रघुराम राजन ने विरासत टैक्‍स पर बढ़ाई कांग्रेस की परेशानी, कही ये अहम बात 

रघुराम राजन ने कहा कि वो शिक्षा के क्षेत्र से आते हैं और गलत की आलोचना करना वो सबसे अहम मानते हैं. रघुराम राजन इससे पहले कई मामलों को लेकर सरकार के कार्यक्रमों की आलोचना कर चुके हैं. 

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Monday, 29 April, 2024
Raghuram Rajan

विरासत टैक्‍स से भले ही कांग्रेस पार्टी अपनी असहमति जता चुकी हो लेकिन बीजेपी लगातार इस मामले को लोकसभा चुनाव में मुद्दा बना रही है. इस कड़ी में अब अक्‍सर सत्‍ताधारी सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले रघुराम राजन ने विरासत कर विवाद में एंट्री ले ली है. रघुराम राजन ने कहा है कि हमें सफल लोगों को नीचे गिराने की बजाए उन्‍हें आगे बढ़ाने पर अपना ध्‍यान लगाना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि हमें ये पता लगाने की जरूरत है कि आखिर हम कैसे समाज के कमजोर लोगों को सफल बनाने को लेकर काम कर सकते हैं. 

रघुराम राजन ने कही क्‍या बात? 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि मैं विपक्षी पार्टी से नहीं हूं. उन्‍होंने कहा कि मैं शिक्षा के क्षेत्र से आता हूं और मैं समझता हूं कि हमें गलत की आलोचना करनी चाहिए. उन्‍होंने कहा कि हमें इस बात पर काम करने की जरूरत है कि आखिर जो लोग अच्‍छा नहीं कर रहे हैं हम उनके लिए कैसे काम कर सकते हैं. इससे हमारी ग्रोथ में भी इजाफा होगा. उन्‍होंने कहा कि समाज के हर तपके की ग्रोथ में इजाफा होने से विकास दर में भी इजाफा होगा. उन्‍होंने ये भी कहा कि मैं ये भी नहीं कह रहा हूं कि हमें अमीरों पर भारी भरकम टैक्‍स लगाना चाहिए. 

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इसकी जांच किए जाने की है जरूरत 
रघुराम राजन ने कहा कि इस बात का पता लगाए जाने की सख्‍त जरूरत है कि आखिर फायदा किसे नहीं हुआ है, या उन्‍हें K टाइप रिकवरी का सामना करना पड़ा है. उन्‍होंने कहा कि अर्थव्‍यव्‍सथा में उन हिस्‍सों का इस्‍तेमाल न करना संसाधनों की बर्बादी करने जैसा है. उन्‍होंने संसाधनों की बर्बादी पर अपनी बात कहते हुए कहा कि इसका परिणाम ये होता है कि सामाजिक संघर्ष देखने को मिलता है. 

सैम पित्रोदा ने दिया था ये विचार 
कांग्रेस पार्टी के ओवरसीज मामलों के प्रमुख सैम पित्रोदा ने इस मामले को लेकर विचार दिया था. उन्‍होंने कहा था कि भारत में भी विरासत टैक्‍स को लेकर चर्चा किए जाने की जरूरत है. इस विरासत टैक्‍स का मामला सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी ने तुरंत इससे अपने को अलग कर लिया. पार्टी ने इससे असमहमति जाहिर करते हुए कहा कि ये उनके घोषणापत्र में भी शामिल नहीं है. हालांकि बीजेपी की ओर से इसे लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा गया और कहा गया कि अगर कांग्रेस पार्टी सत्‍ता में आती है तो आपकी संपत्ति का बंटवारा करने की तैयारी कर रही है. 


CBI ने इस कंपनी के पूर्व डायरेक्टर को गिरफ्तार, 34000 करोड़ घोटाले का है आरोप

धीरज वाधवान पर 17 बैंकों के साथ 34000 करोड़ का लोन फ्रॉड करने का मामला है. इससे पहले भी वाधवान यस बैंक भ्रष्टाचार मामले में जेल जा चुके हैं और बेल पर बाहर थे.

