Jewellery Market में धूम मचा रहा ये Brand, देखिए क्या है इसकी सफलता का राज?

अंतरराष्ट्रीय मार्केट में यह ब्रांड अपने आकर्षक और बेहतरीन क्वालिटी ज्वेलरी से एक अलग छाप छोड़ रहा है. कंपनी का उद्देशय ग्राहकों को समय पर गुणवत्ता से परिपूर्ण प्रोडक्ट देना है.

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Saturday, 16 March, 2024
jewellery

एक ऐसा ब्रांड जिसने पिछले कुछ वर्षों में कंबोडिया की स्थानीय बाजारों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मार्केट तक अपना नाम बनाया है और एक अलग छाप छोड़ी है. जो आज अपने डिजाइन और उत्पादों की क्वालिटी के साथ ग्लोबल ज्वैलरी मार्केट में कब्जा कर रहा है. हम बात कर रहे हैं 2017 में अस्तित्व आई में चिन समनांग (Chin Samnang) की कंपनी सीएसएनजी(CSNJ Co. Ltd.) कंपनी लिमिटेड की. समनांग और उनकी टीम अपने ब्रांड के उत्थान और लगातार बढ़ते बाजार में अपनी जगह बनाने के लिए परिश्रमपूर्वक काम कर रही है.

High Quality Product है पहचान

चिन समनांग का विजन है कि उनके आभूषण पहनकर महिलाएं आत्मविश्वास से भरपूर हो. उनके आभूषणों का डिजाइन और शानदार शिल्प कौशल आधुनिक महिलाओं को आकर्षित करता है. कंपनी अपने आभूषण की उच्चतम क्वालिटी और प्रतिस्पर्धी कीमतों पर हमेशा जोर देती है. कंपनी अपने ग्राहकों के लिए ऑनलाइन आभूषण डिजाइनों भी उपलब्ध कराती है. इसके साथ ही कंपनी ने इंटरनेशनल ग्राहकों तक पहुंचने औऱ उत्पादों की वैश्विक मांग पैदा करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी लॉन्च किया है. यह ऑनलाइन वेबसाइट ग्राहकों को उत्पादों की डिटेल्स हासिल करने में मदद करती है. इससे कंपनी को अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में और अधिक पैठ बनाने में मदद मिली है. 

ग्राहकों को प्रदान करते हैं बेहतरीन गुणवत्ता

सीएसएनजे कंपनी लिमिटेड ने आकर्षक आभूषण बनाए हैं जिन्हें सौंदर्य प्रतियोगिताओं के विजेताओं और प्रतिभागियों द्वारा पहना और स्टाइल किया गया है. आयोजनों के दौरान दर्शकों के बीच ये डिज़ाइन काफी लोकप्रिय हो गए है. कंपनी का लक्ष्य लक्जरी आभूषणों की मार्केट में एक लोकप्रिय ब्रांड के रूप में स्थापित होना है और ग्राहकों की ब्रांड के प्रति वफादारी बनाए रखने के लिए उन्हें पारदर्शी और बेहतरीन गुणवत्ता प्रदान करता है.

एक्सप्रेस डिलीवरी देती है कंपनी

सीएसएनजे कंपनी लिमिटेड अपने अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए एक्सप्रेस डिलीवरी प्रदान करती है और विशेष डिजाइनों की कम समय में डिलीवरी उपलब्ध कराती है. इसमें कारीगरों और डिजाइनरों की एक इन-हाउस टीम है जो चिन समनांग की विशेषज्ञता के तहत एक महान ब्रांड का निर्माण कर रही है जो पहले से ही सोने और हीरे के आभूषणों के लिए ग्राहकों की शीर्ष पसंद है.
 


बैंकों को चपत लगाकर नहीं भाग सकेगा कोई भी विदेश, मिल सकती है ये ताकत 

सरकार इससे पहले 2018 में इन कानूनों में पहले ही एक सुधार कर चुकी है. उसमें सरकारी बैंक के सीईओ को लुक आउट नोटिस के लिए अनुरोध करने वालों की सूची में डाल चुकी है. 

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Saturday, 27 April, 2024
Loan Defaulter

बैंकों का करोड़ों रुपये लेकर देश से अब तक कई कारोबारी बाहर जा चुके हैं. हालिया सालों में इनमें नीरव मोदी और विजय माल्‍या जैसे कारोबारियों के नाम इसमें प्रमुखता से शामिल हैं. लेकिन अब सरकार कुछ ऐसा काम करने जा रही है जिसके होने पर न तो भविष्‍य में कोई नीरव मोदी बन पाएगा और न ही कोई विजय माल्‍या बन पाएगा. सरकार में इस बात को लेकर विमर्श चल रहा है कि इस परेशानी से बचने के लिए सरकारी बैंकों को लुक आउट नोटिस जारी किया जा सकता है. सरकार इस मामले में बॉम्‍बे हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद आगे बढ़ रही है. 

क्‍या है ये पूरा मामला? 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दरअसल कुछ दिन पहले बॉम्‍बे हाईकोर्ट का एक निर्णय सामने आया था. इस निर्णय में कहा गया था कि सरकारी बैंकों के पास किसी भी डिफॉल्‍टर के खिलाफ केन्‍द्रीय एजेंसियों से लुक आउट नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है. इस मामले के बाद सरकार का संबंधित मंत्रालय इसे लेकर काम करना शुरू कर चुका है. सरकार इस ऑफिस मेमोरेंडम को कानूनी रूप देने की तैयारी कर रही है, जिसके बाद सरकारी बैंकों को लुकआउट नोटिस जारी करने की अनुमति मिल सकती है. 

