डॉक्टर हर्ष महाजन ने कहा कि मेरा मानना है कि रेडियोलॉजिस्ट जो आज काम कर रहे हैं उनसे बेहतर वो काम कर पाएंगे जो रेडियोलॉजिस्ट एआई के साथ काम करेंगे.
BW Healthcare के Heathcare Excellence Summit And Awards में आयोजित हुए एक पैनल डिस्कशन में इस क्षेत्र के कई नामी लोगों ने भाग लिया. एआई की भूमिका को लेकर जहां कुछ लोगों ने कहा कि इससे मेडिकल जगत में रेवोल्यूशन आने की उम्मीद है वहीं दूसरी ओर कुछ एक्सपर्ट प्रीवेंटिव और प्रीडिक्टिव केयर को लेकर अपनी बात कही. लेकिन सभी ने हेलथकेयर में एआई की भूमिका को अहम बताया. इस पैनल में जहां महाजन इमेजिंग के फाउंडर और सीईओ डॉ. हर्ष महाजन, फुजीफिल्म इंडिया के सीनियर वीपी चंद्रशेखर सिब्बल और Agilas Diagnostic के CEO & MD आनंद के शामिल हुए.
एआई रेडियोलॉजी से संभव है कई काम
महाजन इमेजिंग के फाउंडर और सीईओ डॉ. हर्ष महाजन ने कहा कि आज दुनिया के सभी हिस्सों में दिखाई दे रहा है. अहम बात ये है कि रेडियोलॉजी तीन दशक पहले से डिजिटल हो गई थीउन्होंने कहा कि मैं आपको बताना चाहूंगा कि 2018 में लैंडसेट में भारत में सबसे पहले एआई को लेकर जो स्टडी सामने आई थी उसमें हमारे ग्रुप की बड़ी भूमिका थी.
डॉक्टर महाजन ने कहा कि मेरा मानना है कि रेडियोलॉजिस्ट जो आज काम कर रहे हैं उनसे बेहतर वो काम कर पाएंगे जो रेडियोलॉजिस्ट एआई के साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा कि हाल ही में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च सामने आई थी जिसमें कहा गया था एआई चेस्ट एक्सरे की मिस्ड फाइडिंग का भी पता लगाने में सक्षम है. उस स्टडी को बड़े लेवल पर किया गया था. इससे सिर्फ फाइडिंग को ही बेहतर नहीं बनाया जा सकता है बल्कि प्रोडक्टिविटी को भी बढ़ाया जा सकता है.आज अगर हम एक दिन में 30 से 35 एमआरआई कर रहे हैं तो एआई के आने के बाद वो केवल एक असिस्टेंट की तरह ही काम करेगा. सिर्फ यही नहीं उम्मीद ये भी रहेगी कि कभी मेरे व्यस्त समय में मेरे काम को शेयर करेगा.
मास स्क्रीनिंग से बदल रही है तस्वीर
फुजीफिल्म इंडिया के सीनियर वीपी चंद्रशेखर सिब्बल ने कहा कि आज अगर किसी भी चीज की स्क्रीनिंग करनी है तो उसके लिए एआई एक अहम साधन बन रहा है. आज कई तरह की स्क्रीनिंग इसके जरिए हो रही है. आज इसके जरिए जो भी फाइडिंग हो रही है अब वो भले ही कैल्शियम लेवल की जांच हो, अब वो भले ही ब्रेस्ट इंवेस्टिगेशन हो, हम देश में मास स्क्रीनिंग कर रहे हैं.
हमारी वैन्स जा रही हैं और एक्सरे कर रहे हैं. देख रहे हैं कि उनमें किसी तरह का इनफेक्शन है या नहीं. भारत जैसे देश के लिए ये एक बहुत बड़ी चीज है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि एआई इस पूरे सेक्टर में रेवोल्यूशन लाने वाला है. बहुत सारे डेवलपमेंट हो रहे हैं, विशेषतौर पर स्क्रीनिंग के मामले में कई विकास हो रहे हैं. भारत जैसे देश में सबसे ज्यादा समस्या इस बात की है कि हमारे वहां कैंसर उस वक्त डिटेक्ट होता है जब वो तीसरे या चौथे स्टेज में होता है. जबकि जापान और यूएस जैसे देशों में एक रेग्यूलर स्क्रीनिंग का सिस्टम होता है. इसके कारण वो अर्ली स्टेज में डिटेक्ट हो जाता है और उसका इलाज शुरू हो जाता है. इससे उसका नंबर कम हो जाता है.
प्रीवेंटिव और प्रीडिक्टिव टेस्टिंग दोनों अलग-अलग हैं
Agilas Diagnostic के CEO & MD Anand K ने कहा कि अगर हम प्रीवेंटिव टेस्टिंग की बात करें तो आज वो भारत की कुल पैथोलॉजी जांच का 20 प्रतिशत है. ये सालाना 14 से 15 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ भी रही है. ये इंडस्ट्री का तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट है. अगर हम प्रीवेंटिव टेस्टिंग और प्रीडेक्टिव टेस्टिंग की बात करें तो दोनों में अंतर है. आज भारत में प्रीवेंटिंव टेस्टिग हो रही है.
