"1991 के रिफॉर्म आधे-अधूरे थे", वित्त मंत्री सीतारमण का कांग्रेस के 'सुधारों' पर नया तंज

वित्त मंत्री ने कहा कि जबतक अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री नहीं बने तबतक कोई तरक्की नहीं हुई थी, उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और मोबाइल टेलीफोनी पर फोकस किया

Last Modified:
Friday, 16 September, 2022
NIRMALA SITHARAMAN

नई दिल्ली: भारत के इतिहास में 1991 का साल अपने इकोनॉमिक रिफॉर्म के तौर पर याद किया जाता है, जब देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही थी तब उस समय के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव की जोड़ी ने उदारीकरण को लेकर कदम उठाए और दुनिया के लिए भारत के दरवाजे खोल दिए. वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, टैक्स रिफॉर्म को नए सिरे से पिरोया गया. इन कदमों ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई गतिशीलता दी. ये बातें तो वो हैं जो हम लिखते पढ़ते आए हैं और कई लोग इसको मानते भी हैं. 
 
1991 के रिफॉर्म आधे-अधूरे थे: FM
लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1991 के आर्थिक सुधारों को लेकर नया तंज कसा है. एक हिंदी मैगजीन के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के 1991 के इकोनॉमिक रिफॉर्म आधे अधूरे थे. उन्होंने कहा कि उस दौरान इकोनॉमी को सही तरीके से खोला नहीं गया था, बल्कि IMF के दायरों में रहकर रिफॉर्म के फैसले लिए गए थे. उन्होंने कहा कि भारत बहुत पहले ही दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया होता. उन्होंने कहा कि भ्रष्ट UPA जब सत्ता में आई तो 10 साल और बर्बाद हुए, क्योंकि कांग्रेसी सिर्फ अपने निजी हितों को साधने में लगे थे और देश के हितों को पीछे छोड़ दिया गया था. 

'BJP के आने के बाद शुरू हुई तरक्की'
वित्त मंत्री ने इस दौरान कहा कि जबतक अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री नहीं बने तबतक कोई तरक्की नहीं हुई थी, उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और मोबाइल टेलीफोनी पर फोकस किया जिसने देश को आगे बढ़ाने में मदद की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बड़े रिफॉर्म्स की शुरुआत की जिसमें GST भी शामिल है, कई सोशल वेलफेयर स्कीम जैसे कुकिंग गैस कनेक्शन और बिजली बचाने वाले LED लाइट्स बड़े पैमाने पर दिए गए. उन्होंने कहा कि योजनाओं के लाभार्थियों के पास उनका पूरा पैसा पहुंचता है, ऐसा टेक्नोलॉजी की मदद से संभव हुआ है. DBT के आने के बाद से 2 लाख करोड़ रुपया गलत हाथों में जाने से बचाया गया. BharatNet प्रोजेक्ट के जरिए गांव-गांव में ब्रॉडबैंड इंटरनेट की सुविधा पहुंचाई जा रही है. 

'हमारी नीति बिजनेस करने की नहीं'
निर्मला सीतारमण ने कहा कि ये हमारी नीतियों का ही नतीजा है कि हमने ऐसी नींव रखी जिसकी वजह से बड़े बैंक जैसे SBI इकोनॉमी की कर्ज की जरूरतों को पूरा कर सके. पीएम मोदी के ही कार्यकाल में ही ये फैसला लिया गया कि सरकार को बिजनेस करने से दूर रहना चाहिए. उन्होंने बताया कि एयर इंडिया पर रोजाना 20 करोड़ का नुकसान उठा रहे थे, जबतक कि उसका निजीकरण नहीं कर दिया गया. 

हिंदी में बोलने पर कंपकंपी छूट जाती है
इस कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री ये बातें हिंदी में कही, करीब आधे घंटे की उनकी ये बातचीत हिंदी में थी, इस पर उन्होंने कहा कि वो जब हिंदी में बात करती हैं उनकी कंपकंपी छूट जाती है. PTI में छपी खबर के मुताबिक - सीतारमण ने कहा कि वह तमिलनाडु में पैदा हुई और कॉलेज में पढ़ीं, जो हिंदी के खिलाफ आंदोलन के दौर में और हिंदी के खिलाफ हिंसक विरोध भी देखा. हिंदी या संस्कृत को दूसरी भाषा के रूप में चुनने वाले छात्रों, यहां तक ​​कि मेरिट सूची में आने वालों को भी राज्य सरकार की ओर से उनकी पसंद की भाषा के कारण छात्रवृत्ति नहीं मिलती थी. 

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