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BW Class: क्या होते हैं IPO के एंकर निवेशक, आखिर क्या होता है इनका रोल
आसान शब्दों में कहें तो एंकर निवेशक आम निवेशकों और IPO लाने वाली कंपनी के बीच एक पुल का काम करते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
मुंबई: आप भी IPO में पैसा लगाते हैं, तो आपने एंकर इनवेस्टर के बारे में जरूर सुना होगा. आखिर ये एंकर इनवेस्टर्स क्या होते हैं और इनका IPO में क्या रोल होता है. हम और आपके जैसे रिटेल निवेशकों से कैसे अलग होते हैं. इन्हीं सब बातों को समझने की कोशिश करेंगे.
एंकर इनवेस्टर्स क्या होते हैं?
एंकर इनवेस्टर्स ऐसे संस्थान होते हैं जिन्हें IPO के शेयर एक तय कीमत पर आम जनता के लिए खुलने से पहले ही आवंटित किए जाते हैं. दरअसल, एंकर निवेशक और कोई नहीं बल्कि क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बॉयर्स (QIB) होते हैं. जैसे कि कोई संस्थान, म्यूचुअल फंड और पेंशन फंड वगैरह. ये बड़ी मात्रा में IPO के शेयरों को खरीदते हैं.
आमतौर पर ये IPO खुलने के एक दिन पहले होता है. जैसा कि नाम से ही जाहिर है, ये किसी भी IPO के लिए एंकर का काम करते हैं, ताकि रिटेल निवेशकों का भरोसा बढ़ सके. अगर आसान शब्दों में कहें तो आम निवेशकों और IPO लाने वाली कंपनी के बीच एक पुल का काम करते हैं.
एंकर इनवेस्टर्स के लिये नियम
मार्केट रेगुलेटर सेबी साल 2009 में एंकर इनवेस्टर की परिकल्पना को लेकर आया था. एंकर निवेशकों के लिए कुछ तय मापदंड हैं. जैसे -
1. हर एंकर निवेशक को कम से कम 10 करोड़ रुपये का निवेश करना होता है
2. एंकर निवेशकों को आवंटित शेयरों का 30 दिनों का लॉक-इन पीरियड होता है, वो अपने शेयर कम से कम 30 दिन तक किसी को न बेच सकते हैं.
3. जिस तरह रिटेल निवेशक लिस्टिंग गेन पर मुनाफा कमा सकते हैं, एंकर निवेशक ऐसा नहीं कर सकते हैं.
4. कुल इश्यू साइज का करीब 30 परसेंट एंकर निवेशकों को अलॉट किया जा सकता है
5. एंकर निवेशकों का एक तिहाई हिस्सा घरेलू म्यूचुअल फंड के लिए आरक्षित रखा जा सकता है
6. एंकर निवेशक श्रेणी के तहत परिवार का कोई भी सदस्य, रिश्तेदार, मर्चेंट बैंकर या प्रमोटर शेयरों के लिए आवेदन नहीं कर सकता है
7. एंकर निवेशकों को शेयर एक निश्चित कीमत पर खरीदने होते हैं. अलॉटमेंट प्राइस शेयरों के प्राइस बैंड के अंदर होता है.
8. अगरबुक-बिल्डिंग प्रक्रिया के दौरान तय की गई कीमत उस कीमत से अधिक है जिस पर एंकर निवेशकों को आवंटन किया जाता है, तो उन्हें मूल्य अंतर का भुगतान करना होता है
9. यदि बुक बिल्डिंग की कीमत एंकर निवेशकों को आवंटन किए गए मूल्य से कम है, तो उन्हें मूल्य अंतर वापस नहीं मिलता है.
10. अगर ऑफर ₹250 करोड़ से कम है तो कम से कम 15 एंकर निवेशक हो सकते हैं, ऑफर साइज ₹250 करोड़ से अधिक है, तो एंकर निवेशकों की संख्या 25 तक बढ़ाई जा सकती है.
लॉक इन पीरियड के नियम
पहले 30 दिन का लॉक इन पीरियड खत्म होने के बाद एंकर निवेशक अपने सारे शेयर बेच सकता था, जिसकी वजह से मार्केट में काफी उथल पुथल देखने को मिलती है, इससे इससे छोटे रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी काफी हद तक प्रभावित होती है. इसलिए मार्केट रेगेलुटर सेबी ने 1 अप्रैल 2022 से इसके नियमों में बदलाव किया. अब 30 दिन का लॉक इन पीरियड खत्म होने के बाद वो अपने आधे शेयर बेच सकता है, फिर 90 दिनों के बाद सारे शेयरों को बेच सकता है. एंकर निवेशकों की वजर से ही रिटेल निवेशकों में भरोसा पैदा होता है. अगर कुछ बड़े निवेशक आईपीओ में निवेश करते हैं, तो यह भी संकेत देता है कि इश्यू अच्छा है. लेकिन सिर्फ एंकर निवेशकों के आधार पर फैसले नहीं लेना चाहिए. इसके लिए एक रिटेल निवेशक को कंपनी के बुनियादी सिद्धांतों का विश्लेषण करके सही कीमत ढूंढना चाहिए.
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