सितंबर 2023 में खत्म हुई तिमाही के दौरान Apple ने भारत में अब तक की सबसे अधिक रिकॉर्ड कमाई दर्ज की है.
पिछले कुछ सालों के दौरान भारत काफी तेजी से दुनिया भर के लिए इन्वेस्टमेंट की सबसे पसंदीदा जगह बनता जा रहा है और ऐसे में दुनिया भर की जानी मानी कंपनियों के लिए भारत महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है. अब जानी-मानी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी एप्पल (Apple) के CEO टीम कुक (Tim Cook) ने बताया है कि एप्पल के लिए भारत का क्या महत्त्व है?
क्या बोले Tim Cook?
एप्पल (Apple) के CEO टीम कुक (Tim Cook) ने कंपनी के लिए भारत के महत्त्व के बार में बात करते हुए कहा कि एप्पल के लिए भारत काफी महत्त्वपूर्ण है और जून 2023 से शुरू होकर सितंबर 2023 में खत्म हुई तिमाही के दौरान एप्पल ने भारत में अब तक की सबसे अधिक रिकॉर्ड कमाई दर्ज की है. भारत में एप्पल काफी तेजी से 2 अंकों वाली मजबूत वृद्धि दर्ज कर रहा है और इन सभी कारणों की वजह से भारत, एप्पल के लिए काफी महत्त्वपूर्ण बनता जा रहा है. इसके साथ ही टिम कुक ने यह भी कहा है कि भारत जैसी विशालकाय ग्लोबल मार्केट में एप्पल की हिस्सेदारी काफी कम है और हम यहां और ज्यादा वृद्धि कर सकते हैं.
Apple, 2023 और भारत
भारत में एप्पल (Apple) के लिए यह साल काफी महत्त्वपूर्ण रहा है. विशालकाय टेक निर्माता कंपनी ने इस साल अप्रैल में मुंबई के BKC में देश का पहला एप्पल स्टोर (Apple Store) खोला था और उसके बाद दूसरा एप्पल स्टोर दिल्ली के साकेत में मौजूद सेलेक्ट सिटीवाक मॉल (Select Citywalk Mall) में खोला गया था. इतना ही नहीं, 6 सालों के लंबे अंतराल के बाद टिम कुक (Tim Cook) दिल्ली आये थे और इन दोनों ही स्टोर्स की ओपनिंग खुद टिम कुक ने की थी. इस मौके पर मुंबई और दिल्ली दोनों ही जगहों पर एप्पल स्टोर के लिए लोगों की काफी भारी-भरकम भीड़ देखने को मिली थी. हाल ही में जब एप्पल की फ्लैगशिप सीरीज iPhone का नया एप्पल iPhone 15 (Apple iPhone 15) लॉन्च किया गया था तब भी एप्पल स्टोर्स की बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली थीं.
रिकवरी मोड में स्मार्टफोन मार्केट
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जून 2023 से सितंबर 2023 के बीच एप्पल ने भारत में अब तक के सबसे ज्यादा स्मार्टफोन शिपमेंट दर्ज किये थे जबकि भारतीय स्मार्टफोन मार्केट की वृद्धि में किसी प्रकार का बदलाव देखने को नहीं मिला था. भारत में काफी तेजी से अपनी मौजूदगी बढ़ाते हुए एप्पल (Apple) ने सालाना आधार पर 34% की वृद्धि दर्ज की थी. यह तिमाही भारत में एप्पल के स्मार्टफोन शिपमेंट के लिए भी काफी शानदार रहा था. इस तिमाही के दौरान भारत में एप्पल द्वारा लगभग 2.5 मिलियन स्मार्टफोन मंगवाए गए थे. पिछले एक साल से भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में लगातार गिरावट देखने को मिल रही थी लेकिन अब भारतीय स्मार्टफोन मार्केट रिकवरी करती हुई नजर आ रही है और इस रिकवरी में फेस्टिव सीजन का भी काफी बड़ा हाथ है.
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अगर आप चाहते हैं कि आपका Google Account बंद न हो तो इस हफ्ते में एक बार अपने अकाउंट में साईन-इन जरूर कर लें.
बहुत से लोग गूगल (Google) पर जाने या अनजाने में अकाउंट बनाकर भूल जाते हैं और फिर वो अकाउंट काफी लंबे समय तक बेवजह पड़ा रहता है. अगर आपका भी कोई गूगल अकाउंट (Google Account) ऐसा है जिसे आपने काफी समय पहले बना लिया था और अब वह अकाउंट इस्तेमाल हुए बिना ऐसे ही पड़ा हुआ है तो यह खबर आपके लिए बहुत काम की खबर साबित हो सकती है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल गूगल (Google) जल्द ही एक मुहीम की शुरुआत करने जा रहा है और जो भी अकाउंट (Google Account) काफी लंबे समय से इस्तेमाल नहीं किये गए हैं या फिर जिनमें साईन-इन नहीं किया गया है, ऐसे अकाउंटों को गूगल बंद कर देगा. अगर आप भी चाहते हैं कि आपका अकाउंट बंद न हो तो सबसे पहले इस हफ्ते के खत्म होने से पहले एक बार अपने अकाउंट में साईन-इन जरूर कर लें. गूगल ने बंद पड़े गूगल अकाउंटों को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव भी किया है. इस साल मई में ही गूगल ने बंद पड़े अकाउंटों को लेकर नई नीति की घोषणा की थी.