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सरकार कर रही है आदेश की समीक्षा 
केन्‍द्र सरकार इससे संबंधित आदेश की समीक्षा कर रही है. इस आदेश की समीक्षा में संबंधित सभी मंत्रालय अपनी राय दे रहे हैं. अगर बैंकों को ये अधिकार देना है तो उसके लिए कानून में संशोधन करना होगा. इसके लिए जिन कानूनों में बदलाव करना होगा उनमें बैंकिंग रेग्‍यूलेशन एक्‍ट और भगोड़ा आर्थिक अपराधी नियम में बदलाव करना होगा. हालांकि इससे पहले गृह मंत्रालय 2018 में एक संशोधन पहले ही कर चुका है. आरबीआई सरकारी बैंक के सीईओ को ये अधिकार पहले ही दे चुका है जिसमें वो किसी व्‍यक्ति के खिलाफ ऐसी मांग कर सकते हैं. बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि केन्‍द्र सरकार के ऑफिस मेमोरेंडम अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं थे. लेकिन बाद में जिस तरह से सरकारी बैंक के मैनजरों को ये अधिकार दिया गया वो गलत था. 

अब जानिए कैसे हो सकेगा ये काम संभव 
दरअसल सरकार के संबंधित मंत्रालय इस मामले में दिशानिर्देश जारी करेंगे. इस मामले में संबंधित सभी मंत्रालयों के बीच शुरुआत विचार विमर्श चल रहा है जिसमें कुछ नियमों को पूरा करने पर ही सरकारी बैंक डिफॉल्‍टर के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर कर सकते हैं. इसमें बाकायदा एक पूरी चेकलिस्‍ट बनाने की भी बात कही जा रही है जिसमें डिफॉल्‍टर्स को नोटिस भेजना, उसकी ओर से आने वाले रिस्‍पांस का डॉक्‍यूमेंटेशन करना, और केन्‍द्रीय आर्थिक खूफिया ब्‍यूरो जैसी अन्‍य एजेंसियों के साथ मिलकर फ्लाइट असेसमेंट करना जैसे कदम उठाना शामिल हो सकता है. इनके होने के बाद ही लुक आउट नोटिस जारी किया जा सकता है. 
 


यूनिवर्सल बैंक बनने की हसरत अब ऐसे ही नहीं होगी पूरी, RBI बोला पहले इन नियमों पर उतरो खरा

RBI ने स्‍मॉल फाइनेंस बैंकों को यूनिवर्सल बनने के लिए जो गाइडलाइन जारी की है उससे साफ है कि रिजर्व बैंक हर क्षेत्र में नियमों को सख्‍त कर रहा है, जिससे फाइनेंशियल सेक्‍टर को स्थिरता मिल सके. 

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Saturday, 27 April, 2024
RBI

आरबीआई फाइनेंशियल सेक्‍टर में जहां अनियमित्‍ताओं को दूर करने को लेकर तेजी से काम कर रहा है वहीं दूसरी ओर आम आदमी से लेकर इंस्‍टीट्यूशन के लिए भी गाइडलाइन जारी कर रहा है. इसी कड़ी में अब आरबीआई ने स्‍मॉल फाइनेंस बैंक को यूनिवर्सल बैंक बनने के लिए उन दिशानिर्देशों की जानकारी दी है जिसे उसे पूरा करना होगा. 

आखिर क्‍या कहते हैं आरबीआई के नियम? 
आरबीआई की ओर से स्‍मॉल फाइनेंस बैंक को यूनिवर्सल बैंक बनने के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, उनमें पिछली तिमाही में बैंक की शुद्ध संपत्ति 1000 करोड़ रुपये होनी चाहिए और तय किया गया सीआरएआर पूरा करना चाहिए. यही नहीं स्‍मॉल फाइनेंस बैंक का पिछले पांच सालों का प्रदर्शन का संतोषजनक ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए, यही नहीं स्‍मॉल फाइनेंस बैंक के शेयर स्‍टॉक मार्केट में सूचीबद्ध होने चाहिए. 

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आरबीआई ने एनपीए को लेकर भी जारी किए निर्देश 
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने किसी स्‍मॉल फाइनेंस बैंक को यूनिवर्सल बैंक बनने के लिए जो नार्म्‍स जारी किए हैं उनके अनुसार बैंक ने एनपीए को लेकर भी साफ तथ्‍य दिए हैं. आरबीआई ने कहा है कि बैंक का एनपीए 3 प्रतिशत या उससे कम तक होना चाहिए. यही नहीं आरबीआई की ओर से ये भी कहा गया है कि पिछले दो वित्‍तीय वर्षों में शुद्ध एनपीए 1 प्रतिशत या उससे कम होना चाहिए. इससे पहले आरबीआई 5 दिसंबर 2019 को निजी क्षेत्र में स्‍मॉल फाइनेंस बैंक के ऑन टैप लाइसेंसिंग के लिए दिशानिर्देश जारी कर चुका है. 

एयू स्‍मॉल फाइनेंस बैंक भी कर रहा है कोशिश 
स्‍मॉल फाइनेंस बैंक से यूनिवर्सल बैंक बनने की राह में सबसे आगे एयू स्‍मॉल फाइनेंस बैंक है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एयू स्‍मॉल फाइनेंस बैंक के अधिकारी इस संबंध में आरबीआई के अधिकारियों से मिलने वाले हैं. अगर एयू स्‍मॉल फाइनेंस बैंक की स्थिमि पर नजर डालें तो बैंक 10 जुलाई 2017 को स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध हो चुका है. मार्च 2024 में अगर बैंक की नेटवर्थ पर नजर डालें तो वो 12560 करोड़ रुपये है. अगर फिनकेयर बैंक के विलय के बाद इसकी नेटवर्थ देखें तो वो 14981 करोड़ रुपये हो चुकी है. बैंक का एनपीए भी आरबीआई के नियमों के अनुरूप ही है. मार्च 2024 में बैंक का एनपीए 1.67 प्रतिशत रहा है जबकि 2023 में ये 1.66 प्रतिशत रहा था. 


