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आखिर ऐसा क्या हुआ कि SpiceJet को खटखटाना पड़ गया Delhi High Court का दरवाजा?
स्पाइसजेट की याचिका अदालत ने स्वीकार कर ली है और कल उस पर सुनवाई होने वाली है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago
बीते कुछ समय से किसी न किसी वजह से खबरों में चल रही स्पाइसजेट (SpiceJet) ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. स्पाइसजेट और उसके चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें सन ग्रुप के प्रमोटर कलानिधि मारन को 270 करोड़ रुपए से अधिक वापस करने का निर्देश दिया गया था.
कल होगी मामले की सुनवाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस यशवंत वर्मा और धर्मेश शर्मा की डिवीजन बेंच कल यानी गुरुवार को मामले की सुनवाई करेगी. हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने 31 जुलाई को लो-कॉस्ट एयरलाइन स्पाइसजेट (SpiceJet) को उसके पूर्व प्रमोटर, सन ग्रुप (Sun Group) के कलानिधि मारन को 270 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करने का आदेश दिया था. साथ ही कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर संपत्ति का एक हलफनामा प्रस्तुत करने को भी कहा था.
2015 से जुड़ा है विवाद
दिसंबर तिमाही में इनकम में करीब 4 गुना वृद्धि दर्ज करने वाली स्पाइसजेट के लिए यह आदेश किसी झटके से कम नहीं था. इसलिए अब उसने इस आदेश को चुनौती दी है. बता दें कि मारन और स्पाइसजेट के बीच विवाद 2015 से शुरू हुआ जब अजय सिंह ने मारन से स्पाइसजेट को वापस खरीद लिया. मारन ने 2015 में एयरलाइन में अपनी 58.46% हिस्सेदारी अजय सिंह को हस्तांतरित कर दी थी. हालांकि, सौदे के अनुसार, मारन को एयरलाइन के प्रमोटर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा निवेश किए गए पैसे के बदले में Redeemable Warrants मिलने थे. मारन 18 करोड़ वारंट प्राप्त करने के लिए उत्तरदायी थे, जिसका मतलब स्पाइसजेट में 26% हिस्सेदारी थी. लेकिन मारन को न अपने हिस्से का पैसा मिला, न Convertible Warrants ना ही Preference Shares.
इस तरह चलता रहा मामला
इससे नाराज मारन ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया. मारन का दावा था कि उन्हें 1300 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है. 2018 में, मध्यस्थ न्यायाधिकरण (Arbitral Tribunal) ने स्पाइसजेट को मारन को 270 करोड़ वापस करने का आदेश दिया. इसके अलावा, ट्रिब्यूनल ने स्पाइसजेट को वारंट के लिए भुगतान की गई राशि पर 12% प्रति वर्ष और धन हस्तांतरण में देरी होने पर मारन को दी गई राशि पर 18% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने को भी कहा. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने मारन और स्पाइसजेट-अजय सिंह के बीच हुए शेयर बिक्री और खरीद समझौते में किसी तरह का उल्लंघन नहीं पाया. ट्रिब्यूनल ने मारन की शेयरधारिता की वापसी की मांग और हर्जाने के दावे को खारिज कर दिया.
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