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Sony के इस कदम से ZEE के साथ मर्जर की सभी संभावनाओं पर लगा विराम
अब यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि ZEE और Sony के बीच मर्जर नहीं होगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 months ago
ZEE और Sony के मर्जर को लेकर चल रही कवायद पर अब फुल स्टॉप लग गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सोनी ने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के साथ अपने भारतीय कारोबार के मर्जर की एप्लिकेशन औपचारिक रूप से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से वापस ले ली है. इसका मतलब है कि विलय की सभी सभावनाएं अब खत्म हो गई हैं. इससे पहले खबर सामने आई थी कि ZEE और Sony मर्जर को अमल में लाने की आखिरी कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, ZEE ने इस खबर को गलत बताया था.
एक-दूसरे पर लगाए आरोप
ZEE और Sony ने 10 बिलियन डॉलर की इस डील के लिए दिसंबर 2021 में एग्रीमेंट साइन किया था. यदि मर्जर होता, तो अस्तित्व में आने वाली नई कंपनी देश का सबसे बड़ा एंटरटेनमेंट नेटवर्क बन जाती. इस साल 22 जनवरी को सोनी ने ZEE पर शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए डील कैंसिल कर दी थी. इतना ही नहीं, सोनी ने जी से 90 मिलियन डॉलर टर्मिनेशन फीस की मांग भी की थी. जबकि ZEE का कहना था कि उसने सोनी की सभी मांगों को स्वीकार कर लिया था, इसके बावजूद उसने डील रद्द कर दी.
इसलिए हो रहा था मर्जर
ZEEL और सोनी ने अलग-अलग वजह से मर्जर पर सहमति जताई थी. कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सोनी जहां भारत में अपने बिजनेस को बहुत ज्यादा नहीं बढ़ा पा रही थी. वहीं, जी पर कर्ज का बोझ था. इसलिए दोनों ने मर्जर का फैसला लिया था. इस मर्जर से दोनों कंपनियों को डायवर्स ऑडियंस बेस मिलता. सोनी ने भारत में 1995 में अपना पहला TV चैनल लॉन्च किया था. जबकि ZEE ने अपना पहला चैनल 1992 में लॉन्च किया था. इन दोनों के मर्जर से 10 बिलियन डॉलर की एक नई कंपनी अस्तित्व में आनी थी.
ZEE ने उठाया ये कदम
इस मर्जर डील के रद्द होने के बाद से ZEE के खिलाफ कई तरह की खबरें सामने आईं, इनमें कुछ खबरें ऐसी भी रहीं जो कंपनी की छवि को प्रभावित करती हैं. इसके मद्देनजर ZEE ने हाल ही में तीन सदस्यीय स्वतंत्र सलाहकार समिति के गठन का फैसला लिया, जिसकी अध्यक्षता इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज डॉ सतीश चंद्रा (Dr. Satish Chandra) करेंगे. यह समिति गलत सूचनाओं, बाजार की अफवाहों और अटकलों के व्यापक प्रसार की समीक्षा करने और संज्ञान लेने में कंपनी को सक्षम बनाएगी. ZEE का कहना है कि गलत सूचनाओं, बाजार की अफवाहों और अटकलों के व्यापक प्रसार का संज्ञान के कारण कंपनी के बारे में नकारात्मक जनमत बना है और इसके परिणामस्वरूप निवेशकों की संपत्ति में गिरावट आई है. इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी के बोर्ड ने एक स्वतंत्र सलाहकार समिति का गठन किया है.
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