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Wednesday, 15 May, 2024
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केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्प लिमिटेड (DHFL) के पूर्व डायरेक्टर धीरज वधावन को गिरफ्तार कर लिया है. यह गिरफ्तारी 34000 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में की गई है. इसके साथ ही वधावन को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. अधिकारियों ने बताया कि वधावन को मुंबई से हिरासत में लिया गया, उन्होंने आगे कहा कि वधावन को दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

17 बैंकों से फ्रॉड का आरोप

सीबीआई ने नई दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल कोर्ट में DHFL के तबके सीएमडी कपिल वधावन और डायरेक्टर धीरज वधावन समेत कुल 74 लोगों और 57 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था. इनपर 17 बैंकों के साथ फ्रॉड करने का आरोप है. चार्जशीट में सीईओ हरशिल मेहता के नाम को भी शामिल किया गया था.

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34,000 करोड़ के बैंकिंग फ्रॉड का आरोप

34,000 करोड़ रुपये की 17 बैंकों की कंसोर्टियम से धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई पहले ही मामला दर्ज कर चुकी है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया इस बैंकों की कंसोर्टियम की अगुवाई कर रही है. बैंक फ्रॉड मामले में सीबीआई की चार्जशीट में 2022 में ही धीरज वधावन के नाम को शामिल कर लिया गया था. वहीं, देश के बैंकिंग इतिहास का इसे सबसे बड़ा फ्रॉड माना जाता है. इससे पहले भी सीबीआई धीरज वधावन को यस बैंक घोटाले मामले में गिरफ्तार कर चुकी थी और इस मामले में फिलहाल वो जमानत पर था.

क्या है पूरा मामला?

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर जो FIR दर्ज की गई उसमें कहा गया कि DHFL के कपिल वधावन धीरज वधावन जो कि डायरेक्टर था उसने दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों को कंसोर्टियम के साथ फ्रॉड को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश रची और इन बैंकों पर 42,871.42 करोड़ रुपये कर्ज देने को कहा. कर्ज के हिस्से की बड़ी रकम को निकालकर उसका दुरुउपयोग किया गया. सीबीआई के मुताबिक DHFL के बुक्स में हेराफेरी की गई. शिकायत में ये आरोप लगाया गया कि 31 जुलाई, 2020 तक बकाये रकम के 17 बैंको के कंसोर्टियम को 34615 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
 


Open AI के इस को फाउंडर ने आखिर क्‍यों दिया इस्‍तीफा? जानिए इसकी पूरी वजह

पिछले साल नवंबर में जब ओपनएआई (Open AI) में लीडरशिप क्राइसेस हुआ था उस वक्‍त भी उन्‍होंने बोर्ड की कार्रवाई में अपनी भूमिका को लेकर माफी मांगी थी. 

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Wednesday, 15 May, 2024
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कुछ दिन पहले AI (ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) के अब तक सबसे शक्तिशाली वर्जन G-40 को लॉन्‍च करने वाली कंपनी Open AI  में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कंपनी के को-फाउंडर इल्‍या सुत्‍सकेवर ने इस्‍तीफा दे दिया है. सुत्‍सकेवर ने अभी तक अपनी भविष्‍य की योजनाओं को लेकर कोई खुलासा नहीं किया है लेकिन अपने ट्वीट में उन्‍होंने Open  AI को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मेरी कामना है कि वो एक सुरक्षित एजीआई का निर्माण करेगा. 

अपने ट्वीट में उन्‍होंने क्‍या कहा? 
लिवा सुत्‍सकेयर ने ट्वीट में अपनी बात कहते हुए कहा, लगभग एक दशक तक काम करने के बाद, मैंने OpenAI छोड़ने का निर्णय लिया है. कंपनी का अब तक का सफर किसी चमत्कार से कम नहीं रहा है और मुझे विश्वास है कि ओपनएआई(OpenAI) एजीआई का निर्माण करेगा जो कि सैम ऑल्‍टमैन के नेतृत्व में सुरक्षित और फायदेमंद होगा. उन्‍होंने कंपनी के कुछ अहम लोगों को टैग करते हुए लिखा उन सभी के साथ काम करना सम्मान और सौभाग्य की बात थी और मैं सभी को बहुत याद करूंगा. इतना लंबा समय, और हर चीज़ के लिए धन्यवाद. मैं आगे जो आने वाला है उसके लिए उत्साहित हूं - एक परियोजना जो मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत सार्थक है जिसके बारे में मैं उचित समय पर विवरण साझा करूंगा.  

