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दिल के इलाज में स्टेंट सुने हैं, अब फ्रैक्चर के इलाज में लगाया गया स्टेंट
ऐसा पहली बार हो रहा है जब मेडिकल साइंस में स्टेंट का इस्तेमाल फ्रैक्चर में भी किया गया हो, अब तक तो स्टेंट का इस्तेमाल दिल के इलाज में ही होता था.
ललित नारायण कांडपाल 10 months ago
सोचिए अब तक अगर आपके किसी हड्डी वाले हिस्से में फ्रैक्चर हो जाता था तो वहां पर रॉड डालकर या प्लॉस्टर लगाकर उसका उपचार किया जाता था. लेकिन अब मेडिकल साइंस में पहली बार ऐसा हुआ है जब हड्डी के फ्रैक्चर में दिल में लगाए जाने वाले स्टेंट का इस्तेमाल किया गया है. इस नई तकनीक का इस्तेमाल हुआ है फोर्टिस एक्कॉर्टस अस्पताल में. इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाले डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने इस ऑपरेशन को मात्र 25 मिनट में पूरा कर दिया.
क्या है इसकी केस हिस्ट्री
दरअसल मरीज़ सुधा देवी बिहार में अपने घर में गिर गईं और उन्हें उनके गृह नगर बेगूसराय के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. जांच के बाद पता चला कि उनके एल1 वर्टेब्रा (लोअर बैक का सबसे ऊपरी हिस्सा) में कंप्रेशन फ्रैक्चर हो गया है जिसकी वजह से बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था और एल 1 वर्टेब्रा हाइट को नुकसान पहुंचने की वजह से न तो वह चल पा रही थीं और न ही खड़ी हो पा रही थीं. उन्हें आराम करने और दवाएं लेने की सलाह दी गई, हालांकि एक महीने बाद भी मरीज़ की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ. उसके बाद उनका केस डॉ. कौशल कांत मिश्रा के पास आ गया.
क्यों कठिन था ये ऑपरेशन
इस ऑपरेशन के बारे में बताते हुए डॉ. कौशल कांत मिश्रा बताते हैं कि मरीज को पहले से ही ऑस्टियोपोरोसिस, हाई बीपी, डायबिटीज़, और ऑस्टियोऑर्थराइटिस जैसी बीमारियां थीं जो सर्जरी करने के लिहाज़ से खतरे की वजह बन सकती थीं. इन सभी जोखिमों को ध्यान में रखते हुए हमारी टीम ने सर्जरी के पारंपरिक तरीके को अपनाने के बजाय स्टेंटोप्लास्टी प्रक्रिया करने का निर्णय किया क्योंकि मरीज़ को बहुत ज़्यादा दर्द था और एक महीने पहले उन्हें फ्रैक्चर हुआ था.
कैसे होता है इस प्रक्रिया में इलाज
डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने बताया कि इस तकनीक में पहले उस जगह पर एक बैलून डाला जाता है और उसके बाद वहां जगह बनाई जाती है. उसके बाद वहां टाइटेनियम स्टेंट लगाकर वहां सीमेंट भर दिया जाता है. इलाज का ये नया तरीका फ्रैक्चर केस के पारंपरिक तरीके को बदल सकता है. तकनीक का खर्च 4-5 लाख रुपये तक आता है.
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