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इस बार थाली में सब्जी का स्वाद नहीं बिगाड़ेगा प्याज, कीमतों को ऐसे कंट्रोल करेगी सरकार
हर साल प्याज की कीमतों को लेकर के अगस्त से लेकर के सितंबर तक हायतौबा मची रहती थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः इस साल दिवाली से पहले अगले तीन महीनों तक प्याज किसी भी आम आदमी की थाली में परोसी गई सब्जी का स्वाद नहीं बिगाड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि प्याज की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए जहां एक तरफ सरकार ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है, वहीं पड़ोसी देशों की नाजुक अर्थव्यवस्था से होने से प्याज की देश से बाहर डिमांड न के बराबर है.
अगस्त से सितंबर तक मची रहती थी हायतौबा
हर साल प्याज की कीमतों को लेकर के अगस्त से लेकर के सितंबर तक हायतौबा मची रहती थी. बारिश के मौसम में कमजोर आवक के चलते मंडियों में भी मारामारी रहती थी, जिससे प्याज की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच जाती थीं. लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं होगा.
प्याज का सरकार ने तैयार किया बफर स्टॉक
केंद्र सरकार ने देश में इस बार बारिश के मौसम से पहले ही प्याज का बफर स्टॉक तैयार कर लिया है. इससे देश में इतना प्याज फिलहाल मौजूद है, जिससे देश का भी काम चल जाएगा और सरकार अगर चाहे तो वो बाहर भी निर्यात कर सकती है. हालांकि अभी तक सरकार ने प्याज को बाहर निर्यात करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है. इसका कारण ये है कि अगर निर्यात को खोला गया तो फिर कुछ दिनों में ही व्यापारी प्याज की जमाखोरी करके प्याज कम होने की बात कहेंगे और कीमतों को बढ़ा देंगे. कुछ सालों के कड़वे अनुभवों का लाभ उठाते हुए सरकार ने चालू सीजन में प्याज की महंगाई पर काबू पाने की अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिया है.
नैफेड ने खरीदा इन राज्यों के किसानों से प्याज
महंगाई पर नजर रखने वाली अंतर मंत्रालयी सचिवों की समिति ने रबी सीजन (मार्च से मई के बीच वाले) के प्याज का बफर स्टॉक बनाने का फैसला कर लिया. इसी के तहत सहकारी संस्था नैफेड ने चरणबद्ध तरीके से महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के किसानों से प्याज की खरीद की है. प्याज का निर्धारित बफर स्टॉक 2.5 लाख टन पूरा कर लिया गया है.
पड़ोसी मुल्कों की गिरती अर्थव्यवस्था का पड़ा असर
इस बार पड़ोसी मुल्कों जैसे कि श्रीलंका और बांग्लादेश की हालत काफी पतली हो गई है. इन देशों से बार भारतीय प्याज की डिमांड न के बराबर है. बांग्लादेश ने न केवल प्याज के आयात पर सीमा शुल्क को बढ़ा दिया है, वहीं श्रीलंका दिवालिया होने की स्थिति में है. ऐसे में इन दोनों देशों से प्याज की डिमांड इस बार आई नहीं है. रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुई स्थितियों में प्याज के पाउडर और सूखे प्याज का निर्यात भी 20 फीसद से अधिक प्रभावित हुआ है.
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