 

Open AI प्रमुख ने इस्‍तीफे पर कही ये बात 
इल्या और ओपनएआई अलग होने जा रहे हैं. ये मेरे लिए बहुत दुखद है. इल्या हमारी पीढ़ी की बेहतरीन प्रतिभाओं में से एक हैं,  हमारे क्षेत्र के मार्गदर्शक हैं और एक प्रिय मित्र हैं. उनकी प्रतिभा और दूरदर्शिता को सभी जानते हैं. उनकी गर्मजोशी और करुणा के बारे में कम लोग जानते हैं लेकिन कम महत्वपूर्ण नहीं हैं.
OpenAI उसके बिना वैसा नहीं होता जैसा आज है. हालाँकि उनके पास व्यक्तिगत रूप से कुछ सार्थक है जिस पर वह काम करने जा रहे हैं, उन्होंने यहां जो किया उसके लिए मैं हमेशा आभारी हूं और जिस मिशन को हमने साथ मिलकर शुरू किया था उसे पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं. मुझे खुशी है कि इतने लंबे समय तक मैं ऐसी सचमुच बेहतरीन प्रतिभा के करीब रहा, और किसी ने मानवता के बेहतर भविष्य के लिए अपना फोकस लगाया.  

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इल्‍या की जगह लेने जा रहे हैं जैकब 
सैम ऑल्‍टमैन ने अपने ट्वीट में बताया कि इल्‍या की जगह अब जैकब हमारे मुख्‍य वैज्ञानिक बनने जा रहे हैं. जैकब भी आसानी से हमारी पीढ़ी के सबसे महान दिमागों में से एक है, मैं रोमांचित हूं कि वह यहां कमान संभाल रहे हैं. उन्होंने हमारी कई सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाएं चलाई हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि वह यह सुनिश्चित करने के हमारे मिशन की दिशा में तेजी से और सुरक्षित प्रगति करने में हमारा नेतृत्व करेंगे कि एजीआई से सभी को लाभ हो.

लीडरशिप क्राइसेस के 6 महीने बाद छोड़ी कंपनी 
पिछले साल नवंबर में बोर्ड की कार्रवाई के बाद सैम ऑल्‍टमैन ने इस्‍तीफा दे दिया था उस वक्‍त भी इल्‍या सुतस्‍केवर ने अपने ट्वीट किया था और बोर्ड की कार्रवाई में अपनी भूमिका को लेकर माफी मांगी थी. उन्‍होंने उस वक्‍त जो ट्वीट किया था उसमें लिखा था कि ‘मुझे बोर्ड के कार्यों में अपनी भागीदारी पर गहरा खेद है.  मेरा कभी भी OpenAI को नुकसान पहुँचाने का इरादा नहीं था. मुझे वह सब कुछ पसंद है जो हमने मिलकर बनाया है और मैं कंपनी को फिर से एकजुट करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा ’.


 


Mutual Funds की फेवरेट हैं ये कंपनियां, बीते 3 सालों में 35 अरब डॉलर किए इन्वेस्ट

HDFC बैंक और रिलायंस जैसी कंपनियों पर म्यूचुअल फंड्स का भरोसा बढ़ा है. पिछले कुछ वक्त में फंड्स ने इनमें काफी पैसा लगाया है.

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Wednesday, 15 May, 2024
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घरेलू म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) ने शेयर बाजार की कुछ कंपनियों पर काफी प्यार लुटाया है. बीते तीन सालों में अलग-अलग क्षेत्रों की 27 टॉप कंपनियों में फंड्स ने करीब 35 अरब डॉलर का निवेश किया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खासतौर पर HDFC बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा समूह की TCS जैसी कंपनियों में म्यूचुअल फंड्स इन्वेस्टमेंट काफी बढ़ चुका है. इससे पता चलता है कि फंड्स को इन कंपनियों पर सबसे ज्यादा भरोसा है.