BJP ने विज्ञापनों से भर दी Google-YouTube की झोली, 100 करोड़ का कर डाला खर्चा

पिछले 5 सालों में ऑनलाइन विज्ञापन देने के मामले में भाजपा सबसे आगे निकल गई है. उसने रिकॉर्डतोड़ खर्चा किया है.

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Saturday, 27 April, 2024
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चुनावी मौसम में सियासी दल प्रचार पर पानी की तरह पैसा बहाते हैं. पारंपरिक प्रचार के साथ-साथ डिजिटल मंचों पर भी प्रचार को तरजीह दी जाती है. सोशल मीडिया के जमाने में नेताओं के लिए जनता, खासकर युवाओं तक पहुंचना बेहद आसान हो गया है. इसलिए यूट्यूब, फेसबुक जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर दिए जाने वाले विज्ञापनों में इजाफा हुआ है. एक रिपोर्ट बताती है गूगल और यूट्यूब पर विज्ञापन देने के मामले में भाजपा सबसे आगे है. 

इतनी रही भाजपा की हिस्सेदारी 
रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा अब तक गूगल और यूट्यूब पर विज्ञापन के लिए 100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर चुकी है और ऐसा करने वाली देश की पहली पॉलिटिकल पार्टी बन गई है. गूगल की विज्ञापन टांसपेरेंसी रिपोर्ट बताती है कि 31 मई 2018 से 25 अप्रैल 2024 तक भाजपा ने विज्ञापन पर 102 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. पिछले पांच सालों में Google पर प्रकाशित विज्ञापनों में भाजपा की हिस्सेदारी लगभग 26% है. इस अवधि में कुल 390 करोड़ रुपए के राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित हुए हैं. 

कर्नाटक पर रहा BJP का फोकस
बीते 5 सालों में कुल 2.17 लाख ऑनलाइन विज्ञापन दिए गए हैं, जिसमें  से कुल 1.61 लाख भाजपा के थे. BJP ने कर्नाटक में सबसे ज्यादा 10.8 करोड़ रुपए के विज्ञापन दिए. इसके बाद उत्तर प्रदेश के लिए 10.3 करोड़, राजस्थान के लिए 8.5 करोड़ और दिल्ली के लिए 7.6 करोड़ रुपए के विज्ञापन पार्टी ने दिए. हालांकि, इस बार के लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के दौरान (19 से 25 अप्रैल तक) विज्ञापन पर खर्च के मामले में कांग्रेस आगे निकल गई है. कांग्रेस ने 5.7 करोड़ रुपए के विज्ञापन प्रकाशित करवाए हैं. जबकि भाजपा ने 5.3 करोड़ के विज्ञापन दिए हैं.

इस मामले में Congress दूसरे नंबर पर  
रिपोर्ट के अनुसार, 5 सालों की अवधि में कांग्रेस ऑनलाइन विज्ञापन देने के मामले में दूसरे नंबर पर है. उसने कुल 5992 विज्ञापनों पर 45 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. पार्टी का ऐड कैंपेन मुख्य रूप से कर्नाटक, तेलंगाना और मध्य प्रदेश पर केंद्रित था. कर्नाटक और तेलंगाना, प्रत्येक के लिए पार्टी ने 9.6 करोड़ रुपए से अधिक के विज्ञापन दिए. जबकि मध्य प्रदेश पर उसका खर्चा 6.3 करोड़ रुपए था. इस मामले में तीसरे स्थान पर तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK है. उसने 2018 से अब तक ऑनलाइन विज्ञापनों पर 42 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. 

केजरीवाल की AAP ने किया इतना खर्चा
DMK ने तमिलनाडु के बाहर कर्नाटक और केरल में डिजिटल विज्ञापनों पर 14 लाख रुपए खर्च किए. इसी तरह, आम आदमी पार्टी ने 1 करोड़ खर्च किए हैं. वहीं, भाजपा के 2023-23 के चुनावी खर्चे की बात करें, तो एक रिपोर्ट बताती है कि यह 1092 करोड़ था. इसमें विज्ञापनों पर 432.14 करोड़ रुपए की लागत आई. जबकि प्रचार के लिए 78.2 करोड़ रुपए प्लेन, हेलिकोप्टर आदि पर खर्च किए गए. गौरतलब है कि BJP को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 2022-23 में कुल 1300 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली है. जबकि कांग्रेस के खाते में 171 करोड़ रुपए आए हैं.


लोकसभा चुनाव: दूसरे चरण की कम वोटिंग ने नेताओं के साथ ही बाजार का भी बिगाड़ा गणित

शेयर बाजार में पिछले 5 सत्रों से लगातार जारी तेजी पर शुक्रवार को दूसरे चरण की वोटिंग के बीच ब्रेक लग गया.

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Saturday, 27 April, 2024
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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के दूसरे चरण के लिए कल यानी शुक्रवार को वोट डाले गए. हालांकि, मतदान प्रतिशत उत्साह वाला नहीं रहा. दूसरे चरण में पहले चरण से भी कम वोटिंग हुई. सात चरणों में होने वाले चुनाव के दूसरे चरण में 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर मतदान हुआ. इस चरण में महज 63% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. 2019 में इन्हीं सीटों पर 70% से अधिक वोटिंग हुई थी. पहले चरण में 64 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने अधिकार का प्रयोग किया था. कम वोटिंग ने जहां राजनीतिक दलों का गणित बिगाड़ दिया है, वहीं शेयर बाजार (Stock Market) का भी गणित बिगड़ गया.

