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गेहूं के रिजर्व प्राइस में हुई कमी, क्या कम होगी आटे की कीमत?
गेहूं और आटे के दामों में कमी करने के सरकार के प्रयास रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं, सरकार ने अब गेहूं का रिजर्व प्राइस 2150 रुपये कर दिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
अब तक बाजार में गेहूं के दामों को कम करने के लिए सरकार कई तरह के कदम उठा चुकी है. एक ओर जहां सरकार गेहूं को खूले में बेचने का फैसला ले चुकी है वहीं दूसरी ओर सरकार इस गेहूं की मात्रा में भी इजाफा कर चुकी है. लेकिन अब सरकार ने गेहूं का रिजर्व प्राइस ही कम कर दिया है. ये रिजर्व प्राइस पिछले दिनों काफी बढ़ गया था जिसके बाद सरकार ने इसे 2150 रुपये निश्चित कर दिया है. इससे पहले ये रिजर्व प्राइस 2350 रुपये था.
2700 रुपये तक जा पहुंचा था रिजर्व प्राइस
सरकार ने जब तक खुले बाजार में गेहूं बेचने का फैसला नहीं लिया था तक तक गेहूं का यही रिजर्व प्राइस 2950 रुपये प्रति क्विंटल तक जा पहुंचा था. इसके बाद सरकार ने जैसे ही खूले बाजार में गेहूं बेचने का ऐलान किया तो इसके दामों में 400 रुपये की कमी हो गई थी, जिसके बाद ये दाम 2550 रुपये तक आ गए थे. लेकिन कुछ दिन बाद ही इन दामों में फिर इजाफा हो गया, जिसके बाद ये 2700 रुपये तक जा पहुंचा था. लेकिन पिछले सप्ताह सरकार ने इसे 2150 रुपये तय कर दिया.
गेहूं की खुदरा कीमतों में हुआ बदलाव
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश में गेहूं की खुदरा कीमतों में भी कमी देखी जा रही है. पहले ये कीमत 33.48 रुपये हुआ करती थी लेकिन अब ये 33.15 रुपये तक जा पहुंची है. वहीं आटे की कीमत 38.02 रुपये से घटकर 37.63 रुपये तक आ गई है. सरकार के रिजर्व प्राइस को कम करने के कारण गेहूं के कारोबारियों को घाटा हो रहा है. क्योंकि जिन कारोबारियों ने गेहूं महंगे दामों पर खरीदा है अब उन्हें वो सस्ते दाम पर बेचना पड़ रहा है. गेहूं को इन कारोबारियों ने कुछ समय पहले 2800 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर खरीदा था लेकिन अब वही गेहूं 2100 से लेकर 2300 रुपये तक बिक रहा है, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान हो गया है.
सरकार बाजार में अब तक उतार चुकी है 50 लाख टन गेहूं
सरकार अब तक बाजार में गेहूं के दामों में कमी लाने के लिए 50 लाख टन तक गेहूं उतार चुकी है. सरकार ने पहले जहां 30 लाख टन गेहूं खूले बाजार में बेचने का निर्णय लिया वहीं दूसरी ओर कुछ दिन पहले सरकार ने 20 लाख टन गेहूं फिर से बाजार में उतार दिया. सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद दामों में कुछ कमी तो हुई लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर ही साबित हुई.
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