Google भेजेगा नोटिस
गूगल (Google) इस नई नीति के अनुसार, अगर आपने पिछले दो सालों में अकाउंट (Google Account) का प्रयोग नहीं किया है तो आपके अकाउंट को स्थायी रूप से डिलीट कर दिया जाएगा. इस मुहीम की शुरुआत शुक्रवार से होगी और ऐसे अकाउंट जिन्हें पिछले दो सालों से बंद पड़ा पाया जाएगा, उन्हें स्थायी रूप से डिलीट कर दिया जाएगा. इस मुहीम के केई दौर होंगे और पहले दौर की शुरुआत शुक्रवार से हो जायेगी. अगर आपका भी कोई अकाउंट ऐसा है जिसे आपने इस्तेमाल नहीं किया है या फिर आप अकाउंट बनाकर भूल गए हैं तो आपको गूगल की तरफ से कई बार सूचना दी जायेगी और अगर आपने उस ईमेल आईडी के साथ कोई रिकवरी मेल जोड़कर रखा है तो आपको रिकवरी मेल पर लगातार नोटिस भी भेजा जाएगा.
Google क्यों डिलीट कर रहा है बंद पड़े अकाउंट?
Google ने जब मई में अपनी नई नीतियों की घोषणा की थी तो बंद पड़े अकाउंटों को सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण भी बताया था. ऐसे अकाउंट जिन्हें बहुत लंबे समय से इस्तेमाल नहीं किया गया है, ऐसे अकाउंट का इस्तेमाल गलत वजहों से किया जा सकता है. क्योंकि ये पुराने अकाउंट होते हैं इसलिए इनमें पुराने पासवर्ड होते हैं और इनमें दो स्तर वाला सिक्योरिटी चेक भी नहीं लगा होता है. इन सभी कारणों की वजह से आपका अकाउंट हैक हो सकता है और इसका इस्तेमाल स्पैम के लिए भी किया जा सकता है. या फिर इस अकाउंट का इस्तेमाल करके आपकी पहचान भी चुराई जा सकती है.
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सरकार की आज सोशल मीडिया कंपनियों के साथ हुई बैठक में सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ नैसकॉम और एआई को लेकर काम कर रहे कई प्रमुख प्रोफेसर भी मौजूद थे.
डीपफेक वीडियो लेकर आज सोशल मीडिया कंपनियों के साथ हुई बैठक के बाद केन्द्रीय रेल एवं इलैक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज कंपनियों के साथ इस मामले पर लंबी बातचीत हुई है. सभी लोग जल्द ही इस पर रेग्यूलेशन बनाने को लेकर काम करेंगे. उन्होंने कहा कि रेरग्यूलेशन बनाने का काम आज से ही शुरु हो गया है. इस मामले में सरकार सभी कंपनियों के साथ अगली बैठक दिसंबर पहले हफ्ते में करेगी, अगर सबकुछ ठीक रहा तो उन रेग्यूलेशन को संसद के इसी सत्र में पास भी कराया जा सकता है.
4 प्वॉइंट पर होगा गंभीरता से काम
केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये हमारी डेमोक्रेसी पर एक खतरे जैसा है, इसलिए जरूरत है कि जल्दी से जल्दी इस पर स्टेप्स लिए जाएं. उन्होंने कहा कि चाहे वो रेग्यूलेशन कानूनी हो चाहे वह रेग्यूलेटरी हो या चाहे वह टेक्नोलॉजिकल हो, हर तरह का स्टेप हमको लेने की जरूरत है. आज सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एक डीटेल्ड मीटिंग के लिए बुलाया गया था. सबके साथ विस्तृत चर्चा हुई और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने अपने इंटरनेशनल एक्सपीरियंस को भी शेयर किया. उन्होंने कहा कि सब ने क्लीयरली इस खतरे की गंभीरता को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि ये एक बहुत बड़ा सामाजिक खतरा है.
सभी ने कहा है बेहद जरूरी रेग्यूलेशन
केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सभी कंपनियों ने इस रेगुलेशन को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि मीटिंग में चार चीजों पर एक साथ काम करने का निर्णय लिया गया है. जिस पर सभी ने सहमति दी है वो हैं कि आखिर ये जानें कैसे कि ये वीडियो डीपफेक है. दूसरा है कि क्या ऐसे वीडियो को पोस्ट करने से रोका जा सकता है या उसे वायरल होने से रोका कैसे जा सकता है? किसी भी ऐप में अगर ये समस्या सामने आती है तो उसकी रिपोर्टिंग कैसे की जाए ताकि इस पर तुरंत कार्रवाई हो सके. चौथा प्वॉइंट ये है कि अवेयरनेस बढ़ाने के लिए सभी मिलकर काम करेंगे. इस पर सरकार भी काम करेगी और इंडस्ट्री भी काम करेगी.