कम वोटिंग के बीच हाहाकार
सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को शेयर बाजार में पिछले 5 सत्रों से चली आ रही तेजी पर ब्रेक लग गया. इस दौरान, मुंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सूचकांक Sensex 609 अंक टूटकर 73,730.16 पर बंद हुआ. इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी भी 150.30 अंक या 0.67 फीसदी नीचे आकर 22,420 पर पहुंच गया. मिलेजुले वैश्विक संकेतों के बावजूद, बाजार की शुरुआत पॉजिटिव रही. लेकिन बाजार बढ़त को बरकरार नहीं रख पाया. कारोबार की समाप्ति पर कम वोटिंग की खबरों के बीच बाजार में भी हाहाकार की खबर सामने आ गई.     

इन स्टॉक्स ने लगाया बड़ा गोता
बाजार में आई गिरावट में Bajaj Finance, Bajaj Finserv, Nestle India, Indusind Bank और Mahindra And Mahindra जैसे दिग्गज शेयर लाल निशान पर कारोबार करते दिखाई दिए. बजाज फाइनेंस सबसे ज्यादा 7.73% की गिरावट के साथ बंद हुआ. 6,730.80 के भाव पर मिल रहे इस शेयर के लिए पिछले 5 कारोबारी सत्र भी अच्छे नहीं रहे हैं. इस दौरान, इसमें करीब 7 प्रतिशत की गिरावट आई है. इस शेयर का 52 वीक का हाई लेवल 8,192 रुपए है. इसी तरह, Bajaj Finserv में भी 3.66% की नरमी देखने को मिली. 1,595 रुपए मूल्य का ये शेयर पिछले 5 दिनों में भी लाल निशान पर कारोबार करता नजर आया है. नेस्ले इंडिया में 2.64%, Indusind Bank में 3.08% और Mahindra And Mahindra में 2.00% की गिरावट आई है.

अगले हफ्ते कैसी रहेगी चाल?
वहीं, अगले हफ्ते बाजार की चाल की बात करें, तो एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोमवार को मार्केट में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है. उनका कहना है कि निफ्टी के डेली चार्ट पर एक ब्लैक क्लाउड कवर पैटर्न दिखाई दिया है, जो मंदी की वापसी का संकेत है. निफ्टी के लिए तत्काल सपोर्ट 22300 पर मौजूद है. इसके नीचे जाने पर गिरावट बढ़ सकती है और निफ्टी 22000 तक जा सकता है. बता दें कि इससे पहले मार्केट लगातार पांच कारोबारी सत्रों से ग्रीन लाइन पकड़कर कारोबार कर रहा था. 

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Netflix, Amazon Prime को खतरा? JIO लाया 1 रुपये में OTT!  

जियो (JIO) ने अपने ग्राहकों को सबसे सस्ता ओटीटी सब्सक्रिप्शन ऑफर किया है. इससे जियो के करोड़ों यूजर्स को लाभ मिलेगा.  

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Friday, 26 April, 2024
Jio Cinema

अगर आप जियो (JIO) के ग्राहक हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. इसके साथ ही अगर आपको ओटीटी स्ट्रीमिंग करना पसंद करते हैं, फिर तो आपकी मौज ही आने वाली है. दरअसल, जियो अपने ने अपने यूजर्स को एक बड़ा ऑफर दिया है. इस ऑफर के साथ ही जियो ने नेटफ्लिक्स (Netflix), और अमेजन प्राइम (Amazon Prime) की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. तो चलिए जानते हैं ये क्या ऑफर है और इससे अमेजन और अमेजन प्राइम को क्या खतरा है?  

सबसे सस्ता ओटीटी सब्सक्रिप्शन  

जियो ने अपने 45 करोड़ से ज्यादा यूजर्स के लिए जियो सिनेमा के दो सबसे सस्ते प्लान ऑफर किए हैं. इनकी कीमत 29 रुपये और 89 रुपये है. जियो सिनेमा का 29 रुपये का नया प्लान यूजर्स को ऐड फ्री कंटेंट देखने की सुविधा देगा, लेकिन आईपीएल के दौरान आपको ऐड देखना पड़ेगा. इसके साथ ही इस छोटे सब्सक्रिप्शन प्लान में आप 4K में हाई क्वालिटी कंटेंट देख पाएंगे. इसमें कंपनी ग्राहकों को रोजाना 1 रुपये के खर्च में जियो सिनेमा (JioCinema) ओटीटी प्लेटफॉर्म पर एंटरटेनमेंट के लिए अपनी फेवरेट मूवीज और दूसरे एंटरटेनमेंट प्रोग्राम देखने की सुविधा दे रही है.  

एक से अधिक डिवाइस के लिए 89 रुपये का प्लान

29 रुपये के इस प्लान से आप एक समय पर सिर्फ एक ही डिवाइस पर जियो सिनेमा का लॉगइन कर पाएंगे. वहीं, आप एक से अधिक डिवाइस पर जियो सिनेमा लॉगिन करना चाहते हैं, तो आपको 89 रुपये का प्लान लेना होगा. इसमें आप एक टाइम पर 4 डिवाइस पर कनेक्ट हो सकते हैं. 
 

इसे भी पढ़ें-क्या होता है Dry Promotion जिसको लेकर हर ऑफिस में हो रही है गॉसिप?

