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New India: पर्सनल लोन लेकर हो रहे शौक पूरे, Credit Card से जमकर खरीदारी
रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि अगस्त में पर्सनल लोन लेने वालों की संख्या बढ़ी है. साथ ही क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में भी तेजी आई है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
एक कहावत है 'कर्ज लेकर घी पीना'. यानी जेब खाली होने पर भी कर्जा लेकर शौक पूरे करना. कुछ ऐसा ही आजकल होता नजर आ रहा है. फेस्टिवल सीजन में लोग कर्ज लेकर जमकर खरीदारी कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में RBI के हवाले से बताया गया है कि अगस्त में पर्सनल लोन (Personal Loan) लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. इस दौरान, पर्सनल लोन 30.8% बढ़कर 47.70 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है. जबकि अगस्त 2022 में यह आंकड़ा 36.47 लाख करोड़ रुपए था.
क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बढ़ा
आंकड़े बताते हैं कि क्रेडिट कार्ड (Credit Card) से लिया जाने वाला कर्ज 30% बढ़ा है, जो एक साल पहले 26.8% बढ़ा था. इसी तरह, शिक्षा के क्षेत्र में कर्ज 11% की तुलना में 20% बढ़ा है. वाहन लोन के साथ-साथ गहने आदि गिरवी रखकर कर्ज लेने की रफ्तार सालाना आधार पर 20.6% और 22.1% बढ़ी है. बता दें कि बीते कुछ सालों में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल काफी बढ़ा है. शॉपिंग में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती है, क्योंकि जेब से तुरंत पैसा नहीं निकालना होता.
एक महीने में इतने करोड़ खर्च
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मुताबिक, भारतीयों ने केवल अगस्त में ही 1.47 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा क्रेडिट कार्ड से खर्च किए हैं. इसी साल मार्च में पहली बार क्रेडिट कार्ड से खर्च एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया था. इसके बाद हर महीने क्रेडिट कार्ड से होने वाली खरीदारी बढ़ती गई और अगस्त में यह आंकड़ा 1.47 लाख करोड़ रुपए जा पहुंचा. एक तरफ जहां क्रेडिट कार्ड से खरीदारी बढ़ रही है, वहीं बचत में लगातार कमी आ रही है. अगस्त में भारतीय परिवारों की बचत पिछले 16 वर्षों में सबसे कम रही है.
अभी और बढ़ेगा इस्तेमाल
आने वाले दिनों में पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड से होने वाली खरीदारी में इजाफा देखने को मिल सकता है. दशहरा, दिवाली के लिए बड़े पैमाने पर खरीदती होती है. लिहाजा, माना जा रहा है कि क्रेडिट कार्ड तेजी से स्वाइप होंगे. फेस्टिवल सीजन के मद्देनजर लगभग सभी बड़े ब्रैंड आकर्षक ऑफर पेश करते हैं, जिससे शॉपिंग का आंकड़ा और बढ़ जाता है. क्रेडिट कार्ड पैसों की तात्कालिक कमी को पूरा करने का अच्छा विकल्प तो है, लेकिन कई बार इससे इतनी ज्यादा खरीदारी हो जाती है कि बाद में चुकाना मुश्किल हो जाता है.
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