जुड़ती है. हालांकि, 15 दिन का वेतन भी पूरे महीने की सैलरी के हिसाब से नहीं जोड़ा जाता, बल्कि माना जाता है कि हर महीने चार रविवार को छोड़कर सिर्फ 26 दिन ही काम किया गया है. ऐसे में ग्रेच्युटी की गणना के लिए 30 दिन के बजाए केवल 26 दिन को शामिल किया जाता है.
ये फॉर्मूला होता है इस्तेमाल
5 साल की सर्विस पूरी होने पर जिस दिन आप कंपनी छोड़ते हैं, उस महीने में आपकी जितनी सैलरी होगी उसके आधार पर ग्रेच्युटी की गणना होती है. अंतिम सैलरी X नौकरी के वर्ष X 15/26 इस फॉर्मूले के तहत ये कैलकुलेशन की जाती है. उदाहरण के तौर पर मान लीजिये कि किसी व्यक्ति की आखिरी सैलरी 50 हजार रुपए थी. उसकी बेसिक सैलरी 25 हजार थी और उसे 15 हजार का महंगाई भत्ता और 10 हजार रुपए अन्य मद में मिलते थे. इस तरह उसका कुल वेतन 50 हजार रुपए हो जाता था. यदि उसने एक ही कंपनी में 20 साल 10 महीने नौकरी की, तो उसके कुल साल 21 माने जाएंगे. इस पर ग्रेच्युटी की गणना 50 हजार X 21 X 15/26* के आधार पर की जाएगी. इस तरह उसे ग्रेच्युटी के रूप में कुल 6,05,769 रुपए मिलेंगे. *बता दें कि इस गणना के लिए महीने में 26 दिन ही काउंट किए जाते हैं, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है. वहीं एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन होता है.
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