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महंगाई के मौसम में बढ़ेगा EMI का बोझ या मिलेगी राहत, इस दिन चल जाएगा पता
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी की जब भी बैठक होती है तब-तब उस पर सभी सेक्टरों की नजर रहती है. क्योंकि वहां की बैठक से तय होने वाली ब्याज दरों का असर सभी पर होता है.
ललित नारायण कांडपाल 9 months ago
रिजर्व बैंक की हर दो महीने में होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक एक बार फिर से होने जा रही है. इससे पहले 6 जून को रिजर्व बैंक की ओर से जब रेपो रेट का ऐलान किया गया था उस वक्त उसमें कोई इजाफा या कमी नहीं की गई थी. उसे पिछली बार की दरों पर ही स्थिर कर दिया गया था. लेकिन इस बार उसमें इजाफे की उम्मीद है.
कब होगी मीटिंग?
इस बार रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक 8-10 अगस्त के बीच होने जा रही है. 10 अगस्त को एक बार फिर रेपो रेट पर ब्याज दरों का एलान होगा. मौजूदा समय में रिजर्व बैंक की रेपो रेट 6.50 प्रतिशत है. इस दर में फरवरी के बाद से अब तक कोई बदलाव नहीं आया है.
कितने बजे होगा ब्याज दरों का एलान
आरबीआई 10 अगस्त को दोपहर 12 बजे रेपो रेट का एलान करेगा. आरबीआई की इस घोषणा को आरबीआई के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है. ब्याज दरों में बदलाव होगा या वो स्थिर रहेंगी इसकी घोषणा हर बार गवर्नर शक्तिकांत दास करते हैं. अगले हफ्ते होने वाली इस मीटिंग पर सबकी नजरें लगी हुई हैं.
आखिर क्या है उम्मीद?
इकोनॉमी के जानकार प्रो अरुण कुमार कहते हैं कि मौजूदा हालातों को देखते हुए मुझे ऐसा लगता है कि रिजर्व बैंक इस बार ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है. प्रो अरुण कुमार कहते हैं कि बाकी यूरोप में रेपो रेट में इजाफा हुआ है तो ऐसे में भारत में भी दामों में इजाफा हो सकता है. क्योंकि रिजर्व बैंक ने पिछली बार भी नहीं बढ़ाया था और ऐसे में अगर ज्यादा अंतर आ जाता है तो यहां से कैपिटल बाहर जाने लगता है. उससे बैलेंस ऑफ पेमेंट में अंतर आ सकता है. इसलिए मुझे लगता है कि वहां बढ़ने के कारण यहां घटाने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है. इसलिए इसका सीधा असर बाहर से होने वाले निवेश पर होगा और वो कम हो जाएगा.
क्या कहते हैं दूसरे जानकार?
वहीं दूसरी ओर कुछ जानकारों का मानना है कि मानसून में हुई बारिश के कारण हुए नुकसान से आने वाले दिनों में दामों में इजाफा हो सकता है. मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के कारणों में खाद्य पदार्थों की कीमतों में हो रही वृद्धि शामिल है. विशेष रूप से सब्जियों की कीमत में हो रहा इजाफा इसमें शामिल है. जून में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) ने मुद्रास्फीति दर 4.81% दिखाई. इसी तरह, जून में मुख्य मुद्रास्फीति मई के 5.2% से कम 5.1% थी. परिणामस्वरूप, अगले कुछ महीनों में सीपीआई में तेजी आने की संभावना है क्योंकि मानसून के अनियमित प्रभावों ने किसानों को प्रभावित किया है. उत्तर पश्चिम में बाढ़ और दक्षिण और पूर्व में अपर्याप्त वर्षा के कारण कटाई धीमी हो गई है.
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