Netflix और Amazon Prime की बढ़ेंगी मुश्किलें

कुछ सालों में ही मुकेश अंबानी ने टेलीकॉम मार्केट पलट कर रख दी है. जियो की एंट्री के बाद सभी टेलीकॉम कंपनियां इसी के हिसाब से प्लान और वैलिडिटी तय कर रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि जियो की टेलीकॉम मार्केट में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है, यानी यूजर बेस बहुत ज्यादा है. ऐसे में इस नए प्लान के आने से Netflix और Amazon Prime की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. आपको बता दें, Netflix और Amazon Prime का सब्सक्रिप्शन कम से कम 99 रुपये से लेकर 149 रुपये तक का है. इसके बाद सुविधाओं और वीडियो क्वालिटी के हिसाब से प्लान की कीमत ज्यादा होती रहती है.  


पहले से बदहाल Go First को अब दिल्‍ली हाईकोर्ट ने दिया झटका, DGCA को भी दिया निर्देश

इस पूरे मामले में पिछले साल 2 मई 2023 को दिवालिया प्रक्रिया शुरू हुई थी. इसके बाद विमान देने वालों की तरह से उनका रजिस्‍ट्रेशन मुक्‍त करने को लेकर याचिका लगाई गई थी.

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Friday, 26 April, 2024
GO first

पहले ही कई तरह की परेशानियों से जूझ रही Go First एयरलाइन को अब दिल्‍ली हाईकोर्ट से झटका लगा है. दिल्‍ली हाईकोर्ट ने Go First को विमान मुहैया कराने वालों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कंपनी को सभी विमानों के पंजीकरण रद्द करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने डीजीसीए को भी इस काम को जल्‍द से जल्‍द करने का निर्देश दिया है. 

दिल्‍ली हाईकोर्ट ने क्‍या कहा? 
दिल्‍ली हाईकोर्ट में Go First को विमान मुहैया कराने वालों ने याचिका दाखिल की थी कि उनके विमानों के रजिस्‍ट्रेशन को फ्री किया जाए. इस संबंध में जिन लोगों ने दिल्‍ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी उनमें एक्सीपिटर इन्वेस्टमेंट्स एयरक्राफ्ट 2 लिमिटेड, ईओएस एविएशन 12 (आयरलैंड) लिमिटेड, पेमब्रोक एयरक्राफ्ट लीजिंग 11 लिमिटेड, एसएमबीसी एविएशन कैपिटल लिमिटेड, एसएफवी एयरक्राफ्ट होल्डिंग्स आईआरई 9 डीएसी लिमिटेड शामिल हैं. एसीजी एयरक्राफ्ट लीजिंग आयरलैंड लिमिटेड और डीएई एसवाई 22 13 आयरलैंड डेजिग्नेटेड एक्टिविटी कंपनी - ने 26 मई को दिल्‍ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिससे वो अपने विमान वापस पा सकें. उन्‍होंने अपनी याचिका में ये भी कहा था कि डीजीसीए उनके विमानों के रजिस्‍ट्रेशन को कैंसिल करे जिससे वो अपने विमान ले सकें. इसी मामले में अब दिल्‍ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. 

दिवालिएपन से जूझ रही है कंपनी 
इससे पहले 26 मई 2023 को विवादों के कारण कंपनी के विमान जमीन पर आ गए थे. कंपनी ने प्रैट एंड व्हिटनी की ओर से उसे जो इंजन मिले थे उनके मुद्दों का हवाला देते हुए उड़ानों को निलंबित कर दिया था. एयरलाइन के दिवालिएपन की वजह इंजन के दोष को माना गया. इसके बाद मामले की सुनवाई करते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्‍यूनल ने 10 मई को गो फर्स्‍ट की दिवालिया याचिका को स्‍वीकार करते हुए एयरलाइन के बोर्ड को निलंबित कर दिया. आज कंपनी पर सभी लेनदारों के 114.63 बिलियन का बकाया है. इनमें बैंक वित्‍तीय संस्‍थान, विक्रेता और विमान पट्टेदार शामिल हैं. 
 


इस ऑटोमोबाइल कंपनी के सामने आए रिजल्‍ट, निवेशकों की हुई बल्‍ले बल्‍ले  

मारुति ने इस बार अपने निवेशकों के लिए 125 रुपये का डिविडेंड देने का ऐलान किया है जबकि पिछले साल 90 रुपये का डिविडेंड दिया था. 

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Friday, 26 April, 2024
Maruti

पिछले वित्‍त वर्ष की चौथी तिमाही के नतीजे लगातार सामने आ रहे हैं. जो कंपनियां अच्‍छा कर रही हैं वो अपने निवेशकों को डिविडेंड के तोहफे से नवाज रही हैं. अब इसी कड़ी में ऑटोमोबाइल कंपनी मारुति के भी चौथी तिमाही के नतीजे सामने आ गए हैं. मारुति का शुद्ध मुनाफा जहां 48 प्रतिशत बढ़कर 3878 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है वहीं दूसरी ओर कंपनी ने अपने निवेशकों की भी बल्‍ले बल्‍ले कर दी है और उन्‍हें डिविडेंड देने का ऐलान किया है. 

आखिर क्‍या कह रहे हैं आंकड़े? 
कंपनी की चौथी तिमाही के आंकड़े बता रहे हैं कि उसने अपने ऑपरेशन से 31 मार्च 2024 को खत्‍म हुई तिमाही तक 140933 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है. अगर इस मुनाफे को पिछले साल के आंकड़ों से तुलना करें तो उसमें 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. पिछले साल ये मुनाफा 117523 करोड़ रुपये था. कंपनी ने इस मुनाफे को देखते हुए अपने निवेशकों को 125 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड देने का ऐलान किया है. 

