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5G लॉन्च होने के बाद बढ़ने लग गए ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड के मामले
कस्टमर्स से सर्विस को अपग्रेड करने के लिए ओटीपी मांगा जा रहा है, जिसके बाद उनसे फ्रॉड किया जा रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः टेलीकॉम कंपनियों द्वारा 5G के रोलआउट के साथ ही देश भर में फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों में तेजी देखने को मिली है. यह फ्रॉड सिम को अपग्रेड करने की प्रक्रिया में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. 5जी के वाणिज्यिक रोलआउट की घोषणा ने उपभोक्ताओं को उन्नत इंटरनेट सेवाओं का उपयोग करने के लिए उत्सुक बना दिया है.
चेक प्वाइंट सॉफ्टवेयर के प्रबंध निदेशक, भारत और सार्क, सुंदर बालासुब्रमण्यन ने कहा कि घोटालेबाजों ने वित्तीय धोखाधड़ी करने के इस अवसर को भुना लिया है. "यह आश्चर्य की बात नहीं है कि हम फिशिंग हमलों की संख्या में वृद्धि देख रहे हैं, विशेष रूप से भारत में, जहां 2021 में 492.7 मिलियन के साथ दुनिया में (चीन के बाद) दूसरे सबसे अधिक स्मार्टफोन यूजर्स हैं."
ऐसे हो रहा है फ्रॉड
कस्टमर्स से सर्विस को अपग्रेड करने के लिए ओटीपी मांगा जा रहा है, जिसके बाद उनसे फ्रॉड किया जा रहा है. ऐसे में यूजर्स के अकाउंट से पैसा निकाला जा रहा है. इस मामले में एक सरल उदाहरण एक टेलीकॉम कंपनी से होने का दावा करने वाले एक शख्स किसी व्यक्ति का ईमेल या टेक्स्ट या वॉयस कॉल करेगा और कुछ आकर्षक सौदों के साथ मुफ्त 5G अपग्रेड की पेशकश करता है. बदले में वे एक लिंक पर क्लिक करने के लिए कहते हैं या फोन में एक ओटीपी दर्ज करते हैं जो हैंडसेट को मैलवेयर भेजता है, जिससे यह हैकिंग के लिए खुला रहता है. ओटीपी पर निर्भरता काफी बढ़ गई है, क्योंकि लोग अब अधिक ऐप का उपयोग करते हैं, स्कैमर भी उस मार्ग का उपयोग लोगों को धोखा देने के लिए कर सकते हैं.
अगर सिम से जुड़े/5जी से जुड़े वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों को रोकने की कोई उम्मीद है तो आने वाले दिनों में उपभोक्ता शिक्षा और जागरूकता सर्वोपरि होगी. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण(ट्राई) ने पहले ही इस बारे में एक एडवाइजरी जारी कर दी है और नियामकों की एक संयुक्त समिति (जेसीओआर) के गठन की घोषणा की है, जिसमें स्वयं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और उपभोक्ता मंत्रालय शामिल हैं.
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