दोनों पर लगेगी फाइनेंशियल पेनल्टी
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस पर अगले कुछ ही हफ्तों में ड्राफ्ट को तैयार कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सोशल इंस्टीट्यूशंस को बचाने के लिए जो काम करना है वह किया जा सके. उन्होंने कहा कि आज की मीटिंग में सभी मीडिया प्लेटफॉर्म उपब्ध थे. उन्होंने कहा कि आज की चर्चा में वीडियो पर लेवल लगाने या वॉटरमार्क लगाने को लेकर भी चर्चा हुई. उन्होंने स्पष्ट किया कि जो भी कंटेट भारत में दिखाया जा रहा है उस पर वो सभी रेग्यूलेशन लागू होंगे. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि रेग्यूलेशन में दोनों पर फाइनेंशियल पेनल्टी लगाई जाएगी अब वो भले ही अपलोड करने वाला हो या प्लेटफॉर्म हो.
हाल ही में सामने आए डीप फेक वीडियो को लेकर सरकार की ओर से कई दिशा निर्देश जारी किए गए थे लेकिन बावजूद उसके एक बार फिर ये वीडियो सामने आया है.
Deep fake वीडिया की समस्या को लेकर रश्मिका मंदाना के प्रकरण के बाद सरकार ने जिस तरह से एक्शन लिया उससे उम्मीद तो ये की जा रही थी कि इस पर अब नियंत्रण लग पाएगा. लेकिन अब एक बार फिर बॉलीवुड सेलिब्रिटी का वीडियो सामने आ गया है. इस बार डीप फेक वीडियो बनाने वालों के निशाने पर आई हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल. इस डीपफेक वीडियो में काजोल ऑन कैमरा चेंज करते हुए दिखाई दे रही हैं.
आखिर क्या है इस वीडियो में ?
इस वीडियो में जो दिखाई दे रहा है उसमें काजोल ऑन कैमरा चेंज करते हुए दिखाई दे रही हैं.मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि जिस वीडियो पर काजोल का चेहरा लगाया है वो मूल रूप से एक सोशल मीडिया इंफ्लुएंशर का है. इस वीडियो में थोड़ी देर के लिए असली महिला का चेहरा दिखाई दे रहा है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मूल वीडियो 5 जून को गेट रेडी विद मी (GRWM) ट्रेंड के हिस्से के रूप में टिकटॉक पर अपलोड किया गया था. इसे बनाने वाले की जानकारी नहीं दी गई है.
डीप फेक वीडियो को लेकर सरकार जारी कर चुकी है गाइडलाइन
इससे पहले दक्षिण भारत की अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का भी डीपफेक वीडियो सामने आया था. उसमें भी किसी अन्य महिला पर रश्मिका का चेहरा लगा दिया गया था. इस वीडियो के सामने आने के बाद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सभी सोशल मीडिया साइट को एडवाइजरी जारी करते हुए इस तरह के वीडियो को लेकर सख्त कार्रवाई करने की बात कही थी. लेकिन उसका कुछ असर होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है.
आखिर कैसे रुकेगा ये सिलसिला ?
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अचिन जाखड़ का कहना है कि यह कानून का नहीं बल्कि फोरेंसिक का मामला है. नकली जानकारी तैयार करने के बारे में कानून स्पष्ट हैं लेकिन इसका पता लगाना एक बड़ा मुद्दा है. मौजूदा समय में मशहूर हस्तियों के साथ यह कोई बड़ी समस्या नहीं है क्योंकि उनका सार्वजनिक जीवन बहुत बड़ा है. लेकिन सोचिए जब आम आदमी प्रभावित होने लगे तो क्या होगा. सरकार के लिए इसकी देखभाल के लिए फोरेंसिक लैब का होना बहुत जरूरी है. फिलहाल उनके पास इसकी क्षमता नहीं है, ये बेहद पेचीदा मामला है.
इंटरनेट की दुनिया में क्रांति वाली खबर चीन से आई है. एक चीनी कंपनी ने दुनिया का सबसे तेज इंटरनेट लॉन्च करने का दावा किया है.
चीन की एक कंपनी का दावा है कि उसने दुनिया का सबसे तेज इंटरनेट (World Fastest Internet) लॉन्च किया है. कंपनी की मानें, तो उसका नेटवर्क 1.2 टेराबिट (TB) प्रति सेकंड की स्पीड से डेटा ट्रांसमिट करने में सक्षम है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, हुआवेई टेक्नोलॉजीज ने दुनिया का सबसे फास्ट इंटरनेट लॉन्च करने का दावा किया है. कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट वांग लेई ने बताया कि इस नेटवर्क से सिर्फ एक सेकंड में 150 हाई-डेफिनेशन (HD) फिल्मों के बराबर डेटा ट्रांसमिट कर सकता है.
