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आजादी@75: RBI से लेकर के पेमेंट बैंक तक के सफर में ऐसा बदल गई बैंकिंग इंडस्ट्री
कृषि, उद्योग, सड़क, बिजली, टेलिकॉम, शिक्षा, रियल एस्टेट सभी के विकास के लिय बैंकों ने भरपूर सहयोग किया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः देश आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इस सफर के विकास में देश के बैंकिंग क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है. कृषि, उद्योग, सड़क, बिजली, टेलिकॉम, शिक्षा, रियल एस्टेट सभी के विकास के लिय बैंकों ने भरपूर सहयोग किया है. 1947 में जहां 664 निजी बैंकों की लगभग 5000 शाखाएं थीं, वहीं आज 12 सरकारी बैंकों, 22 निजी क्षेत्र के बैंकों, 11 स्माल फाइनेंस बैंकों, 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और 46 विदेशी बैंकों की लगभग 1 लाख 42 हजार शाखाएं हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक
वॉयस ऑफ बैंकिंग के संस्थापक अश्विनी राणा के अनुसार, बैंकिंग उद्योग की स्थापना हम लोग रिजर्व बैंक की स्थापना से लेकर के चल सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1935 में, RBI अधिनियम 1934 के तहत जॉन हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिशों पर की गई थी, जिसे भारतीय मुद्रा और वित्त पर रॉयल कमीशन भी कहा जाता था, जो देश का केंद्रीय बैंक है और 1 जनवरी 1949 को राष्ट्रीयकृत किया गया था. हालांकि सबसे पुराना बैंक आज का एसबीआई है जिसकी स्थापना 1806 में हुई थी. रिजर्व बैंक मुख्य रूप से सरकार के व्यावसायिक लेनदेन को सम्पादित करता है, मुद्रा जारी करता है, बैंकिंग का संचालन तथा प्रबंधन पर नियंत्रण करता है, नये बैंकों के लिए लाइसेंस देता है और बैंकों को समय समय पर जरूरत के अनुसार लोन उपलब्ध करवाता है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
राणा के अनुसार 1806 में बैंक ऑफ कोलकाता की स्थापना हुई जो बाद में बैंक ऑफ बंगाल के नाम से जाना गया. 1921 में बैंक ऑफ मुंबई और बैंक ऑफ मद्रास का बैंक ऑफ बंगाल में विलय हो गया जो मिलकर इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया बना. 1 जुलाई 1955 को इम्पीरियल बैंक (Imperial Bank) का नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India) रख दिया गया था. साल 1955 में ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (सब्सिडरी एक्ट) पारित हुआ. अक्टूबर 1955 में स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद SBI का पहला सहयोगी बैंक बना. इन सहयोगी बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ इंदौर, स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर शामिल थे.
बैंकों का राष्ट्रीयकरण
19 जुलाई 1969 को देश के 14 प्रमुख बैंकों का पहली बार राष्ट्रीयकरण किया गया था और वर्ष 1980 में पुनः 6 बैंक राष्ट्रीयकृत हुए थे. राष्ट्रीयकरण के बाद बैंकों की शाखाओं में बढ़ोतरी हुई. शहर से उठकर बैंक गांव-देहात की तरफ चल दिए. आंकड़ों के मुताबिक़ जुलाई 1969 को देश में इन बैंकों की सिर्फ 8322 शाखाएं थीं. 2022 के आते-आते यह आंकड़ा लगभग 88 हजार का हो गया. देश के विकास में इन राष्ट्रीयकृत बैंकों की अहम भूमिका रही और इन बैंकों ने कृषि, उद्योग, सड़क, बिजली, टेलिकॉम, शिक्षा, रियल एस्टेट सभी के विकास के लिये बैंकों ने भरपूर सहयोग किया है.
बैंकों का कंप्यूटराईजेशन
वर्ष 1980 में बेंकिंग में कंप्यूटर की आवश्यकता महसूस हुई और 1988 में रिजर्व बैंक ने डा. रंगराजन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जिसने बैंकों में कंप्यूटर लगाने की सिफारिश की और 1993 में बैंकों में कंप्यूटर लगने शुरू हो गये और समय के साथ-साथ उनमे बदलाव होता गया और आज कंप्यूटर के बिना बैंकिंग संभव ही नहीं लगती. हालाँकि कंप्यूटर से बैकिंग तो आसान और 24 घंटे उपलब्ध हो पाई लेकिन इसके कारण बैंकों में रोजगार की संभावनाएं कम हो गईं.
को-ऑपरेटिव बैंक
भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सहकारिता का महत्वपूर्ण योगदान है. यही सहकारिता का विकास मुख्य रूप में कृषकों को सस्ती दर से ऋण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हुआ है. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सहकारिता आन्दोलन अधिक तेजी से विभिन्न दिशाओं में फैला. सरकार द्वार नियुक्त ”अखिल भारतीय ग्राम-ऋण समिति – 1954” एवं ”बैकुण्ठलाल मेहता समिति – 1960” के सुझावों ने सहकारिता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वर्तमान में देश में 1482 शहरी को-ऑपरेटिव बैंक हैं, जबकि 58 मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक हैं. इन 1540 बैंकों में करीब 8.6 करोड़ जमाकर्ताओं के 4 लाख करोड़ 84 लाख रुपए जमा हैं.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
2 अक्टूबर 1975 को सरकार ने बैंकिंग सुविधाएं गांव तक पहुंचाने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना की. देश भर में आज 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक काम कर रहे हैं जिनकी 22000 शाखाएं हैं. ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में इन बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है.