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कंपनी की सेल में हुआ इतना इजाफा 
मारुति की सेल के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि कंपनी ने पूरे साल में 2135323 कारों को बेचा है. अगर कंपनी की इस सेल को 2022 से तुलना करें तो उसमें 8.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. कंपनी ने 1852256 कारों को घरेलू बाजार में बेचा है जबकि 283067 कारों को एक्‍सपोर्ट किया है. कंपनी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार उसकी ऑपरेशनल प्रॉफिट में 51.5 प्रतिशत का उछाल आया है. इसके साथ ये 3956 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है. वहीं अगर टैक्‍स से पहले प्रॉफिट की बात करें तो उसमें 53.6 प्रतिशत उछाल के साथ 4997.8 करोड़ रुपये रहा है. 

कंपनी इतना देने जा रही है डिविडेंड 
कंपनी की ओर से चौथी तिमाही के नतीजों को जारी करने के बाद 5 रुपये की फेस वैल्‍यू पर 125 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने का ऐलान किया गया है. जबकि 2022-23 में कंपनी ने 90 रुपये का डिविडेंड दिया था. वहीं ओवरऑल प्रदर्शन की बात करें तो पूरे साल में नेट प्रॉफिट 64.1 प्रतिशत उछाल के साथ 13209.4 करोड़ रुपये रहा है. ऑपरेशनल प्रॉफिट 63.5% उछाल के साथ 13378.8 करोड़ रुपए रहा.  नेट सेल्स 19.9% उछाल के साथ 134937.8 करोड़ रुपए रही. 
 


कौन हैं Kotak के फाउंडर, जिन्होंने एक दिन में गंवाए 10 हजार करोड़?

आरबीआई (RBI) की कार्रवाई के बाद कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के शेयरों में भारी गिरावट आई है.

Last Modified:
Friday, 26 April, 2024
Kotak Mahindra

आरबीआई (RBI) की कार्रवाई के बाद कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के शेयरों में भारी गिरावट आई है. इससे एक ही दिन में बैंक के फाउंडर को करीब 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक नुकसान उठाना पड़ा. क्या आप जानते हैं कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर कौन हैं और उन्होंने कैसे इस बैंक को शुरू किया, अगर नहीं? तो चलिए हम आपको बताते हैं.

26 साल की उम्र में रखी बैंक की नींव
15 मार्च 1959 को गुजरात के एक कारोबारी परिवार में जन्मे उदय कोटक (Uday Kotak) एक जाने माने बैंकर हैं. इन्होंने मुंबई के सिडनम कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली. उसके बाद मुंबई के ही 'जीएल बजाज इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज' से एमबीए (MBA) किया. उन्होंने महज 26 साल की उम्र में कोटक महिंद्रा बैंक की नींव रख दी थी. उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद 'कोटक कैपिटल मैनेजमेंट फाइनेंस लिमिटेड' से बिल डिस्काउंट सर्विस की शुरुआत की, फिर महिंद्रा ग्रुप (Mahindra Group) का साथ मिलने के बाद यह कंपनी 'कोटक महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड' हो गई. बिल डिस्काउंट के काम के साथ शुरू हुई फर्म ने बाद में लोन पोर्टफोलियो, स्टॉक ब्रोकरिंग, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, इंश्योरेंस और म्यूचुअल फंड्स में विस्तार किया. 

ऐसे पड़ा था बैंक का नाम कोटक महिंद्रा
उदय कोटक (Uday Kotak) ने साल 1985 में अपने दोस्त महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन (Mahindra Group) आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) के साथ 30 लाख रुपये के निवेश से एक कंपनी शुरू की थी, जिसके एंजल इंवेस्टर आनंद महिंद्रा थे, जिन्होंने तब 1 लाख रुपये का निवेश किया था. इस कारण कंपनी का नाम कोटक महिंद्रा रखा गया और 22 मार्च 2003 को कोटक महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड को आरबीआई से बैंकिंग लाइसेंस भी मिल गया, ये भारत के कॉर्पोरेट इतिहास में पहली कंपनी थी, जिसे बैंकिंग के लिए हरी झंडी मिली थी. आज इस बैंक का मार्केट कैपिटलाइजेशन 3.66 लाख करोड़ रुपये हो गया है. आपको बता दें, अब इस बैंक में आनंद महिंद्रा की कोई हिस्सेदारी नहीं है. 

 बैंकर नहीं क्रिकेटर बनना चाहते थे उदय कोटक 
उदय कोटक का सपना बैंकर बनने का नहीं, बल्कि क्रिकेटर बनने का था. क्रिकेट में करियर बनाने के लिए उन्होंने 1970 के दशक में दिग्गज क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) से ट्रेनिंग भी ली थी, जिनके शिष्यों की लिस्ट में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) भी शामिल हैं. लेकिन 20 साल की उम्र में मैदान में खेलने के दौरान बॉल से उनके सिर पर चोट लग गई और उनका ऑपरेशन हुआ, जिस कारण उन्हें क्रिकेट छोड़ना पड़ा. इसके बाद वह अपने परिवारिक बिजनेस को भी छोड़ वह बैंकिंग सेक्टर में पहुंच गए.

बीते साल एमडी पद से दिया था इस्तीफा
बैंक के मालिक उदय कोटक (Uday Kotak) ने बीते 1 सितंबर 2023 को मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया था. अब वे गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में बैंक से जुड़े हैं अपनी समझ और काबिलियत की दम पर उदय कोटक ने तमाम मुश्किलों से जूझते हुए बैंक को टॉप बैंकों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया. 