10 गुना ज्यादा है स्पीड
हुआवेई टेक्नोलॉजीज (HUAWEI Technologies) का इंटरनेट से 1.2 टेराबिट डाटा प्रति सेकंड ट्रांसमिट कर सकता है. इंटरनेट की यह स्पीड इस समय मौजूद प्रमुख इंटरनेट रूट्स की तुलना में करीब दस गुना ज्यादा है. पहले बताया जा रहा था कि चीन यह इंटरनेट स्पीड 2025 में हासिल कर पाएगा, लेकिन उसने समय से पहले ही इसमें कामयाबी को हासिल कर ली है. कंपनी ने इसे टेस्टिंग के लिए जुलाई में एक्टिव किया था और अब इसे ऑफिशियल तौर पर लॉन्च कर दिया गया है. दुनिया के इस सबसे तेज इंटरनेट के लिए सिंघुआ विश्वविद्यालय, चाइना मोबाइल, हुआवेई टेक्नोलॉजीज और सेर्नेट कॉर्पोरेशन ने मिलकर काम किया है.
अमेरिका को पीछे छोड़ा
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि चीन का नया बैकबोन नेटवर्क देश के प्रमुख शहरों को जोड़ने वाला एक डेटा हाईवे है. 3000 किलोमीटर से ज्यादा तक फैला यह नेटवर्क एक व्यापक ऑप्टिकल फाइबर केबलिंग प्रणाली के माध्यम से बीजिंग, वुहान और गुआंगजो को कनेक्ट करता है. ये इंटरनेट प्रति सेकंड 1.2 टेराबिट्स यानी 1,200 गीगाबिट्स की शानदार स्पीड देता है. बता दें कि दुनिया के अधिकांश इंटरनेट बैकबोन नेटवर्क केवल 100 गीगाबिट प्रति सेकंड पर काम करते हैं. अमेरिका ने हाल ही में 400 गीगाबिट प्रति सेकंड पर अपनी पांचवीं पीढ़ी के इंटरनेट पर काम पूरा किया है.
एक नई क्रांति की शुरुआत
यह नेटवर्क वास्तव में कितना तेज है, इसे समझाने के लिए हुआवेई टेक्नोलॉजीज के उपाध्यक्ष वांग लेई ने बताया कि यह केवल एक सेकंड में 150 हाई-डेफिनिशन फिल्मों के बराबर डेटा ट्रांसफर कर सकता है. वहीं, चाइनीज एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग से एफआईटीआई प्रोजेक्ट लीडर वू जियानपिंग ने कहा कि यह प्रयोग न केवल एक सफल रहा बल्कि यह चीन को और भी तेज इंटरनेट बनाने के लिए उन्नत तकनीक देता है. यह इंटरनेट की दुनिया में एक नई क्रांति है.
अपनी तरह के पहले इस डिवाइस को आप 4999 रुपये में खरीद सकते हैं, इस डिवाइस से आप अपनी कार के टेंपरेचर से लेकर इंजन की हेल्थ के बारे में जानकारी ले सकते हैं.
किसी भी कार की कीमत उसमें लगे फीचर से होती है. फीचर जितने ज्यादा होंगे कार की कीमत उतनी ही ज्यादा बढ़ जाएगी. लेकिन जिन लोगों की गाड़ी में ये स्मॉर्ट फीचर नहीं हैं वो हमेशा ही कोशिश ये करते हैं वो अपनी पुरानी कार को आसानी से स्मॉर्ट कैसे बनाएं. इसी कड़ी में अब Jio ने एक डिवाइस लॉन्च की है इससे आप अपनी पुरानी कार को आसानी से स्मॉर्ट कार बना सकते हैं.
आखिर क्या है जियो की इस नई डिवाइस में खास?
जियो की इस नई डिवाइस से आप अपनी पुरानी कार को स्मॉर्ट कार बना सकते हैं. इस डिवाइस के जरिए आप अपनी कार की लोकेशन से लेकर उसकी चोरी होने जैसी चिंताओं से आजाद हो जाते हो. Jio ने इस डिवाइस का नाम JioMotive OBD रखा है. इस डिवाइस के जरिए आप कार की इंजन के हेल्थ से लेकर उसकी लोकेशन और ड्राइविंग परफॉरमेंस को आसानी से जाना जा सकता है.
ऐसे अपनी कार में इसे करें इंस्टॉल?
JioMotive एक प्लग एंड प्ले डिवाइस है, जिसे कार में लगाने के बाद मोबाइल में एक ऐप को डाउनलोड करके उसे कनेक्ट किया जाता है.
