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Anil Ambani के हाथ से फिसल सकती है एक और कंपनी, NCLT पहुंचा मामला
अनिल अंबानी की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब उनकी एक और कंपनी को NCLT में घसीटा गया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 10 months ago
एक तरफ जहां मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जा रहे हैं. वहीं, उनके छोटे भाई अनिल अंबानी (Anil Ambani) की मुश्किलें हर रोज बढ़ती जा रही हैं. उनकी कंपनी रिलायंस कैपिटल पहले से ही दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही है. अब एक और कंपनी उनके हाथों से जा सकती है. रिलायंस इनोवेंचर्स (Reliance Innoventures) को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने दिवाला कार्यवाही के लिए एडमिट कर लिया है. कंपनी पर आरोप है कि वह कर्ज चुकाने में नाकाम रही है.
इस कंपनी ने घसीटा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका के फाइनेंसर JC फ्लावर्स एसेट कंस्ट्रक्शन कंपनी (JC Flowers Asset Reconstruction Company) ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इनोवेंचर्स पर कर्ज न चुकाने का आरोप लगाते हुए उसे NCLT में घसीटा है. यहां ये भी समझना जरूरी है कि जब जूनियर अंबानी ने JC Flowers से लोन लिया ही नहीं, तो वो उसके कर्जदार कैसे बन गए. दरअसल, ये पूरी कहानी कुछ साल पहले शुरू हुई जब रिलायंस इनोवेंचर्स ने Yes Bank से लोन लिया था. यस बैंक के करीब 48,000 करोड़ रुपए के बैड लोन पोर्टफोलियो को अमेरिकी फाइनेंसर ने पिछले साल दिसंबर में खरीद लिया था. इस तरह, अंबानी की कंपनी JC Flowers की कर्जदार हो गई.
रिलायंस ने नकारे आरोप
जूनियर अंबानी की कंपनी ने 2015 और 2017 में यस बैंक से 1000 करोड़ का लोन लिया था, जिसे बाद में Yes Bank ने बैड लोन पोर्टफोलियो के साथ जेसी फ्लावर्स के हवाले कर दिया. यह कर्ज टर्म लोन और नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स के रूप में था. अब अमेरिकी फाइनेंसर का दावा है कि रिलायंस इनोवेंचर्स ने 100 करोड़ रुपए के इंटरेस्ट पेमेंट में डिफॉल्ट किया है. जबकि रिलायंस का कहना है कि JC फ्लावर्स के आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं. अनिल अंबानी की कंपनी का कहना है कि उसने जेसी फ्लावर्स को जो कोलेट्रल दिया है, उसकी वैल्यू कर्ज को कवर करने के लिए काफी है.
कंपनी ने किया ये दावा
रिलायंस इनोवेंचर्स का यह भी कहना है कि लेनदार यानी क्रेडिटर ने समूह की 4 कंपनियों के शेयरों की असमय बिक्री की, जिसके चलते उसकी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई. अनिल अंबानी की रिलायंस समूह का दावा है कि होल्डिंग कंपनी ने 2598 करोड़ का कर्ज लिया था और रिलांयस इन्फ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पावर और रिलायंस होम फाइनेंस के शेयरों को गिरवी रखा गया था. जेसी फ्लावर्स द्वारा यस बैंक का बैड लोन पोर्टफोलियो खरीदने से पहले यस बैंक ने 2019 में इन शेयरों को महज 142 करोड़ रुपए में बेच दिया था. रिलायंस इनोवेंचर्स का कहना है कि अमेरिकी फाइनेंसर को NCLT जाने का अधिकार नहीं है. हालांकि, NCLT ने उसकी याचिका स्वीकार कर ली है.
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