होम / टूरिज्म / आंखों देखा हाल: इटावा सफारी का LIVE रोमांच, सब भूल जाएंगे आप
आंखों देखा हाल: इटावा सफारी का LIVE रोमांच, सब भूल जाएंगे आप
शेर, भालू, तेंदुआ और हिरनों के बाड़े के अतिरिक्त यहां एक 4डी थियेटर भी बनाया गया है, जिसमें वन्य जीवन को बेहद करीब से देखा जा सकता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
जयशंकर गुप्त
सैफई में लोगों से मिलते-मिलाते दिन के दो-ढाई बज गए. निकलते समय उमेश यादव जी ने पूरा सैफई भ्रमण कराया. रास्ते में वह बताते जाते थे कि कहां क्या है. किसकी कोठी, कौन सा कॉलेज, संस्थान, मेला ग्राउंड कब किसने बनवाया. यह भी कि 10 अक्टूबर को सैफई को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलानेवाले नेताजी मुलायम सिंह यादव जी का पार्थिव शरीर कहां रखा गया था और कहां पर उनकी अंत्येष्टि संपन्न हुई थी.
प्रकृति की गोद में खो जाएंगे आप
रास्ते में गौरवशंकर ने इच्छा जाहिर की कि समय है तो इटावा (लॉयन) सफारी भी देख सकते हैं. वहां उनके जिला-जवार के परिचित मनंजय सेवारत हैं. फोन करने पर पता चला कि मनंजय कहीं बाहर हैं और चार बजे सफारी पार्क में मिल सकते हैं. बीच का समय उमेश जी के निवास पर कॉफी पीने में बिताकर हम लोग नियत समय पर सफारी पार्क पहुंच गए. पता चला कि मनंजय उमेश जी के भी करीबी परिचित हैं. बहुत ही मिलनसार प्रवृत्ति के मनंजय ने बड़े ही मनोयोग से सफारी पार्क का भ्रमण करवाया. वह हमारे लिए सारथी-गाइड की भूमिका में थे. हरे भरे घने जंगल के बीच प्रकृति की गोद में आकर बहुत ही नैसर्गिक सुखानुभूति हुई. दिल्ली जैसे महानगर के प्रदूषित माहौल से बाहर इतनी ताजी हवा, खुला और साफ आसमान मन को बहुत भा रहा था.
चंबल घाटी-बीहड़ों का हिस्सा
कभी चंबल घाटी-बीहड़ों का हिस्सा रहे (बगल में यमुना और चंबल नदियां बहती हैं) इस सफारी पार्क की परिकल्पना तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 2003-07 के अपने कार्यकाल में की थी, लेकिन उनकी इस स्वप्निल परियोजना पर काम 2012 में उनके पुत्र अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद शुरू हुआ, जो उनके कार्यकाल में ही साकार भी हुई. बताया गया कि जब कभी अखिलेश सैफई में या आसपास होते हैं तो सपरिवार इस सफारी पार्क में विचरण करने जरूर आते हैं.
जब यहां जाएंगे तो आपको दिखेंगे 9 शावक
इसे पहले लॉयन सफारी पार्क के रूप में जाना जाता था. बाद में इसका नाम इटावा सफारी पार्क कर दिया गया. तकरीबन 350 हेक्टेयर में फैले इस सफारी पार्क की गणना आज एशिया के सबसे बड़े सफारी पार्कों में की जाती है. इस सफारी पार्क में चार तरह की सफारी करवाई जाती है, जिसमें लायन (सिंह-बब्बर शेर) सफारी, डियर (हिरन) सफारी, भालू सफारी और लेपर्ड (तेंदुआ) सफारी शामिल हैं. यहां शेरों का ब्रीडिंग सेंटर भी है. 2016 में गुजरात के गिर शेर अभयारण्य से दो शेर मनन और कान्हा तथा तीन शेरनियां-जेसिका, जेनिफर यहां लाकर बसाए गए थे. इटावा सफारी में पैदा हुए सभी 9 शावक मनन से पैदा हुए थे. इनमें पांच बब्बर शेर सुल्तान, सिम्बा, बाहुबली, भरत, केसरी और चार शेरनी रूपा, सोना, गार्गी और नीरजा हैं. इनमें से आठ शावकों को जेसिका और एक शावक को जेनिफर ने जन्म दिया था.
4डी थियेटर भी है यहां
शेर, भालू, तेंदुआ और हिरनों के बाड़े के अतिरिक्त यहां एक 4डी थियेटर भी बनाया गया है, जिसमें वन्य जीवन को बेहद करीब से देखा जा सकता है. बजट के अभाव में अभी यह बंद पड़ा है. इटावा सफारी पार्क के मुख्य प्रवेश द्वार पर सीमेंट और कंक्रीट से किले के खंडहर की शक्ल देकर शेर तथा अन्य वन्य जीवों की जीवंत मूर्तियां सजाकर रखी गई हैं. पास जाने पर लगता है कि ये मूर्तियां हरकत में आ जाएंगी. 4डी थियेटर के पास ही 1971 के भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध में दुश्मनों को धूल चटानेवाले दो विजयंत टैंक और स्टीम लोकोमोटिव भी रखे गए हैं. इस सफारी पार्क में वन विभाग की गाड़ियों के साथ ही अपने वाहनों से भी सैर की जा सकती है. उसके लिए अलग-अलग दरें निर्धारित हैं. हम लोग हेमंत की किया कार से ही सफारी पार्क में घूमने निकले. सारथी-गाइड के रूप में मनंजय तो थे ही.
