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BW Class: Flex Fuel क्या होता है, आखिर क्यों इसे भविष्य का ईंधन कहा जा रहा है
भारत में अभी पेट्रोल में 10 परसेंट ही एथेनॉल मिक्स किया जाता है, 2025 तक इसे बढ़ाकर 20 परसेंट करने का टारगेट है. अगर ऐसा होता है तो इससे आम आदमी को फायदा होगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: देश में काफी दिनों फ्लेक्स फ्यूल (flex fuel) को लेकर चर्चा गरम है. अभी कुछ दिन पहले Toyota की Corolla Altis Hybrid कार लॉन्च हुई जो कि पहली Ethanol-रेडी फ्लेक्स फ्यूल हाइब्रिड कार है. ये कार अपने आप में खास है क्योंकि ये फ्लेक्स फ्यूल पर चलती है, लेकिन ये फ्लेक्स फ्यूल होता क्या है और सरकार का इस पर इतना जोर क्यों है.
फ्लेक्स फ्यूल (Flex Fuel) क्या होता है
Flex Fuel यानी Flexible Fuel यानी ऐसा ईंधन जो दो ईंधनों को मिलाकर बना हो, जैसे पेट्रोल में इथेनॉल या मेथनॉल को मिक्स करने के बाद जो बनेगा वो फ्लेक्स फ्यूल होगा. फ्लेक्स फ्यूल के अलावा हमने डुअल फ्यूल का भी नाम सुना है, जैसे- कोई कार जब CNG और पेट्रोल दोनों पर चलती है तो उस बाई- फ्यूल कहते हैं, तो फिर फ्लेक्स और बाई- फ्यूल में अंतर क्या है? पहले इसे समझते हैं- बाई- फ्यूल कारों में दो तरह के फ्यूल टैंक होते हैं, एक CNG का और दूसरा पेट्रोल का टैंक होता है. हम इन दोनों फ्यूल में स्विच करते हैं. लेकिन फ्लेक्स फ्यूल में एक ही टैंक होता है, उसमें ही दो फ्यूल का मिश्रण भरा होता है. ये एक मोटा-मोटा फर्क है. फ्लेक्स फ्यूल सामान्य इंजन वाली गाड़ियों में कान नहीं करता है, इसके लिए एक स्पेशल फ्लेक्स फ्यूल इंजन होता है, उसे फ्लेक्स फ्यूल इंजन कहते हैं. फ्लेक्स फ्यूल इंजन दरअसल वो इंजन होते हैं जो पूरी तरह से पेट्रोल ईंधन पर चल सकते हैं, पूरी तरह से बायो-एथेनॉल पर भी चल सकते हैं या फिर दोनों के मिश्रण पर भी चल सकते हैं.
भारत में बिकेंगी फ्लेक्स फ्यूल वाली गाड़ियां
भारत में अभी फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली गाड़ियां नहीं बिकती हैं, लेकिन बहुत जल्द ऐसा होगा. सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी पहले ही इसका ऐलान कर चुके हैं आने वाले समय में देश में सभी पेट्रोल इंजन फ्लेक्स इंजन होंगे. 11 अक्टूबर को नितिन गडकरी ने भारत की पहली फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली कार को हरी झंडी दी, वो कार थी Toyota की Corolla Altis Hybrid. इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की गई है. ये भारतीय सड़कों पर अपनी तरह की पहली कार होगी, जो एथेनॉल मिक्स्ड पेट्रोल से चलेगी. फ्लेक्स फ्यूल टेक्नोलॉजी नई नहीं है, अमेरिका, यूरोप, ब्राजील, चीन जैसे कई देशों में फ्लेक्स फ्यूल वाली कारें चलती हैं. सरकार भी चाहती है कि एथेनॉल को ट्रांसपोर्ट ईंधन की तरह इस्तेमाल किया जाए, ताकि देश पर कच्चे तेल के इंपोर्ट का बोझ कम हो सके, भारत एथेनॉल के उत्पादन में दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा देश है. भारत अब भी पेट्रोल में 10 परसेंट एथेनॉल को मिक्स करके इस्तेमाल करता है, सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक पेट्रोल में एथेनॉल की ब्लेंडिंग को 20 परसेंट कर दिया जाए.
एथेनॉल क्या होता है
ये एक एल्कोहल बेस्ड ईंधन होता है. जो गन्ने से चीनी बनाने की प्रक्रिया में निकलता है, उसे खमीर की प्रक्रिया से गुजारा जाता है. तब एथेनॉल बनता है. ये एक बहुत ही साफ सुधरा और कम प्रदूषण पैदा करने वाला ईंधन होता है. इस एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर चलाया जाता है. इससे दो फायदे होते हैं, पहला तो ये कि प्रदूषण कम होता है, इससे 35 परसेंट कम कार्बन मोनो ऑक्साइड निकलता है. दूसरा ये कि एथेनॉल मिक्स करने से ईंधन की लागत कम हो जाती है. यानी पर्यावरण और जेब दोनों के लिहाज से एथेनॉल बढ़िया है.
फ्लेक्स फ्यूल से क्या फायदा
भारत में अभी पेट्रोल में 10 परसेंट ही एथेनॉल मिक्स किया जाता है, 2025 तक इसे बढ़ाकर 20 परसेंट करने का टारगेट है. अगर ऐसा होता है तो इससे आम आदमी को क्या फायदा होगा, चलिये इसको समझते हैं- अभी ज्यादातर राज्यों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर हैं. इसमें अभी 10 परसेंट एथेनॉल मिलाया जाता है, जिसका भाव 65 रुपये के आस-पास है. अब मान लीजिये कि 10 परसेंट की जगह 20 परसेंट एथेनॉल मिलाया जाता है तो मिक्स्ड ईंधन का भाव अपने आप कम होगा. जो पेट्रोल आपको 100 रुपये में मिल रहा है, वो खुद ब खुद सस्ता हो जाएगा, क्योंकि इसमें पेट्रोल का हिस्सा जो अभी 90 परसेंट है, 80 परसेंट हो जाएगा. आपको बता दें कि ब्राजील जैसे देश तो गाड़ियों में 40 परसेंट एथेनॉल ब्लेंडिंग का इस्तेमाल करते हैं.
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