- इसके बाद अपने नंबर से साइन अप करके इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
- इसके बाद मोबाइल पर JioThings ऐप डाउनलोड करके उसके बाद जियो नंबर के साथ लॉगिन करें और JioMotive को चुनें.
- इसके बाद अपनी कार की डिटेल आपको इस ऐप में देनी होगी.
- JioMotive डिवाइस को OBD प्लग से कनेक्ट करें, इसके बाद अगले स्टेप में जाने से पहले अपनी कार को ऑन करें.
- ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि जब आप इसे कनेक्ट करें तो आपकी कार एक ऐसी जगह खड़ी हो जहां Jio के नेटवर्क अच्छे से आ रहे हों.
- JioCRI440 पर क्लिक करें और अगली स्क्रीन पर आगे बढ़ें पर क्लिक करें.
- इसके बाद आपके मोबाइल पर एक एक्टिवेशन मैसेज आएगा.
- इसके बाद इसे एक्टिव करने के लिए अपनी कार को ऑन रखें.
- अगर किसी भी तरह की समस्या हो तो आप 1800896999 पर संपर्क करें.
आखिर कैसे करता है ये काम?
Jio ने इस डिवाइस को E सिम से कनेक्ट किया है. ये डिवाइस आपके मोबाइल से सिम से डेटा लेकर काम करता है. इसके लिए किसी भी तरह के अलग डेटा या सिम की जरूरत नहीं होती है.
क्या मिलती है इसमें सुविधा?
इस डिवाइस में कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं, इनमें
बैटरी की हेल्थ, इंजन लोड, कोल्ड टेपरेंचर, सहित कार की अलग-अलग हेल्थ के बारे में जानकारी दी जाती है. इसमें इंजन की हेल्थ को 200 से अधिक जांचों के बारे में आसानी से पता किया जा सकता है.
भारत सरकार द्वारा लैपटॉप के शिपमेंट की देख-रेख के लिए तैयार की जा रही नई व्यवस्था के तहत ही यह फैसला भी लिया गया है.
इस साल सितंबर में भारतीय सरकार द्वारा लैपटॉप इम्पोर्ट पर बैन लगाने की बात कही गई थी जिसके बाद ग्लोबल लैपटॉप निर्माता कंपनियों द्वारा इस कदम का काफी विरोध किया गया और सरकार द्वारा यह कदम वापस भी ले लिया गया लेकिन भारत सरकार द्वारा लैपटॉप के इम्पोर्ट्स की बेहतर देख-रेख के लिए इम्पोर्ट से संबंधित नियमों में परिवर्तन किया गया था. नए नियमों के तहत अब भारत में लगभग 110 कंपनियां ही लैपटॉप और टेबलेट इम्पोर्ट कर पाएंगी.
कंपनियों को देनी होगी ये जानकारी
इन 110 कंपनियों में सैमसंग (Samsung), एप्पल (Apple), डेल (Dell), HP, लेनोवो (Lenovo) समेत कई प्रमुख ग्लोबल लैपटॉप निर्माता कंपनियों के नाम शामिल हैं. भारत सरकार द्वारा लैपटॉप के शिपमेंट की देख-रेख के लिए तैयार की जा रही नई व्यवस्था के तहत ही यह फैसला भी लिया गया था. आपको बता दें नई व्यवस्था के तहत कंपनियों को भारत में लैपटॉप इम्पोर्ट करने के लिए पहले लाइसेंस प्राप्त करना होगा और साथ ही कंपनियों को इम्पोर्ट किये जाने वाले लैपटॉप की संख्या और उनकी कीमत के बारे में भी जानकारी देनी होगी. इन इम्पोर्ट्स के लिए कंपनियों को अगले साल सितंबर तक का लाइसेंस दिया गया है और उसके बाद कंपनियों को एक बार फिर से लाइसेंस प्राप्त करना होगा.
क्या है लैपटॉप इम्पोर्ट की नई व्यवस्था?
पहले तो आपको यह बता दें कि नई व्यवस्था 1 नवंबर से यानी कल से लागू की गई है. नए नियमों के तहत कंपनियों को एक पोर्टल पर जाकर इम्पोर्ट की जाने वाले लैपटॉप की संख्या और उनकी कीमत रजिस्टर करनी होगी. आपको बता दें कि भारत सरकार द्वारा इन इम्पोर्ट्स पर बैन तो नहीं लगाया जाएगा लेकिन इन पर बहुत ही करीबी रूप से नजर रखी जायेगी. उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय द्वारा पुराने नियमों में कुछ बदलाव किये गए हैं.
किसे नहीं होगी अनुमति की जरूरत?
अब SEZ यानी विशेष इकनोमिक जोन में बनाये जाने वाले IT हार्डवेयर को DTA यानी घरेलु शुल्क क्षेत्र के तहत गिना जाएगा और इसके लिए विशेष अनुमति की जरूरत भी नहीं होगी. आपको बता दें कि भारत सरकार के आदेश पर सुरक्षा के नजरिये से इम्पोर्ट किये जाने वाले लैपटॉप के लिए निजी संस्थाओं को अनुमति नहीं लेनी होगी.
