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Income Tax पर ऐतिहासिक फैसला, अब यहां मिलेगी टैक्स कटौती से मुक्ति!
सारी समस्या बस इस बात की है कि क्या मुआवजे के रूप में प्राप्त हुए किराए को कमाई माना जाए या फिर नहीं?
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago
जब भी आपकी सोसायटी को रि-डेवलप किया जाता है तो बिल्डर द्वारा रि-डेवलपमेंट के दौरान दूसरी जगह किराए पर रहने के लिए किराया दिया जाता है. इस किराए को आपकी कमाई माना जाता था और इसीलिए इस पर इनकम टैक्स के द्वारा टैक्स भी लगाया जाता था. लेकिन हाल ही में ITAT (इनकम टैक्स अपील ट्रिब्यूनल) द्वारा एक फैसला सुनाया गया है जिसके बाद सब कुछ बदलता हुआ नजर आ रहा है.
राजीव की कहानी
ये कहानी मुंबई में रहने वाले राजीव की है, जिन्होंने एक को-ऑपरेटिव सोसायटी में घर लिया था. 50 साल पुरानी इस सोसायटी को जब रि-डेवलप किया जाने लगा तो राजीव को दूसरी जगह कमरा किराए पर लेकर रहना पड़ा और प्रावधान के अनुसार रि-डेवलपमेंट करवाने वाले बिल्डर ने उन्हें दूसरी जगह रहने के लिए किराया भी दिया. लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब राजीव के किराए पर इनकम टैक्स की नजर पड़ी और इनकम टैक्स विभाग ने उनके इस किराए को उनकी कमाई मानकर इस पर टैक्स लगाना शुरू कर दिया.
ITAT का फैसला
राजीव की ही तरह बहुत से लोगों को इस समस्या से गुजरना पड़ता है लेकिन हाल ही में ITAT ने जो फैसला सुनाया है उसके बाद सब कुछ बदल सकता है. ITAT की मुंबई स्थित शाखा ने कहा है कि रि-डेवलपमेंट प्रोग्राम की वजह से फ्लैट के पुराने मालिक को बिल्डर से मुआवजे के तौर पर प्राप्त हुए किराए पर टैक्स देने की जरूरत नहीं है. जब भी किसी पुरानी हाउसिंग सोसायटी को रि-डेवेलोप किया जाता है तो बिल्डर द्वारा फ्लैट के मालिकों को या तो रहने के लिए जगह उपलब्ध करवाई जाती है या फिर मुआवजे के तौर पर रि-डेवलपमेंट के दौरान कहीं और रहने के लिए किराया प्रदान करता है.
क्या कहता है इनकम टैक्स एक्ट?
आमतौर पर इन पैसों का इस्तेमाल दूसरी जगह पर रहने के लिए ही किया जाता है लेकिन इनकम टैक्स एक्ट के तहत किराए के रूप में प्राप्त हुई कमाई पर भी टैक्स लगता है. सारी समस्या बस इस बात की है कि क्या मुआवजे के रूप में प्राप्त हुए किराए को कमाई माना जाए या फिर नहीं? ITAT ने फैसला सुनाते हुए कहा कि रि-डेवलपमेंट के दौरान किसी भी शख्स को प्राप्त हुए किराये पर टैक्स नहीं लगेगा. बेंच ने कहा है कि मुआवजे के तौर पर मिलने वाला किराया एक तरह की कैपिटल रिसीप्ट है और किसी तरह की कमाई नहीं है और इसीलिए फ्लैट के मालिक को मुआवजे के तौर पर मिलने वाले किराए पर टैक्स नहीं लगेगा.
क्या है पूरा मामला?
ITAT द्वारा यह फैसला अजय पारसमल कोठारी द्वारा दर्ज की गयी एक अपील की सुनवाई में सुनाया गया है. वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान कंप्यूटर आधारित जांच में यह बात सामने आई कि अजय पारसमल कोठारी ने बिल्डर से जो किराया प्राप्त किया उसे किराये के रूप में इस्तेमाल नहीं किया है और इसलिए उन्हें टैक्स के रूप में 3 लाख 70 हजार रुपये भरने होंगे. अजय ने इसके खिलाफ पहले अपील्स के कमिश्नर से अपील की और फिर ITAT में भी अपील की. अंततः ITAT इस नतीजे पर पहुंचा कि बेशक फ्लैट के रि-डेवलपमेंट के दौरान अजय अपने पिता के साथ रहे और बिल्डर द्वारा मुआवजे के रूप में दिए गए पैसे का इस्तेमाल नहीं किया लेकिन फ्लैट के रि-डेवलपमेंट की वजह से उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा है और इसीलिए मुआवजे के रूप में मिले किराए पर टैक्स नहीं लगेगा.
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