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कोटक पर आरबीआई ने क्यों की कार्रवाई?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डेटा सुरक्षा समेत अन्य चिंताओं को लेकर कोटक महिंद्रा बैंक को तत्काल प्रभाव से नए ग्राहकों को जोड़ने और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोक दिया है. आरबीआई के अनुसार कोटक महिंद्रा बैंक जैसे अपनी आईटी इन्वेंट्री को मैनेज करता है और डेटा सिक्योरिटी का उसका जो तरीका है, उसमें गंभीर कमियां पाई गई थीं और और तय समय में इन्हें सुधारने में बैंक नाकाम रहा. दिसंबर 2023 को समाप्त तिमाही के नतीजों में बताया था कि उसके बचत खातों में 98 प्रतिशत लेनदेन डिजिटल तरीके से या बैंक शाखाओं पर पहुंचे बिना किए गए हैं.

इतना हुआ नुकसान 
आरबीआई ने बुधवार को डिजिटल चैनलों के माध्यम से नए ग्राहकों को जोड़ने और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोक दिए जाने के बाद कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर लगभग 11 प्रतिशत तक गिर गए. बैंक के शेयर एनएसई पर गुरुवार को 197.80 (10.73) की गिरावट के साथ 1,645.00 रुपये के भाव पर बंद हुए. वहीं शुक्रवार को 1,614.95 रुपये पर बंद हुए. बैंक में 26 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़े शेयरधारक और संस्थापक उदय कोटक को इस बिकवाली से खासा नुकसान उठाना पड़ा है. गुरुवार को उदय कोटक की संपत्ति में 1.3 बिलियन डॉलर यानी करीब 10,831.6 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया. एक रिपोर्ट के अनुसार 24 अप्रैल 2024 तक उनकी संपत्ति 14.4 अरब डॉलर (1,19,980 करोड़ रुपये) थी. 

मार्केट कैप हुआ कम, एलआईसी को भी नुकसान
कोटक महिंद्रा बैंक के मार्केट कैप में करीब 39,768.36 करोड़ रुपये की गिरावट आई. शुक्रवार को इसका मार्केट कैप महज 3,21,000 करोड़ रुपये रह गया. बैंक में एलआईसी की 6.46 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ बीमा कंपनियों की 8.69 प्रतिशत हिस्सेदारी है, ऐसे में बीमा कंपनियों को करीब 3456 करोड़ और एलआईसी को भी करीब 2569 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. 


Swiggy सेबी में जल्‍द दाखिल कर सकता है पेपर, बाजार में आ सकता है IPO

 फूड डिलीवरी कंपनी बाजार में 1 बिलियन डॉलर का आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है. इस आईपीओ के लिए उसे अपने निवेशकों की अनुमति गुरुवार को मिल चुकी है. 

Last Modified:
Friday, 26 April, 2024
Swiggy

फूड डिलीवरी सेक्‍टर की बड़ी कंपनी Swiggy के आने वाले आईपीओ के लिए अपने शेयरहोल्‍डर्स से अनुमति मिलने के बाद अब कंपनी अगले कुछ दिनों में सेबी में अपना आवेदन दाखिल करने की तैयारी कर रही है. सेबी में आवेदन दाखिल करने के बाद अप्रूवल मिलते ही कंपनी अपने आईपीओ को बाजार में उतार सकती है. कंपनी बाजार में 1.25 बिलियन डॉलर का आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है. 

कंपनी गोपनीय तरीके से फाइल कर सकती है DRHP 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी इस बार इसे गोपनीय तरीके से फाइल करने की तैयारी कर रही है. कंपनी ने इससे पहले नवंबर 2022 में रेग्‍यूलेटर के पास दाखिल किया था. सामान्‍य तरीके से दाखिल किए जाने पर DRHP (Draft Red Hearing Prospectus) की अवधि एक साल होती है. लेकिन अगर इसी प्रोस्‍पेक्‍टस को गोपनीय तरीके से फाइल किया जाता है तो इसकी अवधि 18 महीने होती है. 

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एक दिन बाद आई है ये अहम खबर 
वोडाफोन आईडिया के एफपीओ की बाजार में लिस्टिंग के बाद गुरुवार को स्विगी के निवेशकों ने उसे ये आईपीओ लाने की अनुमति दे दी थी. स्विगी इस आईपीओ के जरिए 1.25 बिलियन की राशि जुटाने की तैयारी कर रही है. इसमें ऑफर फॉर सेल के जरिए 6664 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है जबकि फ्रेश इश्‍यू के जरिए 3750 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है. स्विगी अपने इस आईपीओ में एंकर निवेशकों के जरिए 750 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है. हालांकि इस मीडिया रिपोर्ट पर स्विगी की ओर से कोई भी बात नहीं कही गई है. 

इस रूट से आने वाली दूसरी कंपनी है स्विगी 
सेबी में गोपनीय तरीके से पेपर दाखिल करने वाली स्विगी दूसरी कंपनी है. इससे पहले सॉफ्ट बैंक के सपोर्ट से काम करने वाली ओयो(OYO) इससे पहले इस रूट के जरिए अपने पेपर दाखिल कर चुकी है. इस रूट में आम आदमी को जानकारी नहीं मिल पाती है. उसे जानकारी तभी मिल पाती है जब इसे लेकर DHRP दाखिला हो जाता है. 

कितना रहा है स्विगी का मुनाफा 
स्विगी के मुनाफे पर नजर डालें तो आईपीओ से पहले, स्विगी ने दिसंबर 2023 तक नौ महीनों के लिए 207 मिलियन डॉलर का घाटा दर्ज किया. यह घाटा उसी अवधि के दौरान 1.02 बिलियन डॉलर के राजस्व पर था, जबकि पहले वित्तीय वर्ष 2022-23 में राजस्व 1.05 बिलियन डॉलर था. जबकि पिछले वित्तिय वर्ष 2023 में ये 45 प्रतिशत बढ़कर 8625 करोड़ रुपये हो गया था. जबकि इसका शुद्ध घाटा 4179 करोड़ हो गया था. वहीं जोमैटो के राजव्‍स की बात करें तो वो वित्त वर्ष 2013 में 66 प्रतिशत बढ़कर 7,761 करोड़ रुपये हो गया, जबकि शुद्ध घाटा 971 करोड़ रुपये तक कम हो गया। हालाँकि, जोमैटो पिछली तीन तिमाहियों से लाभदायक रहा है और 26 अप्रैल को इसका मूल्यांकन 20 बिलियन डॉलर को पार कर गया. 
 