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इस नोटिफिकेशन के आने के बाद एक बार फिर विपक्षी सांसदों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. लेकिन अब एप्पल की सफाई आने के बाद उम्मीद है कि विवाद थम पाएगा.
देश के कई विपक्षी सांसदों को मिले मैसेज को लेकर शुरू हुए विवाद में अब Apple कंपनी की एंट्री हो गई है. Apple ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि हम किसी भी तरह के स्टेट स्पांसर अटैक की सूचना नहीं देते हैं. कंपनी ने अपने जवाब में ये भी कहा है कि वो इस अलर्ट का कारण बताने में अक्षम है. दरअसल देश के कई विपक्षी सांसदों को स्टेट स्पांसर अटैक को लेकर मैसेज आया था. इस मैसेज के सामने आने के बाद ही ये विवाद शुरु हुआ था.
आखिर एप्पल ने अपने जवाब में क्या कहा?
टेक कंपनी Apple की ओर से इस पूरे मामले में जवाब देते हुए कहा गया है कि वो किसी भी तरह के स्टेट स्पॉसर अलर्ट की सूचना नहीं देता है. उसने कई विपक्षी नेताओं को भेजे गए इस मैसेज को लेकर कहा है कि वो इस बारे में बता पाने में असक्षम हैं. दरअसल देश के कुछ विपक्षी सांसदों के मोबाइल पर एक मैसेज आया था जिसमें कहा गया था कि आपका मोबाइल पर स्टेट स्पांसर अटैक हो सकता है. इसी मैसेज को लेकर जब विवाद गहराया तो आज Apple ने इस पर अपनी सफाई दी है.
"Apple does not attribute the threat notifications to any specific state-sponsored attacker. State-sponsored attackers are very well-funded and sophisticated, and their attacks evolve over time. Detecting such attacks relies on threat intelligence signals that are often imperfect… https://t.co/Bvmi5G1pQ4
— ANI (@ANI) October 31, 2023
क्या बोले केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव?
केन्द्रीय आईटी और टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ‘सरकार इस मुद्दे को लेकर चिंतित है और वह इसकी तह तक जाएगी. देश में कुछ ऐसे आलोचक हैं जो देश का विकास नहीं देख सकते, क्योंकि जब इनका परिवार सत्ता में था तो ये सिर्फ अपने बारे में सोचते थे. केन्द्रीय मंत्री ने कहा है कि इस मामले में एप्पल के द्वारा दिया गया जवाब पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले में होने वाली जांच में एप्पल को भी शामिल होने के लिए कहा जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि भारत सरकार सभी की प्राइवेसी को मेंटेन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
We are concerned by the statements we have seen in media from some MPs as well as others about a notification received by them from Apple. The notification received by them as per media reports mentions about ‘state-sponsored attacks’ on their devices. However much of (1/5)
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) October 31, 2023
किन किन नेताओं को आया था ये मैसेज
ये मैसेज कई विपक्षी नेताओं को आया था उनमें TMC सांसद महुआ मोइत्रा, शिव सेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, आप सांसद राघव चढढा, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा जैसे नेताओं के नाम शामिल थे. कई नेताओं ने इस मैसेज को लेकर ट्वीट भी किया था. इनमें टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि मुझे Apple वार्निंग सिस्टम से टेक्सट और ईमेल मिला है. जो ये कह रहा है कि स्टेट मेरे मोबाइल को हैक करने की कोशिश कर रहा है. उन्होने इस मेल में ये भी बताया था कि प्रियंका चतुर्वेदी सहित कई अन्य लोगों को ये मैसेज आया था.
Apple ने पिछले साल जोड़ा है ये फीचर
टेक कंपनी की ओर से पिछले साल इस खास फीचर को अपने मोबाइल पर जोड़ा गया है. ये फीचर फोन इस्तेमाल करने वाले को स्टेट स्पॉंसर हैकिंग को लेकर सूचना देता है. Apple कंपनी अपने यूजर की प्राइवेसी को मेंटेन करने के लिए ऐसे कदम उठाती रहती है. इस कदम को भी इसी कड़ी में देखा जा रहा है. इसी तरह के एक फीचर को कंपनी ने हाल ही में जोड़ा इसका नाम है कॉनटेक्ट की वेरिफिकेशन. ये कंपनी का नया सिक्योरिटी फीचर है. जो आई मैसेज और आई क्लॉउड के लिए है. इस ऐप से आई मैसेज को किसी भी तरह से के अटैक से बचाया जा सकता है.