प्रीवेंटिव टेस्टिंग वो होती है जो एक हेल्थी आदमी की होती है और किसी आदमी के अंदर बीमारी की जांच के लिए की जाती है. लेकिन जहां तक बात एआई जनरेटिव डिटेक्शन की बात है तो उसमें हम लोग बीमारी को लेकर एक अलग अप्रोच से काम करते हैं. हालांकि अभी ये बहुत दूर है. इसलिए जीनोमिक्स एक बड़ी भूमिका निभाता है. हाल ही में प्रीडिक्टिव एक्शन को लेकर अभी भी कई तरह की आशंकांए हैं. हाल ही में सामने आई एक स्टडी निकलकर सामने आई जिसमें बताया गया कि आखिर 8 में से एक आदमी पर जब इसकी जांच हुई लोगों की जब प्रीडिक्टिव जांच हुई तो पता चला कि उनमें कुछ परेशान है, इस तरीके से उनके इलाज को और आसानी से करने में काफी मदद मिली.
इस अवॉर्ड शो में उन व्यक्तियों को सम्मानित किया गया जिन्होंने गंभीर बीमारियों और विकलांगताओं को मात देकर समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. कार्यक्रम को एक्ट्रेस मंदिरा बेदी ने होस्ट किया.
बजाज ऑटो (Bajaj Auto) के सहयोग से डॉ. बत्रा पॉजिटिव हेल्थ अवार्ड्स (Dr batra’s Positive Health Award) के 16वें संस्करण का आयोजन मुंबई के टीएटीए थिएटर, एनसीपीए में हुआ. इस कार्यक्रम को एक्ट्रेस मंदिरा बेदी ने होस्ट किया. इस मौके पर उन लोगों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने गंभीर बीमारियों और विकलांगताओं को मात दी है और समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
इन लोगों को मिला अवॉर्ड
सत्यम को ‘पीपल्स चॉइस’ अवार्ड विजेता के रूप में चुना गया, जिन्होंने 4 लाख से अधिक वोट प्राप्त किए, जबकि सुवर्णा राज और आनंद अर्नोल्ड ने क्रमशः 3 लाख और 2 लाख वोट प्राप्त किए. प्रत्येक पुरस्कार प्राप्तकर्ता को 'पॉजिटिव हेल्थ हीरो 2024' के रूप में सम्मानित किया गया और उन्हें एक ट्रॉफी, प्रमाणपत्र और 1 लाख रुपये का चेक दिया गया, ताकि वे दूसरों को प्रेरित करने और समाज में योगदान करने के अपने प्रयासों को जारी रख सकें.
दर्शकों ने सांसकृतिक कार्यक्रमों का लिया आनंद
इस दौरान दर्शकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आनंद लिया. इसमें दृष्टिहीन प्रतिभागियों द्वारा ऑर्केस्ट्रा 'स्वरांग' द्वारा संगीत प्रस्तुति दी. वहीं, बेंगलुरु से आए 'पाशा डांस ग्रुप' ने कत्थक और भरतनाट्यम का संगम एक फ्यूजन डांस का प्रदर्शन किया.
जूरी में शामिल हुए ये सेलिब्रिटी
अवॉर्ड शो में जूरी के रूप में बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक (MD) राजीव बजाज, बत्रा के समूह के संस्थापक पद्मश्री डॉ. मुकेश बत्रा, डॉ. मेनका संजय गांधी, एक्टर सोनू सूद और फिल्म निर्माता आर. बाल्की शामिल हुए. इन सभी ने मिलकर देश भर से प्राप्त प्रेरणादायक आवेदन पत्रों में से विजेताओं का चयन किया. कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के 1,000 से अधिक लीडर्स ने भाग लिया. इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बु अब्दुल्ला ग्रुप (UAE) के चेयरमैन डॉ. बु अब्दुल्ला शामिल हुए.
पॉजिटिव हेल्थ हीरोज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा
डॉ. मुकेश बत्रा ने सम्मानित व्यक्तियों की सराहना करते हुए कहा कि पॉजिटिव हेल्थ हीरोज उन लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं, जो किसी न किसी बीमारी से लड़ रहे हैं. एक होम्योपैथी प्रैक्टिस करने वाले ब्रैंड के रूप में हम उनकी असाधारण कहानियों को साझा करने पर गर्व महसूस करते हैं और हमारे प्रायोजकों का उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद करते हैं. एक्टर और समाजसेवी सोनू सूद ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि डॉ. बत्रा फाउंडेशन विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों को पहचानकर अद्वितीय काम कर रहा है. उनकी कहानियां प्रेरणादायक हैं और मैं डॉ. बत्रा का होम्योपैथी के माध्यम से उपचार के प्रति समर्पण की सराहना करता हूं. वहीं, राजीव बजाज ने कहा कि होम्योपैथी में विश्वास रखने हुए मैंने इसकी उपचार शक्ति को महसूस किया है. डॉ. बत्रा ने इस प्रैक्टिस को आधुनिक बनाया है और इसे वैश्विक स्तर पर फैलाया है.