न्यू जनरेशन प्राइवेट बैंक
वर्ष 1994 में नये प्राइवेट बैंकों का युग प्रारम्भ हुआ. आज देश में 8 न्यू जनरेशन प्राइवेट बैंक, 14 ओल्ड जनरेशन प्राइवेट बैंक, 11 स्माल फाइनेंस बैंक काम कर रहे हैं. लेकिन ये सभी निजी बैंक समाज के एक वर्ग विशेष की तरफ ज्यादा ध्यान देते हैं जबकि सरकारी बैंक समाज के सभी वर्गों के लिए काम कर रहे हैं. 2018 में सरकार ने इण्डिया पोस्ट पेमेंट बैंक की स्थापना की जिसका मकसद पोस्ट ऑफिस के नेटवर्क का इस्तेमाल करके बेंकिंग को गांव-गांव तक पहुंचना था. इसके साथ साथ और कई प्राइवेट पेमेंट बैंकों की भी शुरुआत हुई.
बैंकों का मर्जर
नरसिंहम समिति की सिफारशों पर कार्यवाही करते हुए केन्द्र सरकार ने सबसे पहले 2008 में स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र, 2010 में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर और 2017 में बाकी पांच एसोसिएट बैंकों स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया में विलय कर दिया. अपने स्थापना काल में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कुल 480 ऑफिस थे जबकि आज 24000 से ज्यादा शाखाओं के साथ स्टेट बैंक देश का सबसे बड़ा बैंक है.
वर्ष 2019 में तीन बैंकों- बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक का विलय तथा 1 अप्रैल 2020 से सिंडीकेट बैंक का केनरा बैंक में, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक में, इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में और कारपोरेशन बैंक एवं आंध्रा बैंक को यूनियन बैंक में का विलय कर दिया गया. इसके बाद वर्तमान में सरकारी क्षेत्र के 12 बैंक रह गये हैं. इसके अगले चरण में सरकार की कुछ बैंकों को निजीकरण करने की योजना है.
इंटरनेट बैंकिंग/ ऑनलाइन बैंकिंग
इंटरनेट बैंकिंग एक इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली है जो बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान के ग्राहकों को वित्तीय संस्था की वेबसाइट के माध्यम से वित्तीय लेनदेन की एक शृंखला का संचालन करने में सक्षम बनाती है. ऑनलाइन बैंकिंग, ग्राहकों को उनके नेट बैंकिंग खाते से वित्तीय और गैर-वित्तीय लेनदेन करने की सुविधा प्रदान करती है. इस प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ है कि कोई भी व्यक्ति घर या कार्यालय या कहीं से भी से बैंक सुविधा का लाभ उठा सकता है. ऑनलाइन बैंकिंग इंटरनेट पर बैंकिंग संबंधी मिलनेवाली एक सुविधा है, जिसके माध्यम से कंप्यूटर का इस्तेमाल कर उपभोक्ता बैंकों के नेटवर्क और उसकी वेबसाइट पर अपनी पहुंच बना सकता है. घर बैठे ही खरीददारी, पैसे का ट्रांसफर के अलावा अन्य तमाम कार्यों और जानकारी के लिए बैंकों से मिलने वाली सुविधा का लाभ उठा सकता है. इंटरनेट बैंकिंग एक और जहां बैंकिंग को आसान बनाती है वहीं इसकी सुरक्षा के लिए भी ग्राहकों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. आज देश युवा वर्ग के साथ साथ बाकि के लोग भी इंटरनेट बैंकिंग को अपना रहे हैं और आने वाले कुछ वर्षो में यह संख्या दुगनी हो जायेगी. इंटरनेट बैंकिंग इस्तेमाल करने वाले देशों में भारत कई देशों से आगे है.
पेमेंट बैंक
पेमेंट बैंक एक तरह का सहायक बैंक है, यह कॉमर्शियल बैंक से बिल्कुल अलग होता है. इस तरह के पेमेंट बैंक सिस्टम को 24 नवंबर 2014 को भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश पर जारी किया गया. पेमेंट बैंक जनता की सामान्य बैंकिंग जरूरतों को पूरा करते हैं. पेमेंट बैंक ग्राहक के लिए बचत और चालू खाता खोलने की सुविधा प्रदान करते हैं, लेकिन उन्हें क्रेडिट कार्ड नहीं दे सकते हैं. पेमेंट बैंक के माध्यम से प्रवासी कर्मचारियों को पैसो को जमा करने और प्रवासी मजदूरों द्वारा उनके परिवार को रकम भेजने का काम आसानी से हो जाता है. इसमें ग्राहकों को बिल भुगतान की भी सुविधा दी जाती है, जो की आजकल बहुत ही प्रचलित है. आज देश में 7 पेमेंट बैंक काम कर रहे हैं.
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