पुरुष काले हिरन से यहां जरा बचकर रहें
सबसे पहले हम लोग हिरन सफारी देखने गए. खुले में पास ही सड़क पर और जंगल में भी विचर रहे हिरनों को देख उत्सुकता हुई कि इनकी पृष्ठभूमि में तस्वीरें ली जाएं लेकिन बगल में ही पुरुष काले हिरन को देख मनंजय ने मना कर दिया. उसने बताया कि यह हिंसक होकर सींग मार सकता है. कार में बैठे ही तस्वीरें ली गईं. बाकी हिरन दूर भाग गए. एक जगह बारहसिंगा और सांभर प्रजाति के हिरन भी दिखे. हम लोग काले भालू के बाड़े के पास भी गए. दो भालू मस्ती के साथ पड़े थे. इसके बाद हम लोग आदमखोर तेंदुआ के बाड़े के पास गए. बाड़े में रखे दो तेंदुओं-लकी और ऋचा के बारे में बताया गया कि इन दोनों ने कई लोगों को मार खाया है. समय उनके भोजन का भी हो चला था. बगल के बाड़े में उनके लिए भैंसे का मांस रखा हुआ था.
खूंखार तेंदुओं की आक्रामकता
खूंखार तेंदुओं की आक्रामकता का अंदाज हम लोग उनकी डरावनी दहाड़ से भी लगा सकते थे. तस्वीर खींचने-खिंचवाने के क्रम में हम बाड़े के थोड़ा और करीब पहुंच गए थे. तभी ऊपर बैठा एक तेंदुआ दहाड़ के साथ कूदा. हमें किसी ने परे हटा लिया और बताया कि अंदर बाड़े से हाथ बाहर निकालकर यह झपट्टा मार सकता है. शरीर का जो भी हिस्सा उसकी जद में आया, वह उसका भोजन बन सकता है. हम सहम से गए. सबसे बाद में हम लोग बब्बर शेरों के बाड़े में गए. अभी यहां कुल 18 शेर हैं. वहां एक शेर तो आराम की मुद्रा में लेटा पड़ा था, जबकि एक शेर चहलकदमी कर रहा था. बगल के बाड़े में कुछ शावक अठखेलियां करते नजर आए. बताया गया कि जेसिका बगल में कहीं अपने छोटे शावकों को पाल रही है.
जब अचानक आई सर्पीली सड़क, दुबई की आ गई याद
सर्पीली सड़क पर एक जगह तो मनंजय के बहुत तेज रफ्तार से कार चलाते समय दुबई के डेजर्ट सफारी में रेत के टीबों पर खतरनाक ढंग से चढ़ती-उतरती कार गाड़ियों सा एहसास भी हुआ. सड़क पर ढलान कहीं बहुत नीचे थी तो चढ़ान उसी अनुपात में ऊंची. हेमंत को एकबारगी तो लगा कि जैसे रास्ते में पास कोई खतरनाक जानवर आ गया हो और उससे बचने के लिए गाड़ी तेज रफ्तार से भगा रहे हैं. इसका जिक्र भी उसने किया, लेकिन हंसते हुए मनंजय ने कहा कि वह हम लोगों को सड़क पर झूले का आनंद भी दिलाना चाहते थे. रास्ते में सड़क पर और उसके किनारे भी बड़ी मात्रा में तीतर (पक्षी) दिख रहे थे. मनंजय ने बताया कि यह सब संरक्षित सूची में हैं. इन्हें मारने या पकड़ने की सजा के तौर पर भारी जुर्माना लगता है.
इटावा (लॉयन) सफारी के नैसर्गिक पर्यावास से निकलने का मन तो कतई नहीं हो रहा था, लेकिन शाम हो रही थी और हमें दिल्ली के लिए वापस निकलना भी था. हम जब बाहर निकल रहे थे उस समय भी पर्यटक बड़ी संख्या में सफारी पार्क में घूमने जाने के लिए वन विभाग के बंद वाहन की प्रतीक्षा में थे. पर्यटकों की इस भीड़ के बारे में पता चला कि भीड़ का बड़ा हिस्सा नेताजी, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए सैफई आने वालों तथा यूपी पेट (PET) की परीक्षा देने आए लोगों का है.
आम दिनों में पर्यटकों की संख्या बहुत अधिक नहीं रहती. इसका एक कारण अखिलेश यादव की सरकार जाने के बाद इटावा सफारी पार्क की शुरू हुई उपेक्षा और सरकारी बजट में कटौती भी है. हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भी इटावा सफारी पार्क के रख-रखाव, प्रचार-प्रसार और व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने की बात कही थी लेकिन ऐसा कुछ खास यहां देखने को नहीं मिला, अन्यथा आगरा के विश्व प्रसिद्ध ताजमहल से कार से महज दो घंटे की 125-130 किमी. और लखनऊ हवाई अड्डे से तीन घंटे की 230 किमी की दूरी पर स्थित इस सफारी पार्क में दुनिया भर के वन्यजीव प्रेमी सैलानियों की बाढ़ सी आ सकती है. इटावा सफारी पार्क को बढ़ावा देने की गरज से आगरा-चंबल-इटावा सफारी टूरिज्म सर्किट शुरू करने की बात भी हुई थी लेकिन वह अखबारी सुर्खियों से सतह पर नहीं उतर सकी.
टैग्स