लिस्ट में पैरासिटामोल के अलावा कैल्शियम और विटामिन डी3 सप्लीमेंट्स के अलावा हाई बीपी और डायबिटीज की दवाएं भी शामिल हैं, जो क्वालिटी स्टैंडर्ड पर खरी नहीं उतरी
अगर आप भी बुखार, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की दवाई खाते हैं तो सावधान हो जाएं. आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली कई दवाईयां क्वालिटी टेस्ट में फेल पाई गई हैं. ड्रग रेगुलेटर ने कुल 53 दवाओं को गुणवत्ता टेस्ट में फेल कर दिया है. इसमें बुखार के लिए इस्तेमाल होने वाली पैरासिटामोल (Paracetamol) से लेकर विटामिन और कैल्शियम के सप्लीमेंट भी शामिल हैं. इतना ही नहीं डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई हैं. इन दवाओं की लिस्ट इंडियन ड्रग्स रेग्युलेटर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर जारी की है.
कौन सी दवाएं क्वालिटी टेस्ट में हुईं फेल?
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की ओर से हाल ही में कई दवाओं की गुणवत्ता की परीक्षण किया गया है. इन दवाओं में पैरासिटामोल, कैल्शियम, विटामिन डीउ सप्लीमेंट शामिल हैं. इन दवाओं में विटामिन सी और डीउ की टैबलेट्स शेल्कल, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन सी सॉफ्टजेल, एंटीएसिड पैन-डी, पैरासिटामोल आईपी 500 एमजी, डायबिटीज की दवा ग्लिमेपिराइड, हाई ब्लड प्रेशर की दवा टेल्मिसर्टन आदि शामिल हैं.
बच्चों को दी जाने वाली दवाएं भी शामिल
जो दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल हुई हैं उनमें बच्चों को दी जाने वाली दवाएं भी शामिल हैं. सेपोडेम एक्सपी 50 ड्राई सस्पेंशन को भी टेस्ट में फेल पाया गया है. ये दवा बच्चों को बैक्टीरियल इंफेक्शन में दी जाती है. भारत के ड्रग कंट्रोलर ने क्वालिटी टेस्ट में फेल होने वाली दवाओं की दो लिस्ट जारी की हैं. एक लिस्ट में 48 प्रसिद्ध दवाएं हैं, जबकि दूसरी लिस्ट में 5 और दवाओं के साथ-साथ टेस्ट में फेल होने वाली दवा कंपनियों के जवाब भी हैं.
क्या है CDSCO?
इंडियन ड्रग्स रेग्युलेटर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) देश में दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के नियमन और मानकों के लिए जिम्मेदार प्रमुख संस्था है. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन काम करने वाली यह संस्था रेग्युलेटरी ऑर्गनाइजेश की तरह काम करता है जो कि देश में उपलब्ध दवाएं, चिकित्सा उपकरण और सौंदर्य प्रसाधन के लिए सुरक्षा और क्वालिटी स्टेंडर्ड तय करता है.
दवाएं खरीदते समय इन बातों का ध्यान रखें
• केवल लाइसेंस वाले फार्मेसियों से दवाएं खरीदें और बिल मांगें। खुले बाजार से दवाएं न खरीदें.
• फार्मासिस्ट से पूछें कि क्या दवा में वो सभी इंग्रेडिएंट्स हैं, जो दवा आप इस्तेमाल कर रहे हैं. यदि संभव हो तो अपनी दवा अपने साथ फार्मेसी में लाएं.
• सुनिश्चित करें कि दवा अपनी मूल पैकेजिंग में है.
• पैकेजिंग को ध्यान से देखें, खराब गुणवत्ता का प्रिंटिंग या पैकेजिंग नकली उत्पाद का संकेत हो सकता है.
• यदि आप ऑनलाइन दवाएं खरीदते हैं, तो सुरक्षित रूप से खरीदने के तरीके जानने के लिए इंटरनेट पर दवा खरीदने के लिए बताए टिप्स फॉलो करें.
• दवाएं खरीदने के बाद अपने उन्हें अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं.
केरल के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, पीड़ित 38 साल का है. 17 सितंबर को मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर उसने खुद को क्वारंटीन कर लिया था.
अफ्रीका में तबाही मचाने वाले मंकीपॉक्स वायरस (mpox virus) का खतरनाक वेरिएंट, क्लेड-1 (clade-1 mpox) अब भारत पहुंच गया है. देश में इस घातक वायरस का पहला मामला केरल में सामने आया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वायरस को गंभीरता से लेते हुए पिछले महीने ही इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था. केरल के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 38 वर्षीय एक व्यक्ति में क्लेड-1 स्ट्रेन की पुष्टि हुई है. यह व्यक्ति हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से भारत लौटा था. इस मामले के सामने आने के बाद राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर हैं.
केरल के मल्लपुरम में मिला मरीज
केरल के मल्लपुरम में मिले इस मरीज को लेकर देशभर के लोगों की चिंता बढ़ गई है. क्योंकि मंकीपॉक्स का ये स्ट्रेन अफ्रीकी देशों में इन दिनों काफी ज्यादा फैल रहा है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह उस स्ट्रेन का पहला मामला है जिसके कारण डब्ल्यूएचओ ने पिछले महीने मंकीपॉक्स को दूसरी बार हेल्थ इमरजेंसी घोषित की थी. स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रवक्ता मनीषा वर्मा ने इस स्ट्रेन की पुष्टि की है. सूत्रों के हवाले से बताया था कि केरल के मलप्पुरम जिले में पिछले हफ्ते सामने आया मंकीपॉक्स का मामला क्लेड 1 का था.