इन सेक्टर्स पर है फोकस
म्यूचुअल फंड्स फाइनेंस, ऑटोमोबाइल, एनर्जी, IT और कंज्यूमर गुड्स जैसे सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा फोकस किए हुए हैं. इन सेक्टर्स से जुड़ी प्रमुख कंपनियों में Mutial Funds ने जमकर निवेश किया है. रिपोर्ट में नुवामा अल्टरनेटिव एंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के प्रमुख अभिलाष पगारिया के हवाले से बताया गया है कि म्यूचुअल फंड द्वारा इक्विटी बाजार में निवेश बढ़ते रहने की संभावना है. फिलहाल, सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) से करीब 2.3 अरब डॉलर की रकम बाजार को एनर्जी दे रही है.

ये हैं टॉप 10 कंपनियां
रिपोर्ट के अनुसार, HDFC बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, मारुति सुजुकी, कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी TCS, पावर ग्रिड कॉर्प, हिंदुस्तान यूनिलीवर, इंडिगो की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन, बजाज फाइनेंस, कोफोर्ज, वो टॉप 10 कंपनियां हैं, जिनमें म्यूचुअल फंड्स ने बीते कुछ समय में काफी पैसा लगाया है. पिछले महीने खबर आई थी कि फंड मैनेजर्स ने वित्त वर्ष-24 की मार्च तिमाही (Q4FY24) में व्हर्लपूल इंडिया (Whirlpool Of India) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 31.14% कर दी है. 31 दिसंबर को समाप्त पिछली तिमाही में यह 11.12% थी. इसी तरह, फंड्स ने आवास फाइनेंसर्स (Aavas Financiers) में अपनी हिस्सेदारी को 12.05% से बढ़ाकर 21.13% कर दिया है. जबकि इनोवा कैपटैब (Innova Captab) में उनकी हिस्सेदारी 3.40% से बढ़कर 12.38% तक हो गई है.

म्यूचुअल फंड के प्रकार
म्यूचुअल फंड अलग-अलग प्रकार के होते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड: निवेशकों की रकम को सीधे शेयर बाजार लगाते हैं. लंबी अवधि में ये आपको अच्छा रिटर्न दे सकते हैं. डेट म्यूचुअल फंड डेट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. ये स्कीम शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं. साथ ही बैंकों की FD की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड: इसके तहत इक्विटी और डेट दोनों में निवेश किया जाता है.  सल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड:
ये स्कीम किसी खास लक्ष्य या समाधान के हिसाब से बनी होती है. उदाहरण के लिए इनमें रिटायरमेंट स्कीम या बच्चों की शिक्षा जैसे लक्ष्य हो सकते हैं. इसमें आपको कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना जरूरी होता है.

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जिनसे मिलने के लिए लाइन में खड़े रहते हैं दुनियाभर के रईस, वो PM मोदी खुद कितने हैं अमीर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है. उन्होंने बताया है कि उनके पास कुल कितनी संपत्ति है.

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Wednesday, 15 May, 2024
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने वाराणसी लोकसभा सीट (Varanasi Lok Sabha Seat) से नामांकन दाखिल कर दिया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कैबिनेट के साथियों की मौजूदगी में PM मोदी ने मंगलवार को अपना नॉमिनेशन फाइल किया. सभी प्रत्याशियों को नामांकन के साथ एक हलफनामा भी देना होता है, जिसमें उनकी संपत्ति का ब्यौरा होता है. PM मोदी ने भी चुनाव आयोग को बताया है कि उनके पास कुल कितनी दौलत है. चलिए आपको बताते हैं कि देश चलाने वाले मोदी कितने अमीर हैं.

