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आईटी सेक्टर में हो रही वेतन कटौती, हायरिंग में कमी, क्या दे रही है इशारा?
भारतीय आईटी क्षेत्र का नेगेटिव प्रदर्शन हायरिंग, फ्रेशर ऑनबोर्डिंग और वेरिएबल पेआउट में भी दिख रहा है. अगर वर्ष 2012 की तुलना में वित्त वर्ष 23 की स्थिति का आंकलन करें तो ये अब तक सुस्त ही रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
दुनियाभर की नामी कंपनियों की नौकरियों में कटौती और हायरिंग पर रोक दिखा रही है कि कंपनियां लगातार अपनी कॉस्ट कटिंग कर रही हैं. लेकिन अब कुछ ऐसा ही भारतीय आईटी सेक्टर में भी देखने को मिल रहा है. देश की नामी कंपनियों पर भी लगातार बढती ब्याज दरों और महंगाई के इस दौर का असर देखने को मिल रहा है. भारतीय आईटी सेक्टर की बड़ी कंपनियों ने जहां हाईरिंग पर रोक लगा दी है वहीं दूसरी ओर कंपनियों ने ऑनबोर्डिंग को भी टाल दिया है. ऐसे में सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या स्लोडाउन की स्थिति भारत में भी पैदा हो रही है. हालांकि विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ये ज्यादा लंबे समय तक नहीं चलेगा.
भुगतान पर दिख सकता है असर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक्सपर्ट का कहना है कि FY23 के Q4 में कंपनी की ओर से दिए जाने वाले वेरियेबल पेमेंट नहीं देखने को मिल सकते हैं. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि निचले स्तर के कर्मचारियों को कटौती का सीमित प्रभाव महसूस होगा, जबकि मीडियम से हाई लेवल तक के अधिकारियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर भुगतान किया जा सकता है. निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए यह लार्ज कैप आईटी कंपनियों में 85-100 प्रतिशत के बीच हो सकता है. बाकी के लिए ये परफॉरमेंस पर निर्भर करेगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी जाकि वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में धीमी हो गई थी, वो चौथी तिमाही में भी जारी रहेगी.
भर्ती योजनाओं को लेकर सतर्क हैं आईटी कंपनियां
एकसपर्ट का कहना है कि मौजूदा मंदी ने निश्चित रूप से भर्ती और कपंनियों के एक्सपेंशन कार्यक्रम को प्रभावित किया है. आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण, आईटी कंपनियां अपनी भर्ती योजनाओं को लेकर सतर्क हो रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि धीमी हो गई है. विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि इंडस्ट्री में बड़ी छंटनी और अवसरों में कमी के कारण खुद से नौकरी छोड़ना मध्यम हो सकता है. एक्सपर्ट ने कहा कि तीसरी तिमाही में पहली बार ऐसा हुआ है जो टीसीएस जैसी प्रमुख आईटी कंपनी में कर्मचारियों की संख्या नकारात्मक थी, यह इस बात का संकेत है कि वे अभी से रिजर्व दृष्टिकोण अपना रहे हैं. इस तिमाही के लिए भी यह दृष्टिकोण जारी रह सकता है. मिड कैप आईटी कंपनियां भी छंटनी के जरिए कर्मचारियों की संख्या कम कर सकती हैं, इससे खुद से नौकरी छोड़ने वालों की संख्या में कमी आएगी.
कैंपस हायरिंग में सुस्ती और ऑनबोर्डिंग में देरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसी का असर है कि देश की नामी आईटी कंपनियां जैसे टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक और अन्य कॉलेजों में चल रहे कैंपस प्लेसमेंट सत्र के दौरान अपने कैंपस हायरिंग ड्राइव में उतनी सक्रिय नहीं रही हैं. एक अन्य एक्सपर्ट कहते हैं कि हम फ्रेशर हायरिंग और कैंपस हायरिंग में निश्चित रूप से गिरावट और दबाव देखेंगे क्योंकि कोविड के बाद कंपनियों ने एंट्री-लेवल टैलेंट को हायर किया, एंट्री-लेवल टैलेंट हायरिंग में उछाल आया, लेकिन यह पहले के वर्षों में नहीं देखा गया था. संगठन अब अपनी जरूरतों की समीक्षा कर रहे हैं. विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि ऑनबोर्डिंग में देरी के कारण होने वाला दर्द कुछ और समय के लिए बढ़ सकता है.
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