एप्पल के इस फेस्ट के लिए आधिकारिक ट्वीट के जरिए ऐलान होने के बाद सभी लोग अपने-अपने कयास लगा रहे हैं कि आखिर इस फेस्ट में क्या-क्या लॉन्च हो सकता है.
iPhone 15 के लॉन्च होने के बाद अब आने वाली 30 तारीख को Apple कंपनी Scary Fast नाम से एक स्पेशल इवेंट को होस्ट करने जा रही है. इस Scary Fast स्पेशल इवेंट में कंपनी मैकबुक के नए प्रोडक्ट दिखा सकती है. एप्पल के फोन लॉन्च के बाद अब लोगों को M3 चिप के प्रोडक्ट के लॉन्च का बेसब्री से इंतजार हैं.
एप्पल ने ट्वीट करके क्या दी जानकारी?
एप्पल ने इस फेस्ट को लेकर ट्वीट करते हुए जानकारी साझा की है. एप्पल की ओर से इस ट्वीट में कहा गया है कि ये आधिकारिक है, एप्पल 30 अक्टूबर को Apple Event में 5 pm PDT पर नए प्रोडक्ट की घोषणा करेगी. इस ट्वीट के सामने आते ही कई लोग इस फेस्ट को लेकर कयास लगा रहे हैं कि आखिर क्या-क्या लॉन्च किया जा सकता है.
आखिर क्या खास होगा इस फेस्ट में
एप्पल Scary Fast फेस्ट में मैक बुक डिवाइसेस की नई रेंज को दिखाने जा रही है. इस फेस्ट के दौरान जितने भी प्रोडक्ट दिखाए जाएंगे वो M3 चिप के साथ रिलीज किए जाएंगे. इस इवेंट के लिए जो टाइमिंग फिक्स की है वो 5pm (8Pm EST) रखी गई है. कंपनी ने इस फेस्ट के लिए प्रोमो भी लॉन्च कर दिया है. इस प्रोमो में ब्लैक बैकग्राउंड में एप्पल का लोगो दिखाई देता है जो बदलकर ब्लू कलर का हो जाता है. एप्पल के जानने वालों का मानना है इससे यही लग रहा है कि ये इवेंट मैक प्रोडक्ट के लिए ही है.
नई चिप के साथ एप्पल कर रहा है लॉन्च
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एप्पल के इस बार लॉन्च होने वाले प्रोडक्ट को नई चिप के साथ लॉन्च किया जा रहा है. एप्पल के इस एनाउंसमेंट के बाद कई लोग अनुमान लगा रहे हैं कि आखिर वो क्या लॉन्च कर सकती है. सोशल मीडिया पर कई लोगों का ये मानना है कि 24 इंच के iMac के नए वर्जन को रिलीज कर सकता है. दरअसल कंपनी के कई प्रोडक्ट अभी भी पुरानी M1 चिप पर चल रहे हैं. जबकि कई लोगों का ये मानना है कि 13, 14 और 16 इंच Macbook Pro को नई M3 चिप के साथ लॉन्च कर सकता है.
Nokia ने जहां अपनी सेल में कमी के कारण 20 प्रतिशत कर्मचारियों को बाहर करने का निर्णय लिया है वहीं दूसरी ओर Google ने भी कई लोगों को बाहर कर दिया है.
एक ओर जहां कई कंपनियां दूसरी छमाही के अपने नतीजे जारी कर रही हैं वहीं दूसरी ओर कई कंपनियों में एक बार फिर ले-ऑफ की प्रक्रिया शुरू हो गई है. Linkedin के बाद टेक कंपनी गूगल के न्यूज विभाग में एक बार फिर ले-ऑफ हो गया है. कंपनी ने इस बार 40 से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर कर दिया है. ले ऑफ का सिलसिला यही नहीं रुक रहा है बल्कि नोकिया ने बड़ी संख्या में कर्मचारियों को बाहर करने का फैसला लिया है. नोकिया 15000 से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर कर सकता है.
गूगल के प्रवक्ता ने क्या कहा?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारियों के ले-ऑफ पर गूगल के प्रवक्ता ने कहा कि गूगल का न्यूज सेक्शन कंपनी का एक लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट है. उन्होंने कहा कि कंपनी के इस बदलाव से कुछ लोग भले ही प्रभावित हुए हैं लेकिन हमारे इस सेक्शन में 100 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. कंपनी का ये भी कहना है कि जो लोग इसमें प्रभावित हुए हैं कंपनी उन्हें पूरा सहयोग कर रही है. गूगल या दूसरे मौकों के लिए उन्हें पूरी मदद की जा रही है.
Nokia भी करने जा रही है छंटनी
गूगल में सामने आई इस खबर के बीच नोकिया से भी खबर निकलकर सामने आ रही है. मीडिया रिपोर्ट कह रही हैं कि कंपनी सेल में कमी के कारण अपने 20 प्रतिशत कर्मचारियों की छुट्टी करने जा रही है. कंपनी में कोई 86 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं. ऐसे में अगर 20 प्रतिशत लोग बाहर होते हैं तो 15000 लोगों की नौकरी जा सकती है. कंपनी की ओर से कहा गया है कि 5जी उपकरणों की सेल में अमेरिका और यूरोप में हुई कमी के कारण कंपनी को ये कदम उठाना पड़ रहा है.