दिल्ली में मिला था क्लेड 2 स्ट्रेन का मरीज
इससे पहले राजधानी दिल्ली में सामने आया मंकीपॉक्स का मामला पश्चिमी अफ्रीकी क्लेड 2 स्ट्रेन का था. हरियाणा के हिसार के 26 वर्षीय व्यक्ति में इस महीने की शुरुआत में इस स्ट्रेन की पुष्टि हुई थी. 2022 में WHO द्वारा मंकीपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के बाद से भारत में 30 मामले सामने आए हैं.
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स क्लेड 1b मध्य अफ्रीका में पाया जाता है और यह गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है. WHO के अनुसार, इस साल अब तक अफ्रीका में मंकीपॉक्स के 30,000 से अधिक संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिनमें से अधिकांश कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में हैं, जहां परीक्षण बंद हो गए हैं. यूएन की हेल्थ एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस दौरान पूरे महाद्वीप में 800 से अधिक लोगों की मौत मंकीपॉक्स से हुई है.
केंद्र सरकार ने बुखार, सर्दी, एलर्जी, खुजली और दर्द में इस्तेमाल की जाने वाली 100 से ज्यादा FDC दवाओं यानि फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन की दवाओं पर बैन लगाया है.
केन्द्र सरकार ने एक कठोर कदम उठाते हुए साधारण जुकाम, बुखार और दर्द में काम आने वाली लगभग 156 दवाओं को पूरी तरह बैन कर दिया है. अब इन दवाओं के प्रोडक्शन, बिक्री और स्टोरेज पर पूरी तरह से रोक रहेगी. आपको बता दें कि इनमें कुछ ऐसी दवाएं भी हैं जिन्हें फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन के रूप में जाना जाता है. सरकार का यह कदम लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर उठाया गया है. सरकार के मुताबिक यह सभी दवाएं लोगों की हेल्थ पर काफी बुरा असर डाल रही थीं. आइए जानते हैं कौन-कौन सी दवाओं को किया गया प्रतिबंधित और क्या थे उनके साइड इफेक्ट?
क्यों किया दवाओं को किया बैन?
केन्द्र सरकार ने ऐसी दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी है जो एक से ज्यादा दवाओं के मिलने से तैयार होती हैं. इनमें कई तरह की एंटीबायोटिक, एंटी एलर्जिक, और पेन किलर दवाएं शामिल हैं. दवाओं को बैन करने का ये फैसला यह फैसला ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) और केंद्र सरकार द्वारा गठित एक एक्सपर्ट समिति की सिफारिश के बाद लिया गया है. केंद्र सरकार ने फैसले में कहा है कि, 'केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति और औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (DTAB) ने इस मामले की जांच की. दोनों ने सिफारिश की कि इन FDCs में शामिल सामग्री का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है. इस आधार पर इन सभी दवाओं को बैन किया गया है.
इन दवाओं पर लगाया गया बैन
एफडीसी दवाएं को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा 12 अगस्त को जारी गजट अधिसूचना सरकार ने शीर्ष फार्मा कंपनियों के द्वारा दर्द से तुरंत राहत मिल जाती है. जिन दवाओं पर बैन लगाया गया है वह प्रसिद्ध दवाएं एसिक्लोफेनाक 50 मिलीग्राम+ पैरासिटामोल 125 मिलीग्राम टैबलेट पर बैन लगा दिया गया है.
मेफेनामिक एसिड + पेरासिटामोल इंजेक्शन, सेट्रीजीन एचसीएल + पेरासिटामोल + फिनाइलफ्राइन एचसीएल, लेवोसेटिरिज़िन + फेनिलफ्राइन एचसीएल + पेरासिटामोल, पेरासिटामोल + क्लोरफेनिरामाइन मैलेट + फिनाइल प्रोपेनॉल माइन और कैमाइलॉफिन डाई हाइड्रोक्लोराइड 25 मिलीग्राम + पेरासिटामोल 300 mg जैसी दवाएं शामिल हैं.
पेरासिटामोल पर लगा प्रतिबंध
प्रतिबंधित दवाओं में ऐसी दवाएं शामिल हैं, जो दो या अधिक दवाओं के एक निश्चित अनुपात को मिलाकर तैयार की जाती हैं. ऐसी दवाओं को साधारण भाषा में 'कॉकटेल दवाएं' कहा जाता है. इस प्रतिबंध में एसिक्लोफेनाक और पेरासिटामोल के मिश्रण से बनी दवा को बैन कर दिया गया है. केन्द्र सरकार ने अधिसूचना में यह भी साफ किया है कि एफडीसी से इंसानों को खतरा हो सकता है. इसलिए व्यापक जनहित में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 26A के तहत इस एफडीसी के निर्माण, बिक्री या वितरण पर रोक लगाना जरूरी है.