Decoding: मोदी 3.0 से पहले निवेशक अपने पोर्टफोलियो को कैसे करें तैयार?

यदि मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आती है, तो कुछ खास सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा फोकस किया जाएगा.

Last Modified:
Friday, 26 April, 2024
file photo

मोदी सरकार (Modi Government) के अब तक के कार्यकाल में शेयर बाजार (Stock Market) ने ऊंची उड़ान भरी है. इस उड़ान का सीधा संबंध विश्वास से है. मौजूदा सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे निवेशकों का भारत पर विश्वास मजबूत हुआ है. हमारी इकॉनमी को लेकर लगातार सामने आ रहीं पॉजिटिव खबरें इसका सबूत हैं कि अर्थव्यवस्था के लिहाज से देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. ऐसे में यदि मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आती है, तो इस विश्वास का और मजबूत होना तय है. 

अपडेट करें अपना पोर्टफोलियो  
हमारी अर्थव्यवस्था पर विश्वास और बढ़ेगा, तो हमारे शेयर बाजार में भी मजबूती आएगी. खासतौर पर कुछ सेक्टर्स ऐसे हैं, जो Modi 3.0 में उल्लेखनीय  वृद्धि हासिल कर सकते हैं. सरकार ने विकसित भारत @2047 के अपने डॉक्यूमेंट में कुछ सेक्टर्स का उल्लेख किया है. अगर मोदी सत्ता में लौटते हैं, तो उन सेक्टर्स पर ज्यादा तेजी से काम किया जाएगा. ऐसे में संबंधित सेक्टर्स से जुड़ी कंपनियों की आर्थिक सेहत बेहतर होगी और उसका असर शेयर बाजार पर भी पड़ेगा. लिहाजा, यदि आप भविष्य में अपने पोर्टफोलियो को मजबूत होते देखना चाहते हैं, तो उसे @2047 के विजन डॉक्यूमेंट के हिसाब से अभी से अपडेट करना शुरू कर दें.

इन सेक्टर्स पर रहेगा फोकस
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मैन्युफैक्चरिंग, लेबर रिफॉर्म एवं एग्रीकल्चर रिफॉर्म, फूड प्रोसेसिंग, पावर और ग्रीन एनर्जी सेक्टर्स पर खासा जोर रहेगा. सरकार भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर विकसित करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है. कृषि और लेबर रिफॉर्म भी उसकी प्राथमिकता में शुमार है. प्रधानमंत्री मोदी कई मौकों पर कृषि सुधारों की बात कर चुके हैं. पिछले साल एक कार्यक्रम में PM मोदी ने कहा था कि फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री से जुड़ा ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें भारत ने तरक्की न की हो. हमारा फूड प्रोसेसिंग सेक्टर एक नई इंडस्ट्री के रूप में उभरा है. पिछले 9 सालों से इस सेक्टर में 50 हजार करोड़ का विदेशी निवेश आया है. कृषि निर्यात में प्रोसेस्ड फूड की भागीदारी 13% से बढ़कर 23% हो गई है. हम एग्रो एक्सपोर्ट के मामले में दुनिया में 7वें नंबर पर आ गए हैं. इसके साथ ही सरकार पावर और ग्रीन एनर्जी पर भी काफी काम कर रही है.

इंफ़्रा-एग्री के टॉप स्टॉक्स
यदि मोदी 3.0 सरकार बनती है, तो इन सेक्टर्स में सुधार से जुड़ी योजनाओं को पंख लग जाएंगे. Infrastructure Sector के कुछ प्रमुख स्टॉक्स की बात करें, तो इसमें Larsen & Toubro, Reliance Infrastructure, GMR Airports Infrastructure, IRB Infrastructure Developers, Hindustan Construction Company, Hindalco, ITC, का नाम शामिल है. IRB इन्फ्रास्ट्रक्चर का शेयर काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. 100 रुपए से कम कीमत वाले स्टॉक में इस साल अब तक 65.95% का उछाल आ चुका है. इसी तरह, एग्रीकल्चर सेक्टर में Coromandel International, Chambal Fertilizers, Bayer CropScience,  Gujarat Narmada Valley Fertilizers Chemicals और Bombay Burmah Trading Corporation के शेयर अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं.

फूड-पावर के टॉप स्टॉक्स
वहीं, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के प्रमुख स्टॉक्स की बात करें, तो इसमें Britannia Industries, Jubilant Foodworks, Godrej Agrovet, ADF Foods Ltd और Hindustan Foods शामिल हैं. जुबिलेंट फूडवर्क्स एक भारतीय कंपनी है, जो भारत में Domino's Pizza चलाती है. पावर और ग्रीन एनर्जी सेक्टर की कई कंपनियां स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं और उन्होंने अच्छा-खासा रिटर्न दिया है. उदाहरण के तौर पर Suzlon Energy ने पिछले एक साल में 406.71% का रिटर्न दिया है. दिवंगत कारोबारी तुलसी तांती की इस कंपनी का पोर्टफोलियो काफी मजबूत है. इन सेक्टर्स की प्रमुख कंपनियों में JSW Energy, Adani Green Energy, NTPC, Adani Power, Power Grid Corporation of India, Tata Power, NHPC और BF Utilities का नाम भी शामिल है.