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लीगल प्रोफेशन में टेक्नोलॉजी अहम भूमिका निभाने वाली है: डॉ.अनुराग बत्रा
डॉ.अनुराग बत्रा ने देश में लगातार बढ़ती केस पेंडेंसी को लेकर अपनी बात कहते हुए कहा कि हमें ये सोचना होगा कि हम इसे कैसे कम करें.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 10 months ago
BW Legal के The GC CONCLAVE 2023 में Business World Group के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ और एक्सचेंज4मीडिया के फाउंडर डॉ.अनुराग बत्रा ने कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कई अहम बातें कहीं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में टेक्नोलॉजी इस प्रोफेशन में अहम भूमिका निभाने जा रही है. उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में 5 करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं. ऐसे में हमारे देश में इसे कम करने में आर्बिट्रेशन की अहम भूमिका होने वाली है. इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस ए.के. सीकरी भी मौजूद रहे. डॉ. अनुराग बत्रा ने जस्टिस सीकरी का कार्यक्रम में भाग लेने के लिए शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि आज अपने इस कार्यक्रम में हम 40UNDER40 की ज्यूरी की भी घोषणा करेंगे.
आखिर भविष्य कैसा होने वाला है लीगल प्रोफेशन का
डॉ.अनुराग बत्रा ने सबसे पहले लीगल प्रोफेशन के भविष्य को लेकर अपनी बात कहते हुए अहम बात कही. उन्होंने कहा कि अगर लीगल फर्म्स की बात करें या इन हाउस काउंसिल, या जीसी की टीम हो, वो आगे चलकर लॉयर नहीं होंगे बल्कि उसमें से ज्यादा अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट हो जाएंगे और ये होना शुरू हो चुका है. उन्होंने ये भी कहा कि आगे चलकर लीगल टेक के कारण ये बदल जाएगा. लीगल सर्विसेज हो, लीगल टेक हो, या आर्बिट्रेशन हो हर काम टेक की हेल्प होगा. उसमें आप वर्चुअल कोर्ट को भी ले सकते हैं. उन्होंने लीगल डेटा के बारे एक अहम बात करते हुए कहा कि लीगल डेटा को पढ़ना भी उतना ही अहम है जितना किसी लीगल जजमेंट को पढ़ना है.
आखिर कितने जीसी CEO बनते हैं?
आप किसी भी बिजनेस में चले जाइए वहां आपको एक प्रोसेस के तहत काम करना होता है, रेस्टोरेंट हो, मूवी हो या डॉक्टर हो आप किसी के पास चले जाएं उसके ग्राहक का अनुभव बेहद महत्वपूर्ण होता है, सबसे अहम बात ये होती है कि लीगल में ग्राहक का अनुभव हार्ड होता है. हम पिछले लंबे समय से देखते आ रहे हैं कि जीसी (जनरल कांउसिल) की भूमिका अहम होती है. लेकिन कितने जीसी किसी भी कंपनी के टॉप पर पहुंच पाते हैं. कितने जीसी आगे चलकर सीईओ बन पाते हैं. कितने जीसी ऐसे होते हैं जो कंपनी सेटअप करते हैं. इंडिगो के आदित्य घोष एक उदाहरण हो सकते हैं लेकिन शायद उससे ज्यादा नहीं हैं.
लीगल प्रोसेस बहुत समय लेता है
डॉ.अनुराग बत्रा ने लीगल सिस्टम में लगने वाले समय को लेकर अपनी बात कहते हुए कहा कि आज लीगल सिस्टम वो आम आदमी के लिए हो या कॉरपोरेट के लिए हो बहुत समय लेता है. उन्होंने कहा कि आगे चलकर कॉन्ट्रैक्ट का प्रोसेस पूरी तरह से ऑनलाइन हो जाएगा. आज जिस तरह से डील आज होने में इतना समय लगता है ये सब खत्म हो जाएगा. आज हमारे बीच में बहुत पढ़े-लिखे और अनुभवी लोग बैठे हैं. उन्होंने कहा कि मैं आज केस पेंडेंसी को लेकर अपनी बात कहना चाहूंगा. आज हमारे देश में 5 करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं. उसमें हर रोज और केस बढ़ते जा रहे हैं. आप क्या सोचते हैं कि आप इसे कैसे कम करेंगे. मैं चाहता हूं आप इसका जवाब ढूंढें. उन्होंने आखिरी में अपनी बात कहते हुए कहा कि किसी भी बिजनेस के लिए कल्चर को कल्चर को मैनेज कर अपनी स्ट्रैटजी पर काम करना बेहद अहम होता है.
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