SBI में हैं दो अकाउंट    
प्रधानमंत्री मोदी के पास 3.02 करोड़ रुपए की कुल संपत्ति है. हालांकि, उनके पास न तो अपना कोई घर है और न ही गाड़ी. कैश के तौर पर मोदी के पास 52,920 रुपए हैं. जबकि बैंक में उनके करीब 2.85 करोड़ रुपए ज्यादा जमा हैं. PM मोदी के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में दो खाते हैं. एक गुजरात के गांधीनगर में और वाराणसी की शिवाजी नगर शाखा में. गुजरात वाले खाते में 73 हजार 304 और वाराणसी वाले अकाउंट में सात हजार रुपए हैं. मोदी ने गोल्ड में 2.67 रुपए निवेश किया हुआ है. उनके पास सोने की 4 अंगूठियां हैं. 

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PM के ऊपर कोई कर्ज नहीं  
वाराणसी से चुनावी मैदान में उतरा मोदी ने नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) में 9.12 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है. एनएससी में उनका निवेश 2019 में 7.61 लाख रुपए था, जिसमें लगभग 2 लाख रुपए का इजाफा हुआ है. मोदी के ऊपर कोई देनदारी नहीं है. उन्होंने कोई लोन नहीं लिया है. उन्होंने अपनी आय के स्रोतों के रूप में सरकार से मिलने वाला वेतन और बैंक से मिलने वाला ब्याज का हवाला दिया है. प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि उनके पास गुजरात विश्वविद्यालय से MA की डिग्री है. वहीं, उन्होंने 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है.  

इनसे है मोदी का मुकाबला
लोकसभा चुनाव के लिए इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट को ही चुना है. वह पहली बार 2014 में वाराणसी से ही सांसद चुने गए थे और फिर देश के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद 2019 में भी मोदी इसी सीट से चुनावी मैदान में उतरे और प्रचंड जीत हासिल की. अब 2024 के चुनावी रण में भी उन्होंने वाराणसी को ही चुना है. कांग्रेस के अजय राय और बहुजन समाज पार्टी के अतहर जमाल लारी भी वाराणसी से किस्मत अजमाने के लिए नामांकन दाखिल कर चुके हैं. वाराणसी में 1 जून को वोट डाले जाएंगे. 

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बाजार की चाल आज कैसी भी रहे, इन शेयरों में निवेश से चेहरा खिलने की संभावना है हाई!

शेयर बाजार की चाल आज कैसी रहेगी सटीक तौर पर बताना मुश्किल है, लेकिन कुछ शेयरों में तेजी के संकेत ज़रूर मिले हैं.

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Wednesday, 15 May, 2024
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शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने वालों के लिए मंगलवार का दिन अच्छा रहा. अप्रैल में खुदरा महंगाई दर में आई नरमी के साथ ही कुछ दिग्गज शेयरों में लिवाली के चलते बाजार में मजबूती आई. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 328.48 अंक चढ़कर 73,104.61 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 113.80 अंक उछलकर 22,217.85 पर बंद हुआ. Sensex की कंपनियों में SBI, M&M, JSW स्टील, लार्सन एंड टुब्रो, NTPC और इंडसइंड बैंक जैसे शेयर लाभ में रहे. चलिए जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं.

MACD के ये हैं संकेत
शुरुआत करते हैं MACD के संकेतों से. मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज के लिए केवल 4 शेयरों में तेजी का रुख दर्शाया है. HG Infra Engineering, BEML, Honeywell Automation और Symphony के भाव में उछाल देखने को मिल सकता है. HG इंफ़्रा के शेयर कल 15% की शानदार तेजी के साथ 1,370 रुपए पर बंद हुए थे. BEML 3.36% की बढ़त के साथ 3,800, Honeywell करीब 1 प्रतिशत की मजबूती के साथ 47,700 और Symphony करीब 4 प्रतिशत की तेजी एक साथ 994 रुपए पर पहुंच गया था. इसी तरह, MACD ने Axis Bank, Carborundum Universal, Colgate-Palmolive और TRF में मंदी का संकेत दिया है. लिहाजा इन शेयरों में निवेश को लेकर सावधान रहें.