Mpox का COVID से कोई संबंध नहीं है. नोडल अधिकारी पहले से ही अस्पतालों में हैं, 32 ICMR केंद्रों पर परीक्षण की सुविधाएं उपलब्ध हैं.
केन्द्र सरकार ने एयरपोर्ट, पोर्ट और बॉर्डर पर अधिकारियों को Mpox मामलों के वैश्विक बढ़ोतरी के जवाब में सतर्क रहने का निर्देश दिया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा पर एयरपोर्ट, पोर्ट और बॉर्डर को सतर्क कर दिया है. दिल्ली में तीन केंद्रीय अस्पतालों में आइसोलेशन की सुविधाएं होंगी, जैसे कि सफदरजंग अस्पताल, राम मनोहर लोहिया अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने की बैठक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नए वायरस के खतरे को लेकर विशेषज्ञों के साथ बैठक की, जो पहले के मंकीपॉक्स वायरस से "अलग" है. सरकार ने कहा कि हमने राज्यों और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के साथ पिछले हफ्ते बैठक की. प्रवेश बिंदुओं पर सतर्कता बरती जा रही है. यह एक स्व-संयमित वायरस है. Mpox का COVID से कोई संबंध नहीं है. नोडल अधिकारी पहले से ही अस्पतालों में हैं, 32 ICMR केंद्रों पर परीक्षण की सुविधाएं उपलब्ध हैं. Mpox के लक्षण चिकनपॉक्स के जैसे हैं. साथ ही कहा कि मृत्युदर अधिक हो सकती है लेकिन भारत में इसके प्रभाव की संभावना कम है. यह रोग चकत्ते के साथ होता है.
प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने भी की समीक्षा बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने Mpox के लिए देश की तैयारी का आकलन करने के लिए एक समीक्षा बैठक की. बेहतर निगरानी उपाय अब लागू किए गए हैं ताकि त्वरित पहचान और प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके. उच्च-स्तरीय बैठक के बाद बताया गया कि अभी तक देश में Mpox का कोई मामला रिपोर्ट नहीं हुआ है. वर्तमान आकलन के अनुसार, बड़े पैमाने पर प्रकोप और सतत संचरण का जोखिम कम है. आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने Mpox को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में वर्गीकृत किया है, लेकिन इस समय कोई यात्रा सलाह जारी नहीं की गई है.
जितेंद्र सिंह की उपलब्धियों में भारत के सबसे बड़े डायबिटीज एकेडमिक एसोसिएशन, मधुमेह अध्ययन अनुसंधान सोसायटी (RSSDI) के आजीवन संरक्षक की भूमिका भी शामिल है.
अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा सम्मेलन में दुनिया भर से आए प्रमुख चिकित्सा पेशेवरों के बीच, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को उनके मधुमेह विज्ञान, मधुमेह देखभाल और अनुसंधान में असाधारण योगदान के लिए "लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड" से सम्मानित किया गया. आपको बता दें कि जितेंद्र सिंह के "कश्मीरी प्रवासियों में स्ट्रेस डायबिटीज" पर किए गए पायनियरिंग काम की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सराहना की, उन्होंने "गर्भावस्था में डायबिटीज प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश" तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे डब्ल्यूएचओ ने स्वीकृत किया है.
चेन्नई में आयोजित इस समारोह में जितेंद्र सिंह के काम और समर्पण को सराहा गया. डॉ. वी. मोहन, चेयरमैन, मोहन डायबिटीज स्पेशलिटी सेंटर और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन ने प्रशंसा पत्र पढ़ा, जिसमें जितेंद्र सिंह के शिक्षक, शोधकर्ता, और चिकित्सक के रूप में असाधारण करियर की तारीफ की गई. इस प्रशंसा पत्र में जितेंद्र सिंह की सफलता की तुलना प्रतिष्ठित डॉ. बी.सी. रॉय से की गई और उनके चिकित्सा और सार्वजनिक जीवन में तीन बार सांसद बनने और केंद्रीय मंत्रिमंडल में भूमिका निभाने की बात की गई.
जितेंद्र सिंह को भारत की सबसे बड़ी एकेडमिक एसोसिएशन, मधुमेह अध्ययन अनुसंधान सोसायटी (RSSDI) का लाइफटाइम पैटर्न भी मान्यता प्राप्त है. उनकी उपलब्धियों में "स्वर्ण पदक" (JIPMER Puducherry से), "जमना देवी गियान देवी पुरस्कार" (पत्रकारिता के लिए) और डायबिटीज पर आठ किताबें और तीन मोनोग्राम शामिल हैं. उनकी किताब "डायबिटीज मेड ईज़ी" को नई दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में बेस्ट-सेलर सेक्शन में शामिल किया गया था.
समारोह के अंत में, जब दर्शकों ने जाना कि जितेंद्र सिंह ने चेन्नई के प्रतिष्ठित स्टेनली मेडिकल कॉलेज से अपनी शिक्षा प्राप्त की है, तो उन्होंने खड़े होकर ताली बजाई. अपने स्वीकृति भाषण में जितेंद्र सिंह ने गहरी विनम्रता और आभार व्यक्त किया, अपने सफलता का श्रेय प्रमुख चिकित्सा पेशेवरों की मार्गदर्शक सलाह और अपने सहयोगियों की उच्च अपेक्षाओं को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दिया. इस इवेंट ने डायबिटीज केयर में जितेंद्र सिंह के महत्वपूर्ण योगदान और उनके चिकित्सा और सार्वजनिक सेवा में सम्मानित करियर को उजागर किया.