लिंकडइन निकाल चुका है 600 से ज्यादा कर्मचारी
पहली छमाही के बाद दूसरी छमाही में भी कर्मचारियों को निकाले जाने का जैसे ट्रेंड शुरू होता जा रहा है. गूगल से पहले लिंकडइन 688 कर्मचारियों को बाहर कर चुका है. कंपनी की ओर से कहा गया था कि उसने कॉस्ट कटिंग से लेकर आने वाले समय में ज्यादा बेहतर करने की चुनौती के चलते ये कदम उठाया है. कंपनी ने ये छंटनी इंजीनियरिंग, टैलेंट और फाइनेंस टीम में काम करने वाले लोगों के बीच की थी. अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में इस साल में अब तक 1 लाख से ज्यादा लोगों की नौकरी जा चुकी है. ये सभी नौकरियां टेक सेक्टर में गई हैं.
सैमसंग भारतीय बजट सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए नया फोन SamsungGalaxy A05s लेकर आये हैं.
भारतीय स्मार्टफोन मार्केट काफी तेजी से बड़ी हो रही है और मार्केट का एक हिस्सा ऐसा है जिसमें हर कंपनी अपनी पकड़ को मजबूत बनाना चाहती है. हम बात कर रहे हैं मार्केट के बजट सेगमेंट की और इस बजट सेगमेंट में अपनी जगह बनाने की कोशिश करने वालों में नया नाम जानी-मानी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी सैमसंग (Samsung) का है.
सैमसंग लेकर आया नया फोन
भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में सबसे ज्यादा फोन बजट सेगमेंट के ही बिकते हैं और इसीलिए हर कंपनी इस सेगमेंट में बेहतर पकड़ बनाने की कोशिश करती रहती है. फिलहाल भारत के बजट सेगमेंट पर शाओमी (Xiaomi), रियलमी (Realme) और टेक्नो (Techno) जैसी स्मार्टफोन कंपनियों का कब्जा है. लेकिन अब सैमसंग (Samsung) भी इस सेगमेंट पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है और इसीलिए सैमसंग नया बजट फोन, Samsung Galaxy A05s लेकर आने के बारे में विचार कर रहा है. माना जा रहा है कि इस फोन को 15,000 रुपए की कीमत पर लॉन्च किया जायेगा और यह फोन 18 अक्टूबर 2023 को लॉन्च होगा.
Samsung Galaxy A05s के फीचर्स
अगर इस स्मार्टफोन के स्पेशल फीचर्स की बात करें तो लॉन्च होने से पहले Samsung Galaxy A05s के कुछ फीचर्स लीक हो गए हैं. लीक में सामने आये फीचर्स की मानें तो इस फोन में 6.7 इंच वाली एक फुलएचडी प्लस डिस्प्ले दी जा सकती है. इसके साथ ही इस फोन में आपको ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप प्रदान किया जायेगा और इस सेटअप का प्राइमरी कैमरा 50 मेगापिक्स्ल का होगा. इसके साथ ही फोन में 13 मेगापिक्सल का सेल्फी कैमरा भी प्रदान किया जाएगा. साथ ही माना जा रहा है कि इस फोन को स्नैपड्रैगन 680 प्रोसेसर से ताकत मिलेगी.
शाओमी, रियलमी और भारतीय स्मार्टफोन मार्केट
जैसा कि हमने आपको बताया कि शाओमी (Xiaomi) द्वारा रेड्मी नोट 11T (Redmi Note 11T), शाओमी रेड्मी 12 5G (Redmi 12 5G) और रेड्मी नोट 12 (Redmi Note 12) जैसे स्मार्टफोन प्रदान किए जाते हैं. दूसरी तरफ रियलमी (Realme) द्वारा रियलमी नार्जो N55 (Realme Narzo N55), रियलमी नार्जो 60X 5G (Realme Narzo 60X 5G), रियलमी 11X 5G (Realme 11X 5G) और रियलमी C55 (Realme C55) जैसे स्मार्टफोन प्रदान किये जाते हैं. भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में शाओमी की हिस्सेदारी लगभग 16% की है, वहीँ रियलमी 12% का हिस्सेदार है. भारतीय स्मार्टफोन मार्किट में वैसे तो सबसे ज्यादा हिस्सा सैमसंग (Samsung) का ही है लेकिन जब बात बजट स्मार्टफोन की आती है तो इस सेगमेंट में शाओमी और रियलमी का दबदबा है. ऐसे में देखना ये होगा कि क्या सैमसंग अपने नए स्मार्टफोन Samsung Galaxy A05s की मदद से बजट सेगमेंट में अपना दबदबा बना पायेगा?
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