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इन पर भी बनाए रखें नजर
अब उन शेयरों के बारे में जानते हैं जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में अनिल अग्रवाल की वेदांता के साथ ही Finolex Industries, Timken India, Apar Industries, JSPL, CG Power, Industrial Solutions और M&M शामिल हैं. Vedanta के शेयर कल करीब 5 प्रतिशत चढ़कर 433.05 रुपए पर पहुंच गए थे. बीते 5 दिनों में इस शेयर ने 7.38% और इस साल अब तक 68.40% का रिटर्न दिया है. इसी तरह, Finolex Industries के लिए भी कल का दिन बेहद शानदार रहा. कंपनी का शेयर इस दौरान करीब 11 प्रतिशत की मजबूती हासिल करते हुए 299.50 रुपए के लेवल पर पहुंच गया. वहीं, Clean Science & Technology के शेयरों में बिकवाली का दबाव नजर आ रहा है.

(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).


भारतीय Airtel के तिमाही नतीजों में कमी के बावजूद डिविडेंड देगी कंपनी , इतनी हुई गिरावट 

एयरटेल इंडिया के नतीजों पर नजर डालें तो उसका राजस्‍व 28513 करोड़ रुपये रहा इसमें सालाना आधार पर 12.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.

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Tuesday, 14 May, 2024
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टेलीकॉम सेक्‍टर की बड़ी कंपनी भारती एयरटेल ने अपनी चौथी तिमाही के नतीजों को जारी कर दिया है. कंपनी को चौथी तिमाही में 2072 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध लाभ हुआ है. ये शुद्ध लाभ पिछले साल से 31 प्रतिशत कम है. कंपनी का Q4 राजस्‍व 37599 करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल से 4 प्रतिशत से ज्‍यादा है. इस अवधि के दौरान विशेष तौर पर नाइजीरियाई मुद्रा के अवमूल्‍यन से नुकसान हुआ है. कंपनी ने 8 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड का ऐलान भी किया है. 

क्‍या कह रहे हैं कंपनी की चौथी तिमाही के आंकड़े? 
कंपनी ने एक्‍सचेंज को दी गई जानकारी के अनुसार, Q4 में एयरटेल ने 7.8 मिलियन स्‍मार्टफोन ग्राहक जोड़े और कंपनी के एआरयूपी में भी इजाफा देखने को मिला है. Q423 में जहां ये 193 रुपये था वहीं Q424 में ये 209 रुपये दर्ज किया गया. कंपनी ने अपने नतीजों के ऐलान के बाद 5 रुपये की फेस वैल्‍यू पर 8 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने का ऐलान किया है. वहीं बाजार के जानकारों ने एयरटेल का शुद्ध लाभ 2201 करोड़ रुपये से 5309 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया था. 

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भारत के राजस्‍व में हुआ है इजाफा 
एयरटेल इंडिया के नतीजों पर नजर डालें तो उसका राजस्‍व 28513 करोड़ रुपये रहा इसमें सालाना आधार पर 12.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. सालाना आधार पर 4जी और 5 जी ग्राहकों की संख्‍या में हुए इजाफे के कारण राजस्‍व में सालाना आधार पर 12.9 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है. वहीं अगर तिमाही में समेकित मोबाइल डेटा ट्रैफिक पर नजर डालें तो 26.2 प्रतिशत की स्‍वस्‍थ बढ़ोतरी के साथ 17702 पीबी था. 

PAT और EBITDA के क्‍या हैं आंकड़े? 
चौथी तिमाही के नतीजों में अगर कंपनी प्रॉफिट ऑफ्टर टैक्‍स के नतीजों पर नजर डालें तो वो 3005 करोड़ रुपये रहा है. अगर गैर नियंत्रित ब्‍याज जोड़ने के साथ PAT बढ़कर 4226 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि राजस्‍व 36009 करोड़ रुपये रहा है. वहीं EBITDA पर नजर डालें तो Q424 एयरटेल का समेकित EBITDA सालाना आधार पर 4.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 195890 करोड़ रुपये रहा है. भारत का EBITDA मार्जिन Q423 में 53.1 प्रतिशत से बढ़कर Q424 में 53.6 प्रतिशत रहा है. 


