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यूपी में मकान बनाना होगा अब और महंगा, जानिए ऐसा क्या होने जा रहा
राज्य के लोगों को मकान बनाने में प्रयुंक्त होने वाली ईंटों की कालाबाजारी होने की संभावना भी हो गई है, क्योंकि सभी ईंट भट्ठा मालिकों ने अगले एक साल तक भट्टों को बंद करने का ऐलान कर दिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में मकान बनाने की लागत में बड़ा इजाफा हो सकता है. इसके साथ ही राज्य के लोगों को मकान बनाने में प्रयुंक्त होने वाली ईंटों की कालाबाजारी होने की संभावना भी हो गई है, क्योंकि सभी ईंट भट्ठा मालिकों ने अगले एक साल तक भट्टों को बंद करने का ऐलान कर दिया है. इसकी वजह है सरकार द्वारा जीएसटी रेट्स को बढ़ाना और कोयले की कीमतों में वृद्धि जिससे उनकी ईंट बनाने की लागत काफी बढ़ गई है.
पूरे प्रदेश में भट्ठा मालिक एक साल तक करेंगे हड़ताल
यूपी ब्रिक्स एसोसिएशन ने कहा है कि लाल ईंट को तैयार करने वाले सभी भट्टा मालिकों ने एक साल तक हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. इस वजह से अक्टूबर से शुरू हो रहे सीजन में किसी तरह की कोई नई लाल ईंट नहीं बनेगी. यूपी में अक्तूबर 2022 से सितंबर 2023 तक ईंट भट्ठे बंद रखने और देश में हड़ताल करने का फैसला लिया गया है. बता दें कि राज्य में 19 हजार ईंट भट्ठे हैं, जो एक वर्ष तक बंद रहेंगे.
क्यों लिया है ये कड़ा फैसला
एसोसिएशन का कहना है कि सरकार भट्ठा पर काम कर रहे श्रमिकों को संविदा पर रखने पर जीएसटी दरों को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया है. वहीं कोयले की कीमत 350 फीसदी बढ़ गई है. इसके अलावा सरकार ने फ्लाई ऐश से बनने वाली ईंट पर जीएसटी को कम करते हुए 20 हजार फुट से ज्यादा की बिल्डिंग व सरकारी निर्माण में इसका प्रयोग करना शुरू कर दिया है. इससे लाल ईंट की मांग न के बराबर रह गई है. केवल छोटे स्तर पर मकान या बिल्डिंग बनाने वाले ही इन ईंटों को ले रहे हैं.
आज भी है छोटे शहरों व कस्बों में लाल ईंट की मांग
प्रदूषण के चलते कई शहरों में एनजीटी के आदेश के चलते भट्ठा बंद हो गए हैं या फिर उनको दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है. लाल ईंट को बनाने के लिए मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है. इसका भी पट्टा मिलने में भट्ठा मालिकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं भट्ठा मालिकों का कहना है कि अब लाल ईंट की डिमांड केवल छोटे शहरों व कस्बों में रह गई है. ऐसे में उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है. फिलहाल एक ईंट का भाव 5.50 रुपये से लेकर छह रुपये तक है. अब भट्ठों के एक साल तक बंद रहने से इनकी कीमतों में इजाफा हो जाएगा, वहीं पड़ोसी राज्यों से इनकी सप्लाई होने लगेगी, जिसका बोझ केवल मकान बनाने वालों पर ही पड़ेगा.
बेरोजगार होंगे लाखों लोग
भट्ठा मालिकों के इस कदम से लाखों लोग जो भट्ठों पर मजूदर के तौर पर काम करते हैं, वो बेरोजगार हो जाएंगे. ऐसे में उनके सामने भी परिवार को चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. वैसे ही देश में बेरोजगारी दर काफी ज्यादा है और उसमें असंगठित क्षेत्र का सबसे ज्यादा योगदान है. इसके कम होने के बजाए यह बढ़ेगी और मजदूरों का पलायन भी दूसरे राज्यों में बढ़ जाएगा, जो काम की तलाश में जाएंगे.
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