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रघुराम राजन ने ग्रोथ रेट को लेकर उठाया सवाल, तो कृष्णमूर्ति ने दिया ये जवाब...
रघुराम राजन के साथ चर्चा के कार्यक्रम में भारत के पूर्व चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि मैं ये समझ नहीं पाता कि आखिर वो भारत की ग्रोथ रेट से संतुष्ट क्यों नहीं हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 weeks ago
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सरकार की अलग-अलग मामलों को लेकर अक्सर आलोचना करते रहते हैं. इसी कड़ी में अब पूर्व गवर्नर ने देश की ग्रोथ रेट को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि भारत की असली ग्रोथ रेट 8 से 8.5 प्रतिशत नहीं है बल्कि 6 से 6.5 प्रतिशत है. उन्होंने जिस कार्यक्रम में ये जानकारी दी उसमें पूर्व इकोनॉमिक एडवाइजर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम भी मौजूद थे.
रघुराम राजन ने कही ये बात
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नार्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के केलोग्स बिजनेस स्कूल में अपनी बात कहते हुए कहा कि अगर भारत को 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनना है तो उसके लिए जरूरी है कि उसे अगले कई सालों तक 9 से 10 प्रतिशत की तेजी के साथ आगे बढ़ना होगा. उन्होंने जब ये बात कही उस वक्त उनके सामने भारत के पूर्व चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर मौजूद थे. राजन इससे पहले भी भारत की ग्रोथ रेट को लेकर सवाल उठाते रहे हैं.
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कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कही ये बात
रघुराम राजन के ग्रोथ रेट पर उठाए गए सवाल के जवाब में कृष्णमूर्ति ने कहा कि मुझे समझ ये नहीं आता है कि रघुराम राजन भारत की ग्रोथ के आंकड़ों से संतुष्ट क्यों नहीं हैं. उन्होंने कहा कि थोड़ी देर के लिए हम ये मान लेते हैं कि भारत की ग्रोथ रेट 6 से 7 प्रतिशत की तेजी से आगे बढ़ रही है. लेकिन सवाल ये है कि हम इसमें 7 प्रतिशत की महंगाई दर को क्यों नहीं देख रहे हैं. उनके इस तर्क पर रघुराम राजन ने कहा कि इस तरह की महंगाई तब बढ़ती है जब आप तेजी से आगे बढ़ रहे होते हैं और आपकी आपूर्ति खत्म हो जाती है. देश में लेबर के वेजेज में इजाफा होने लगता है लेकिन भारत में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. राजन ये भी कहते हैं कि भारत में फार्म्स सेक्टर में तो पर्याप्त लेबर मौजूद है लेकिन मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस में नहीं हैं. उन्होंने ये भी कहा कि तेजी से ग्रोथ करते देश में रोजगार एक मजाक है. इसका मतलब है कि ये कम उत्पादकता है और उन्हें कहीं और नौकरी ढूंढ़नी चाहिए.
लेबर मार्केट को लेकर कही ये बात
रघुराम राजन ने लेबर मार्केट को लेकर कहा कि देश में इसकी स्थिति सही नहीं है. इसी का नतीजा है कि देश में ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं. राजन ने ये भी कहा कि मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ कैपिटल इंसेटिव पार्ट में हो रही है ना कि लेबर इंटेसिव पार्ट में. उन्होंने कहा कि अगर हम मैन्युफैक्चरिंग में लेबर इंसेंटिव पार्ट पर नजर डालें तो उसे देखकर पता चलता है कि 23 में से 12 सेक्टर में ये आईआईपी 2016 से कम बना हुआ है. कोरोना के कारण सभी तरह के उद्योगों को इससे भारी नुकसान हुआ है.
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