यूनियन बजट 2024 में भारत सरकार हेल्थकेयर सेक्टर को लेकर गंभीर नजर आई. इसमें स्वास्थ्य सेवाओं के विकास से लेकर कई तरह छूट का प्रावधान है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में 2024-25 का पूर्ण बजट पेश कर दिया. बजट में वित्त मंत्री ने हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़े कई ऐलान किए, जो लोगों के लिए विभिन्न बीमारियों के इलाज को आसान व किफायती बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं. सेक्टर के लिए बजट में लगभग 90 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया. आइए जानते कि इस बार हेल्थ सेक्टर में आम जनता को क्या-क्या मिला है.
हेल्थकेयर सेक्टर के लिए बजट में प्रावधान
वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट पेश करते हुए बताया कि हेल्थकेयर सेक्टर के लिए 89,287 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है. यह पिछले साल आए बजट की तुलना में कुछ अधिक है. पिछले साल फरवरी में आए बजट में हेल्थकेयर सेक्टर के लिए 88,956 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. यानी हेल्थकेयर सेक्टर के बजट में हल्का इजाफा हुआ है. हालांकि इस बार के बजट में फार्मा सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम के तहत 2,143 करोड़ रुपये का भी आवंटन हुआ है.
कैंसर की तीन दवाओं पर शून्य ड्यूटी
यह बजट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए राहत लेकर आया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैंसर की तीन दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाने का प्रस्ताव किया. इससे पहले सरकार ने पिछले साल भी कैंसर की कुछ दवाओं पर कस्टम ड्यूटी को शून्य कर दिया था. सरकार ने बजट में विल्सन डिजीज, साइस्टिक फाइब्रोसिस और पॉम्पे डिजीज जैसी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं व खाद्य सामग्रियों से भी कस्टम ड्यूटी को हटाने का प्रावधान किया है. ये उपाय इलाज को किफायती बनाने में मददगार साबित होंगे.
इन उपकरणों पर ड्यूटी में बदलाव
आम तौर पर दवाओं के ऊपर 10 फीसदी की दर से कस्टम ड्यूटी लगती है. वहीं जीवनरक्षक दवाओं की श्रेणी में आने वाली दवाओं और वैक्सीन आदि पर या तो 5 फीसदी की रियायती दर से कस्टम ड्यूटी लगाई जाती है या उन्हें पूरी तरह से रियायत मिलती है. सरकार ने एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टर पर बेसिक कस्टम ड्यूटी में भी बदलाव प्रस्तावित किया है. एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टर का इस्तेमाल चिकित्सकीय इस्तेमाल वाली एक्स-रे मशीनों में किया जाता है.
आज 10वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है. इस मौके पर देश भर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. PM मोदी कश्मीर में हैं.
देश के दिल दिल्ली से अमेरिका तक लगभग पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उत्साह देखने को मिल रहा है. प्रधानमंत्री इस मौके पर कश्मीर में मौजूद हैं. वह श्रीनगर की डल झील के किनारे योग कर रहे हैं. PM मोदी का कार्यक्रम सुबह 6:30 बजे से कॉमन योग प्रोटोकॉल के तहत शुरू होना था, लेकिन बारिश के चलते देरी से शुरू हुआ. इस दौरान PM मोदी ने कहा कि दुनिया के नेता अब योग की बात करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि आज दुनिया में योग करने वालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है. योग केवल विद्या ही नहीं विज्ञान है. प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर पहुंचे. तीसरी बार PM बनने के बाद मोदी का यह पहला कश्मीर दौरा है.
देश भर में कार्यक्रम
10वें योग दिवस के मौके पर देश भर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. विदेशमंत्री जयशंकर और अन्य राजनयिक दिल्ली में योग कर रहे हैं. जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मथुरा में मौजूद हैं. 10 साल पहले यानी 2014 में संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था. तब से अलग-अलग थीम पर इसे मनाया जा रहा है. इस साल 2024 के लिए योग दिवस की थीम 'योगा फॉर सेल्फ एंड सोसाइटी' है. अमेरिका के न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर 10 हजार लोगों ने योग किया.
As we mark the 10th International Day of Yoga, I urge everyone to make it a part of their daily lives. Yoga fosters strength, good health and wellness. Wonderful to join this year's programme in Srinagar. https://t.co/oYonWze6QU
— Narendra Modi (@narendramodi) June 21, 2024
जंगी जहाज पर योग
उधर, जंगी जहाज INS विक्रमादित्य पर नौसेनिकों ने सुबह योगाभ्यास किया. इसी तरह, पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के जवान, भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर पर जम्मू कश्मीर के आरएस पुरा सेक्टर में BSF के जवान योग कर रहे हैं. बता दें कि गुजरात के सूरत में पिछले साल योग दिवस पर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना था. राज्य में 72 हजार लोकेशन पर करीब 1.25 करोड़ लोगों ने योग किया था. अकेले सूरत में एक लाख से ज्यादा लोगों के जुटने से विश्व रिकॉर्ड बना था. इससे पहले यह रिकॉर्ड 2018 में बनाया गया था, जब राजस्थान के कोटा में पतंजलि योगपीठ में हुए एक सत्र में 1 लाख 984 लोग शामिल हुए थे.