13 महीने के उच्‍च स्‍तर पर पहुंची थोक महंगाई, खाने-पीने की चीजों ने बिगाड़ा बजट

आंकड़ों के अनुसार अप्रैल, 2024 में खाद्य वस्तुओं, बिजली, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और कंस्‍ट्रक्‍शन से जुड़ी चीजों की कीमतों में वृद्धि के चलते महंगाई बढ़ गई है.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
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खाद्य पदार्थों की कीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी समेत दूसरी चीजों के दाम बढ़ने से थोक महंगाई दर में इजाफा हुआ है. वाणिज्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में इसमें 1.26 फीसद का उछाल देखने को मिला है. ये 13 महीने के उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गई है, जबकि मार्च में महंगाई दर 0.53 प्रतिशत बढ़ी थी. प्‍याज की आपूर्ति में कमी आ सकती है.

थोक महंगाई 13 महीने के सबसे उच्‍चतर स्‍तर पर

कॉमर्स मिनिस्‍ट्री का कहना है कि मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्रोडक्‍ट के दाम भी बढ़े हैं. इन्हीं कारणों के चलते थोक महंगाई 13 महीने के सबसे उच्‍चतर स्‍तर पर पहुंच गई. इससे पहले साल 2023 के मार्च महीने में थोक महंगाई की दर 1.34% दर्ज की गई थी. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल 2023 में 0.79 प्रतिशत और मार्च 2024 में 0.53 प्रतिशत थी.

WPI का आम आदमी पर असर

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है. अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं. सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है. जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी. हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है. WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है.

कैसे मापी जाती है महंगाई?

भारत में दो तरह की महंगाई होती है. एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है. रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं. वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है. महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है. जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है. वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है.

रिटेल महंगाई में आई गिरावट

इससे पहले अप्रैल में खुदरा महंगाई (रिटेल इन्फ्लेशन) दर 11 महीने में सबसे कम रही. अप्रैल में यह घटकर 4.83% पर आ गई है. जून 2023 में यह 4.81% थी. हालांकि अप्रैल में खाने-पीने की चीजें महंगी हुई हैं. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने सोमवार 14 मई को ये आंकड़े जारी किए थे. वहीं एक महीने पहले यानी मार्च 2024 में महंगाई की दर 4.85% रही थी. खाद्य महंगाई दर 8.52% से बढ़कर 8.78% पर पहुंच गई है. ग्रामीण महंगाई दर 5.45% से घटकर 5.43% आ गई और शहरी महंगाई दर 4.14% से घटकर 4.11% पर आ गई है.
 


भारत में AI पर खर्च 3 गुना बढ़ा, 2027 तक हो सकता है 500 करोड़ रुपये का निवेश

देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर खर्च 2027 तक 3 गुना बढ़ाकर 500 करोड़ हो सकता है. भारत तीसरा सबसे बड़ा ग्लोबल बाजार है.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
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देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में निवेश बढ़ाने की तैयारी में है. भारत में एआई पर हर साल तेजी के खर्च हो रहा है. जानकारी के अनुरसार 2027 तक एआई पर खर्च 3 गुना बढ़ाकर 500 करोड़ होने की उम्मीद है. 2023 में भारत ने 170.38 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं.

हर साल 25 से 35 प्रतिशत बढ़ रहा एआई बाजार
भारत का एआई बाजार हर साल 25 से 35 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और इसके 2027 तक 500 करोड़ रुपये (5 अरब डॉलर) तक पहुंचने का अनुमान है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह ग्रोथ उद्यम प्रौद्योगिकी (enterprise technology) खर्च में बढ़ोतरी, भारत के बढ़ते एआई प्रतिभा आधार और एआई निवेश में उल्लेखनीय बढ़ोतरी सहित कई कारकों से प्रेरित है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में एआई पर खर्च 2027 तक 500 करोड़ हो सकता है. भारत में विभिन्न संस्थाओं ने 2023 में एआई पर 170.38 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं.

2027 तक हर जगह मौजूद होगा AI 
जानकारी के अनुसार भारत में एआई खर्च 2023 से 2027 के बीच 31.5 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ 500 करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है. 2027 तक एआई हर जगह मौजूद होगा. 2023 में एआई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोविजनिंग और संबंधित सॉफ्टवेयर द्वारा 20.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर का बड़ा खर्च किया गया. कुल खर्च में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोविजनिंग सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना रहेगा.

