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महंगाई की मार से परेशान अभिभावक, लेना पड़ रहा है कैब का सहारा
खाने-पीने के साथ महंगाई हर ओर अपना सिर उठा रही है। हालात ये हैं कि किताबों और यूनिफॉर्म के साथ-साथ बाकी महंगाई के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट की फीस में हुआ इजाफा भी आम आदमी के लिए परेशानी का सबब बन रहा है.
ललित नारायण कांडपाल 1 year ago
बच्चों को स्कूल पढ़ाना दिन प्रति दिन मुश्किल काम होता जा रहा है. हालात ये हैं कि किसी एक जगह महंगाई हो तो पेरेंट्स संभाल भी लें, किताबों की कहानी तो हमने आपको बताई ही लेकिन साथ ही माता पिता पर बसों की महंगाई का असर भी बड़े पैमाने पर देखने को मिल रहा है. सभी स्कूलों ने ट्रांसपोर्ट चांर्जेस में 10 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा कर दिया है, जिसके कारण बसों का चार्ज बढ़ गया है. अब ऐसे में माता-पिता ने कैब का विकल्प देखना शुरु कर दिया है. हालांकि माता पिता इन कैब में बच्चों की सुरक्षा को लेकर उतने सुनिश्चित नहीं हो पाते हैं जितने बसों में होते हैं. लेकिन समझौता करना पड़ रहा है.
स्कूल बसों ने बढ़ाया ट्रांसपोर्ट का चार्ज
दरअसल महंगाई के इस दौर में वैसे तो सभी चीजें महंगी हो रही हैं. लेकिन स्कूलों के ट्रांसपोर्ट के दाम भी बड़े पैमाने पर बढ़े हैं. माता-पिता के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब ये है कि इसका कोई तय मापदंड नहीं है. किसी ने 10 प्रतिशत तक का दाम बढ़ाया है तो किसी ने उससे ज्यादा तक इजाफा कर दिया है. यही नहीं दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात ये भी है कि इसी महंगाई के कारण अब माता-पिता को मजबूरन स्कूल बस की जगह कैब के विकल्प पर जाना पड़ रहा है. कैब में बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है.
कुछ एरिया तो कुछ दूरी के हिसाब से बढ़ाते हैं दाम
दरअसल स्कूल बसों के किराए में होने वाले इस इजाफे का कोई क्राइटेरिया नहीं है. कोई एरिया के अनुसार दामों में इजाफा कर देता है तो कोई किमी के अनुसार दामों में इजाफा करता है. कई माता पिता कहते हैं कि इसे लेकर कोई पॉलिसी नहीं है. आखिर किस आधार पर किराए में इजाफा होगा इसे लेकर माता पिता दुविधा में रहते हैं. अशोक नगर में रहने वाले अमृत पांडे कहते हैं पहले हमारी स्कूल बस में 1000 रुपये लगते थे लेकिन बाद में वो बढ़कर 1200 रुपये हो गया. जबकि हमारे घर से स्कूल की दूरी कुछ ज्यादा दूर नहीं है.
इसके कारण हमने कैब का विकल्प चुन लिया. इसी तरह सेक्टर 57 में रहने वाले धर्मेन्द्र कहते हैं पहले उन्हें 1500 रुपये देने पड़ते थे लेकिन वो बढ़कर 1800 रुपये हो गया, जिसके बाद उन्होंने कैब का विकल्प चुन लिया. वहीं कुछ माता पिता ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि उनके वहां की खराब सड़कों के कारण ज्यादा चार्ज बढ़ा है.
सिर्फ बस नहीं, यूनिफॉर्म और किताबों की भी है महंगाई
माता-पिता की शिकायत ये भी है कि सिर्फ एक तरह की महंगाई हो तो उसे देखा जाए यहां तो स्कूल बस के साथ-साथ किताबों से लेकर यूनिफॉर्म के दामों में तक इजाफा हो गया है. हर जगह दाम इजाफा माता-पिता के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है.
वैन में सुरक्षा से करना पड़ता है समझौता
माता-पिता का कहना है कि स्कूल बसों में सुरक्षा को लेकर वो लोग आश्वस्त रहते हैं लेकिन कैब में सुरक्षा को लेकर चिंता बहुत सताती रहती है. बच्चा कहां से जा रहा है कहां तक पहुंचा इसकी जानकारी उन्हें स्कूल बसों में लोकेशन के जरिए मिल जाती है. जबकि कैब में ऐसी कोई सुरक्षा या व्यवस्था नहीं होती है. इसे लेकर वो हमेशा ही चिंतित रहते हैं.
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