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थाम लीजिए दिल, चुनावी मौसम में मिलने वाली है बड़ी राहत; इतना सस्ता होगा Petrol!
अगले कुछ महीनों में मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सरकार जनता को सस्ते पेट्रोल-डीजल का तोहफा दे सकती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago
चुनाव का मौसम आते ही सरकार (Modi Government) को आम आदमी का दर्द दिखाई देने लगता है. उसे महंगाई से कटती जनता की जेब भी दिखाई दे जाती है. इस साल मध्यप्रदेश सहित कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए पहले सरकार को महंगे गैस सिलेंडर (LPG Cylinder) के बोझ से दबे आम आदमी का दर्द नजर आया और अब उसे पेट्रोल की कीमतों में लगी आग से झुलसती जनता भी दिखाई देने लगी है. माना जा रहा है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol Diesel Price) में जल्द ही बड़ी कटौती हो सकती है, फिर भले ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें उछाल पर क्यों न हों. गौरतलब है कि पिछले हफ्ते सरकार ने 14.2 किलो वाले घरेलू LPG सिलेंडर की कीमतों में 200 रुपए की कटौती का ऐलान किया था.
अपनी जेब हल्की करेगी सरकार
घरेलू ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल (JM Financials) के अनुसार, मोदी सरकार दिवाली के आस-पास पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती का ऐलान कर सकती है. जनता के लिए पेट्रोल-डीजल 3 से 5 रुपए प्रति लीटर सस्ता किया जा सकता है. चुनावी मौसम में सरकार अपनी कमाई कम करके जनता को राहत दे सकती है. एक्साइज ड्यूटी या वैट में कटौती करके पेट्रोल-डीजल के दाम कम किए जाएंगे. हालांकि, ब्रोकरेज फर्म का ये भी कहना है कि सरकार के लिए यह फैसला इतना आसान नहीं रहने वाला. रूस और सऊदी अरब साल के अंत तक तेल उत्पादन में कटौती करते रहेंगे. इसी वजह से क्रूड ऑयल के दामों में इजाफा संभव है.
जनता को नहीं दिया है फायदा
पेट्रोल-डीजल के दाम पिछले 15 माह से स्थिर हैं, यानी इनमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं हुआ है. आखिरी बार 21 मई 2022 को पेट्रोल पर 8 रुपए और डीजल पर 6 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क घटाया गया था. तेल कंपनियां क्रूड ऑयल की चढ़ती कीमतों और अपने घाटे का हवाला देते हुए तेल के दाम बढ़ाती रही हैं. पिछले साल जब पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि का दौर चालू था, तब कच्चा तेल 109.51 डॉलर था. लेकिन बाद में इसके काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. क्रूड ऑयल जून 2023 में 75 डॉलर प्रति बैरल से नीचे तक पहुंच गया था, मगर इसके बावजूद पेट्रोल-डीजल सस्ता नहीं हुआ. सस्ते क्रूड ऑयल के सवाल पर कंपनियां कहती आई हैं कि चूंकि उन्हें पहले ही काफी घाटा उठाना पड़ा है, लिहाजा क्रूड ऑयल में नरमी का फायदा को जनता को नहीं पहुंचा सकतीं.
भर गई कंपनियों की झोली
एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में तीनों सरकारी तेल कंपनियों ने 16,700 करोड़ रुपए के घाटे की बात कही थी. हालांकि, अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं. 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में तेल कंपनियों को 31,159 करोड़ रुपए का प्रॉफिट हुआ है. दरअसल, कुछ समय से तेल कंपनियों का कच्चा तेल खरीदने पर होने वाला खर्चा कम हुआ है. 2022 की पहली तिमाही में दुनिया में कच्चा तेल 131 डॉलर प्रति बैरल था, लेकिन हम रूस से सस्ते में उसे हासिल कर रहे थे. इसके अलावा, 2023 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के बीच सऊदी अरब और UAE ने हमें 86 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर तेल दिया. रूस से हमें यह 70 डॉलर से भी कम में पड़ा. इस तरह कंपनियों की तिजोरी भरती चली गई. यदि कंपनियां चाहतीं, तो पहले भी कुछ न कुछ राहत दे सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और सरकार भी इस मुद्दे पर खामोश बैठी.
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