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गहरे संकट में फंसी Vodafone Idea, बंद हो जायेगी कंपनी?
इस वक्त इन्फ्लेशन RBI द्वारा सुझाए गए लेवल से ऊपर है जिसकी वजह से 2024 के आम चुनाव खत्म होने के बाद टेलिकॉम कंपनियां रेट्स में भी इजाफा कर सकती हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
टेलिकॉम के क्षेत्र में बढ़ते कॉम्पिटिशन के बीच वोडाफोन आइडिया बहुत बड़े संकट में नजर आ रही है. जहां एक तरफ कंपनी पर कर्जा बढ़ता जा रहा है वहीं, दूसरी तरफ कंपनी जरूरी फंड्स को भी इकट्ठा नहीं कर पा रही है. एक घरेलु फर्म का मानना है कि बढ़ते कॉम्पिटिशन से पैदा हुई चुनौतियों की वजह से कंपनी की हालत बाद से बदतर होती जा रही है और अगर ऐसा ही रहा तो जल्द ही कंपनी बंद भी हो सकती है.
कंपनी नहीं कर पाएगी 5G की शुरुआत?
इतना ही नहीं इस घरेलु फर्म ने यह दावा भी किया है कि इस वक्त इन्फ्लेशन भारत के केंद्रीय बैंक RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) द्वारा सुझाए गए लेवल से ऊपर है जिसकी वजह से 2024 के आम चुनाव खत्म हो जाने के बाद टेलिकॉम कंपनियां अपने रेट्स में भी इजाफा कर सकती हैं. कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि शुल्क दरों में बढ़त नहीं हुई है जिसकी वजह से वोडाफोन आइडिया जरूरी इन्वेस्टमेंट के द्वारा 5G सुविधाओं की शुरुआत नहीं कर पाएगी और इससे कंपनी के ग्राहकों की संख्या बहुत ज्यादा कम हो जायेगी.
बंद हो सकती है वोडाफोन आइडिया
इतना ही नहीं ग्राहकों की संख्या कम होने से पहले से मौजूद पैसे जुटाने की समस्या और विकराल रूप धारण कर लेगी. इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि इसके चलते टेलिकॉम क्षेत्र में केवल दो ही कंपनियां, एयरटेल और रिलायंस जिओ रह जायेंगी. ब्रोकरेज फर्म कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि, टेलिकॉम कंपनियां 2024 के आम चुनावों के बाद यानि जून 2024 के बाद अपने रेट बढ़ा सकती हैं. इसका एक कारण इन्फ्लेशन का RBI द्वारा तय किये गए लेवल से ऊपर होना और राज्यों में होने वाले चुनाव हैं.
कंपनी को इकट्ठे करने होंगे पैसे
इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर वोडाफोन को अपना 4G का दायरा बढ़ाना है और 5G सेवाओं को शुरू करना है तो उसके लिए कंपनी को अपनी इन्वेस्टमेंट बढ़ानी पड़ेगी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, अगर कंपनी इन्वेस्ट नहीं करती है तो मार्केट में उसकी हिस्सेदारी कम होती जायेगी. कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने वोडाफोन आइडिया की रेटिंग को भी खारिज कर दिया है और बिलकुल साफ तौर पर कहा है कि, 2.3 लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा का कर्ज उतारने और मार्केट में कम होती अपनी हिस्सेदारी की आशंका को देखते हुए पैसे इकट्ठा करना कंपनी के लिए लगभग नामुमकिन है.
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