योगी बोले - मोदी की देन
पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम थी 'सद्भाव और शांति के लिए योग'. PM मोदी के साथ 84 देशों के प्रतिनिधियों सहित 35 हजार से ज्यादा लोगों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे. इस आयोजन में भारत के दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बने थे. पहला - दुनिया का सबसे बड़ा योग एकसाथ करने का जिसमें 35 हजार 985 लोग शामिल थे. दूसरा - 84 देशों के नेताओं की एकसाथ भागीदारी. वहीं, 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ये अवसर हमें देश के पीएम मोदी ने दिया है, जिनके प्रयास से और विजन का परिणाम है कि आज दुनिया के करीब पौने दो सौ देश अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भारत की इस विरासत के साथ खुद को जोड़कर भारत की संस्कृति को, भारत की परंपरा को गौरवान्वित करने का प्रयास करेंगे.
यह पुस्तक अपनी रिलीज़ से पहले ही अमेज़ॉन पर हेल्थ, फिटनेस और न्यूट्रीशन कैटेगरी के अंतर्गत टॉप 10 पुस्तकों में शामिल हो चुकी है
पद्मश्री से सम्मानित एवं होमियोपैथी क्लिनिक्स की सबसे बड़ी श्रृंखला डॉ. बत्राज हेल्थकेयर के संस्थापक डॉ. मुकेश बत्रा की 10वीं किताब ‘फील गुड, हील गुड. स्टेइंग हैप्पी विद होमियोपैथी’ 77वें कान्स फिल्म फेस्टिवल 2024 में लॉन्च हुई. ब्लूम्सबरी द्वारा प्रकाशित 'स्टेइंग हैप्पी विद होम्योपैथी' को हॉलीवुड निर्माता और पूर्व टेनिस चैंपियन अशोक अमृतराज ने लॉन्च किया. यह लॉन्च कार्यक्रम कान्स के भारत पवेलियन में आयोजित किया गया, जिसमें हॉलीवुड के दिग्गज हैल सैडॉफ़, विलियम फिफर के साथ-साथ सरकारी अधिकारी, भारतीय फिल्म निर्माता और वैश्विक फिल्म उद्योग सहित अन्य लोग उपस्थित थे.
पाठकों के लिए उपयोगी होगी किताब
पद्मश्री डॉ. मुकेश बत्रा ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि मैं दुनिया के सबसे प्रसिद्ध फिल्म फेस्टिवल कान्स में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी 10वीं पुस्तक लॉन्च करते हुए बहुत खुश हूं. भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोगों को बीमारी से निपटने में मेरे 50 वर्षों के चिकित्सा अनुभव पर आधारित मेरी पुस्तक विश्व स्तर पर पाठकों के लिए उपयोगी होगी. यह पुस्तक चिंता, डिप्रेशन, एडीएचडी, तनाव और अकेलापन जैसी समस्याओं की रोकथाम, गैर-नशे की लत और सुरक्षित होम्योपैथिक उपचार और स्वयं-सहायता के बारे में है. ‘स्टेइंग हैप्पी विद होम्योपैथी' जागरूकता पैदा करती है और मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्याओं का समाधान प्रदान करती है.
6 देशों में है होम्योपैथी क्लीनिक
डॉ. मुकेश बत्रा पद्मश्री से सम्मानित एवं होमियोपैथी क्लिनिक्स की सबसे बड़ी श्रृंखला डॉ. बत्राज़ हेल्थकेयर के संस्थापक है. इनकी 6 देशों में 225 से अधिक होम्योपैथी क्लीनिकों की दुनिया की सबसे बड़ी श्रृंखला है. उन्होंने जागरूकता पैदा करने और भावनात्मक और मानसिक विकारों के समाधान प्रदान करने के लिए पुस्तक लिखी है. यह पुस्तक अपनी रिलीज़ से पहले ही अमेज़ॉन पर हेल्थ, फिटनेस और न्यूट्रीशन कैटेगरी के अंतर्गत टॉप 10 पुस्तकों में शामिल हो चुकी है.
कौन हैं अमृतराज?
अमृतराज ने अपने 35 साल के करियर के दौरान 100 से ज़्यादा फ़िल्में बनाई हैं, जिनका कुल वर्ल्डवाइड रेवेन्यू 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा है. उन्होंने हॉलीवुड के हर बड़े स्टूडियो के साथ साझेदारी की और ड्वेन "द रॉक" जॉनसन, रॉबर्ट डी नीरो, ब्रूस विलिस, सैंड्रा बुलॉक, सिल्वेस्टर स्टेलोन, एंजेलिना जोली, कैट ब्लैंचेट, डस्टिन हॉफमैन, एंड्रयू गारफील्ड, स्टीव मार्टिन, रजनीकांत, एंटोनियो बैंडेरस, जेनिफर एनिस्टन, निकोलस केज और कई अन्य लोगों की फिल्में बनाई हैं.
