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B स्कूल अब जॉब सीकर की जगह जॉब क्रिएटर बना रहे हैं : डॉ. अनुराग बत्रा
डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि हमारे जीवन में कुछ चीजें बेहद अहम हैं. उनमें से एक है स्लीप और काइंडनेस. हमारे करिक्यूलम में उसे लेकर भी काम होना चाहिए.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
BW Businessworld के Business School Summit And Awards 2023 के इवेंट में बिजनेस वर्ल्ड समूह के चेयरमैन, एडिटर-इन-चीफ और एक्सचेंज4मीडिया के संस्थापक डॉ. अनुराग बत्रा ने कई अहम बातें कहीं. उन्होंने बताया कि बिजनेस स्कूलों की भूमिका पहले से ज्यादा आज कैसे बढ़ रही है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आज बिजनेस स्कूल जॉब सीकर नहीं बल्कि जॉब क्रिएटर बनाने को लेकर तेजी से काम कर रहे हैं. उन्होंने किसी भी इंसान के जीवन में स्लीप, काइंडनेस, और प्रतिस्पर्धा की अहमियत को भी रखा.
B स्कूल का प्रशिक्षण हो रहा है लगातार बेहतर
डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का मैं वेलकम करता हूं. मैं उन सभी लोगों को स्वागत करना चाहता हूं जो आज के युवाओं को बेहतर शिक्षण प्रशिक्षण दे रहे हैं और आने वाले देश के लीडर्स को तैयार कर रहे हैं. डॉ. भरत भास्कर का भी मैं दिल से स्वागत करना चाहता हूं. मैं मानता हूं कि कम से तीन ऐसी चीजें हैं जो एक बिजनेस स्कूल को फॉलो करनी चाहिए. मुझे उम्मीद है कि आप में से कई लोग इससे सहमत होंगे. इमर्जिंग एरिया को करिक्यूलम में शामिल करना है, आज पब्लिक पॉलिसी भी एक अहम विषय है और आईआईएम अहमदाबाद इसके लिए एक बड़ा सेंटर बनकर सामने आया है.
जीवन में स्लीप की अहमियत बेहद अहम है
डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि जिन तीन चीजों के बारे मैं बात करना चाहता हूं, उनमें पहला है कि करिकूलम में स्लीप को भी शामिल होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरा मानना ये है कि हमारे देश में एक तरह से सोने की बहुत कमी है. आज हर उम्र के लोग बहुत कम सो रहे हैं. एक स्वस्थ जीवन के तीन पहलू हैं इनमें स्लीप, न्यूट्रिशन और मूवमेंट शामिल हैं. दूसरा विषय है काइंडनेस. डॉ. अनुराग बत्रा ने ऑडिएंस के साथ इजराइल के उस युवक नदफ की कहानी को भी साझा किया जिसने 2012 में एवरेस्ट की एक ऊंचाई पर पहुंचने के बाद जब उसके साथ जा रहे उसके दोस्त की जान पर संकट आ गया तो उसने चढ़ने से ज्यादा अपने दोस्त की जान बचाने को ज्यादा अहमियत दी.
ये बात मैं आपसे क्यों कर रहा हूं वो इसलिए कर रहा हूं क्योंकि बिजनेस स्कूल आपको प्रतिस्पर्धा करना सिखाते हैं और ये सही भी है पूरी लाइफ एक तरह से प्रतिस्पर्धा की तरह ही है. लेकिन दुनिया में मौजूदा समय में व्यक्तिगत ग्रोथ ज्यादा देखने को मिल रही है. मैं किसी एक व्यक्ति के बारे में बात नहीं कर रहा हूं बल्कि मैं इस वक्त सोसाइटी की बात कर रहा हूं. मैंने हाल ही एक बुक को पढ़ा जिसमें बताया गया था कि स्लीप कैसे हमारी ग्रोथ को प्रभावित करती है. ये बुक कहती है कि 60 प्रतिशत हमारा स्वास्थ्य इस नींद के इर्द गिर्द घूमता है. रिसर्च कहती है कि जो लोग 8 घंटे से ज्यादा सोते हैं उनमें पॉर्किंसन लगभग ना के बराबर होती है. मैं मानता हूं कि स्लीप का भी कोर्स होना चाहिए.
बी स्कूल कर रहे हैं सस्टेनेबिलिटी पर काम
डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि बी स्कूल के कोर्स में काइंडनेस को भी शामिल होना चाहिए. ह्यूमन काइंड नाम की बुक जो कि एक बड़ी रिसर्च के बाद लिखि गई है. इस बुक का जिस्ट ये है कि ह्यूमन एक दूसरे को लेकर काफी काइंड होते हैं. रूटजर ब्रेगमैन की एक और किताब है जिसे मैं रिकमंड करना चाहूंगा वो है यूटोपिया फॉर रिएलिस्ट. मैं जानता हूं कि बहुत सारे बिजनेस स्कूल ने आज सस्टेनेबिलिटी को लेकर भी काम करना शुरू कर दिया है. सस्टेनेबिलिटी आज कॉरपोरेट के लिए एक फैब्रिक की तरह है.
आंत्रप्रिन्योर को लेकर काम कर रहे हैं बी स्कूल
डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि आज सभी बिजनेस स्कूल ने आंत्रप्रिन्योरशिप के कोर्स चलाने शुरू कर दिए हैं. सभी कॉलेजों ने प्रतिस्पर्धा को लेकर काम करना शुरू कर दिया है, यही नहीं सभी कॉलेजों ने जॉब सीकर की जगह जॉब क्रिएटर बनाने को लेकर काम करना शुरू कर दिया है. मैं हर हफ्ते में एक बुक पढ़ना पसंद करता हूं, लेकिन मेरा ये भी मानना है कि हमारी दुनिया में वेद और शास्त्र सबसे बड़े साहित्य के तौर पर मौजूद हैं. मेरा मानना है बी स्कूल आज भी रेलीवेंट हैं, और आने वाले समय में ये और बड़ी भूमिका निभाएंगे.
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