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Vedanta के मालिक Anil Agarwal ने क्यों कहा - 1 अरब डॉलर हमारे लिए PeaNuts?
दिग्गज माइनिंग कंपनी वेदांता कर्ज चुकाने की कोशिशों में लगी है, लेकिन उसकी इस कोशिश में सरकार ने पेंच फंसा दिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
गौतम अडानी (Gautam Adani) के साथ ही एक और अरबपति है, जिसकी इस समय सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. उनका नाम है अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal). दिग्गज माइनिंग कंपनी वेदांता (Vedanta) के मालिक अनिल अग्रवाल कंपनी का कर्ज चुकाने की कोशिशों में लगे हैं. हालांकि, उनकी इस कोशिश को सरकार के रुख से बड़ा झटका लगा है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अग्रवाल निवेशकों का भरोसा कायम रख पाएंगे? बता दें कि वेदांता के शेयरों में भी पिछले कुछ दिनों में गिरावट देखने को मिली है.
हमारे पास पर्याप्त पैसा
वेदांता के कर्ज को लेकर बाजार और निवेशकों में भले ही चिंता का माहौल हो, लेकिन अनिल अग्रवाल निश्चित नजर आ रहे हैं. हाल ही में एक मीडिया हाउस से बातचीत में उन्होंने जो कहा, उससे कही लगता है कि उन्हें कर्ज चुकाने में कोई दिक्कत नहीं है. अग्रवाल ने यहां तक कह दिया कि 1 अरब डॉलर हमारे लिए मूंगफली है. दरअसल, Vedanta को इस साल जून तक 900 मिलियन डॉलर के कर्ज का भुगतान करना है. इससे जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि कंपनी के पास पर्याप्त नकदी है और किसी भी तरह की चिंता की कोई बात नहीं है. हमारा कमोडिटी बिजनेस अच्छी ग्रोथ दर्ज कर रहा है. आने वाले वर्ष के लिए हमें पूरे समूह में 9 अरब डॉलर का लाभ होने की उम्मीद है. हमारे 1 अरब डॉलर मूंगफली के समान हैं.
लोन देने वालों की कमी नहीं
अग्रवाल ने कहा कि वेदांत को हर कोई लोन देने को तैयार है. 8% -10% की ब्याज दर के साथ 1 अरब डॉलर के लोन के लिए जेपी मॉर्गन और अन्य बैंकों के साथ बातचीत चल रही है. उन्होंने कहा कि वेदांता के लिए Zero Debt कंपनी बनना कोई सपना नहीं है, हम यह कर सकते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च, 2022 तक Vedanta पर 9.66 बिलियन डॉलर का कर्ज था. इसमें से कुछ का कंपनी ने भुगतान कर दिया अब उस पर 7.7 बिलियन डॉलर का कर्ज है. जिसमें से 3 बिलियन डॉलर उसे अप्रैल 2023 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में चुकाने हैं.
ये हैं बयान के मायने
एक अरब डॉलर की रकम को मूंगफली करार देकर अनिल अग्रवाल ने निवेशकों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि कंपनी के पास पर्याप्त पैसा है और उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है. अदानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से कंपनियों में अपने कर्ज को लेकर बेचैनी बढ़ गई है. अग्रवाल भी जल्द से जल्द वेदांत को शून्य कर्ज वाली कंपनी बनाना चाहते हैं, ताकि उन्हें उस दौर से न गुजरना पड़े जिससे अडानी गुजर रहे हैं. इसी कोशिश के तहत उन्होंने अपनी एक यूनिट बेचने की योजना बनाई थी, ताकि उससे मिलने वाली रकम से कर्ज का बोझ कुछ कम किया जा सकते, लेकिन सरकार ने इसमें पेंच फंसा दिया.
सरकार ने ऐसे फंसाया पेंच
हाल में वेदांता ने अपनी एक कंपनी की हिस्सेदारी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Hindustan Zinc Ltd) को बेचने का प्रयास किया था, मगर केंद्र सरकार ने इसमें पेंच फंसा दिया. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में सरकार की करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है और वो इस डील से खुश नहीं है. सरकार ने साफ किया है कि यदि अग्रवाल ऐसा करते हैं, तो उसे कानूनी कार्रवाई पर विचार करना होगा. कुछ वक्त पहले क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा था कि यदि वेदांता रिसोर्सेज दो अरब डॉलर जुटाने या अपने जिंक कारोबार को बेचने में नाकाम रहती है, तो उसकी क्रेडिट रेटिंग दबाव में आ जाएगी. कंपनी ने 3 सालों में अपना कर्ज 4 अरब डॉलर घटाने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, इसमें से आधा उसने इसी वित्त वर्ष में हासिल कर लिया है.
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