अच्छा खान-पान ही अच्छे स्वास्थ्य का मूल मंत्र है. ऐसे में हर किसी को अपने डाइट का विशेष ध्यान रखना जरूरी है. ICMR ने इस संबंध में अहम गाइडलाइंस जारी किए हैं.
आजकल की भागती दौड़ती जिंदगी में लोगों के पास खुद की हेल्थ पर ध्यान देने तक का समय नहीं होता. अच्छा खानपान हो या वर्कआउट लोग अपनी बिजी लाइफ के चलते अपने शरीर का ध्यान रखना भूल गए हैं. आपका खानपान आपको हेल्दी बनाने में मदद करता है. अगर आप हेल्दी डाइट लेते हैं तो आप खुद को फिट और हेल्दी बनाए रख सकते हैं. अब इसी को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) एक गाइडलाइन्स जारी की है. ICMR के मुताबिक, स्वस्थ भोजन तैयार करने के लिए कुकिंग और प्रीकुकिंग तकनीक सही होना सबसे आवश्यक है. ऐसे में ICMR की कुकिंग गाइलाइन फॉलो कर कुकिंग को सेफ रख सकते हैं.
प्री-कुकिंग तकनीकों का करें इस्तेमाल
भोजन की न्यूट्रीशन क्वालिटी बढ़े, इसके लिए ICMR ने प्री-कुकिंग मेथड जैसे सोकिंग, ब्लैंचिंग और मैरिनेटिंग पर काफी जोर दिया है. सोकिंग की प्रकिया के दौरान अनाज को तकरीबन 3 से 6 घंटे के लिए भिगोया जाता है. इससे अनाज में मौजूद फाइटिक एसिड कम होता है. यह एसिड बॉडी को मिनरल्स एब्जार्व करने से रोकता है. वहीं, सब्जियों को ब्लांच करने से उसका माइक्रोबियल लोड कम होता है और पेस्टिसाइड हटता है. साथ ही सब्जी के रंग, बनावट और पोषक तत्व में कोई बदलाव नहीं आता है. ये प्रोसेस उन एंग्जाइम को खत्म करने के काम आता है जो सब्जी से पोषण तत्वों को कम करते हैं.
ICMR के मुताबिक आधी से ज्यादा बीमारियों की वजह आपका खानपान हो सकता है. भारत में 57 प्रतिशत बीमारियों का कारण अनहेल्दी डाइट है. ICMR के मुताबिक खराब खानपान के कारण शरीर में पोषण की कमी, एनीमिया, मोटापा, डायबिटीज, कैंसर जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है. आइए जानते हैं ICMR ने अपने गाइडलाइन में कुकिंग के किन तरीकों को शामिल किया है.
• बॉइलिंग और स्टीमिंग- ये तरीका भोजन में मौजूद वॉटर सॉल्यूबल विटामिन्स और मिनरल्स को बचाकर रखता है. साथ ही पकवान तैयार करने में समय भी कम लगता है.
• प्रेशर कुकिंग- भोजन को स्टीम के दबाव में जल्दी पकाने के लिए प्रेशर कुकर का इस्तेमाल किया जाता है. इस कुकवेयर में खाना तैयार करने से भोजन में विटामिन और मिनरल्स बने रहते हैं.
• फ्राइंग और शैलो फ्राइंग- ये तरीका फूड में फैट को बढ़ा सकता है, जो दिल की बीमारियां होने की एक वजह बन सकता है. हालांकि, खाने का स्वाद बढ़ाने में ये तरीका कारगर साबित हो सकता है.
• माइक्रोवेव में खाना पकाना- खाना बनाने के इस तरीके में समय कम लगता है. साथ ही पोषक तत्व भी भोजन में बने रहते हैं. भोजन तैयार करने के लिए बर्तनों का चुनाव भी काफी महत्वपूर्ण है. इसमें भी हल्की सी लापरवाही आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.
• मिट्टी के बर्तन- खाना पकाने का ये तरीका भोजन का स्वाद और उसके मिनरल्स कंटेट को बढ़ा सकता है. हालांकि, इन्हें इस्तेमाल करने से पहले इनकी साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें, वर्ना इस बर्तन में खाना बनाना जोखिम भी साबित हो सकता है.
• मेटल और स्टेनलेस स्टील के कुकवेयर- खाना पकाने का टिकाऊ और सुरक्षित तरीका है लेकिन भोजन में मेटल्स के रिसाव से बचने के लिए इसका सही तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए.
• टेफ्लॉन से लेपित नॉन-स्टिक पैन- कम वसा वाले खाना पकाने के लिए उपयोगी है. हालांकि, भोजन पकाते वक्त निकलने वाले जहरीले धुएं को रोकने के लिए इसे ज़्यादा गरम नहीं किया जाना चाहिए.
• ग्रेनाइट पत्थर के कुकवेयर- पारंपरिक नॉन-स्टिक की तुलना में अधिक सुरक्षित और टिकाऊ माने जाते हैं. ध्यान रखें इसमें कोई हानिकारक रसायन न हों.