भारत में प्रोड्यूस होता है दुनिया का करीब 20 प्रतिशत डेटा
भारत एआई के लिए पूरी तरह से तैयार है, क्योंकि दुनिया का करीब 20 प्रतिशत डेटा भारत में ही उत्पादित होता है. यह तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक बाजार है. प्रौद्योगिकी कौशल उपलब्धता के मामले में भारत विश्व स्तर पर अग्रणी है.

अपने सेगमेंट का विस्तार कर रही हैं कंपनियां
भारत की टेक कंपनियां जेनरेटिव एआई के आगमन के साथ, एआई-संचालित एनालिटिक्स, इंटेलिजेंट ऑटोमेशन और व्यक्तिगत ग्राह चर्चा को शामिल करने के लिए पारंपरिक आईटी और बिजनेस प्रोसेस प्रबंधन से परे अपने सेगमेंट का विस्तार कर रही हैं. कंपनियां सिर्फ एआई को नहीं अपना रही हैं, वे अपनी सेवा पेशकशों को फिर से परिभाषित कर रही हैं. अपने ग्राहकों के लिए अधिक मूल्य बना रही हैं और नए उद्योग मानक स्थापित कर रही हैं.

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घर की सजावट करने के लिए चाहिए लोन, ये Finance Company लाई है 'द कम्प्लीट होम लोन'

कंपनी ने अपने इस विज्ञापन की सीरिज में 'Kum Nahi, Complete’ टैगलाइन के साथ प्रमुख पेशकश को प्रदर्शित करने वाले तीन टीवी विज्ञापन भी पेश किए हैं.

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Tuesday, 14 May, 2024
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देश की प्रमुख रिटेल फाइनेंशियल सेवाओं में शामिल एल एंड टी फाइनेंस लिमिटेड (एलटीएफ -LTF) ने दिल्ली के ग्राहकों के लिए 'द कम्प्लीट होम लोन' लॉन्च किया है, जिसमें उन्हें अपना घर खरीदने का सपना पूरा करने के लिए सभी जरूरी सहायता मिलेगी. 'द कम्प्लीट होम लोन' में होम डेकोर फाइनेंस की सुविधा है, जो ग्राहकों को एक समर्पित रिलेशनशिप मैनेजर के साथ डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से पेश किया जाता है.

आखिर क्‍या है कंपनी की इस स्‍कीम का लक्ष्‍य 
होम डेकोर फाइनेंस का लक्ष्य रहने की आरामदायक जगह के लिए फर्निशिंग (साज सज्जा) के सामान खरीदने में आसान सुविधा प्रदान करना है. डिजिटल प्रक्रिया के चलते लोन पाने की पूरी यात्रा और ज्यादा आसान हो जाती है. वहीं, ग्राहक की सुविधा को ध्‍यान में रखते हुए फाइनेंस कंपनी ने एक डेडीकेटेड रिलेशनशिप मैनेजर की व्‍यवस्‍था की है जो एक सहज और बेहतर अनुभव के साथ लोन की प्रक्रिया के दौरान ग्राहक के लिए संपर्क बिंदु के रूप में कार्य करता है, जिससे ग्राहकों को पूरी तरह से संतुष्टि मिलती है.

फाइनेंस कंपनी ने लॉन्‍च किए हैं तीन विज्ञापन 
अपनी नवीनतम पेशकश को बढ़ावा देने के लिए, कंपनी ने तीन नए टीवी विज्ञापनों का भी खुलासा किया है. ये विज्ञापन टैगलाइन, 'Kum Nahi, Complete’ के साथ समझदारी से हास्य और संबंधित स्थितियों का मिश्रण करते हैं. पहला टीवी विज्ञापन 'होम डेकोर फाइनेंस' पेश करता है, जबकि दूसरा और तीसरा 'डिजिटल प्रक्रिया' और 'रिलेशनशिप मैनेजर' से होने वाले लाभ को दिखाते हैं.

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इस मौके पर क्‍या बोले एलटीएफ के एमडी और सीईओ? 
इस सर्विस के लॉन्च पर एलटीएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सुदीप्ता रॉय ने कहा कि हमारे ग्राहकों की लगातार बढ़ती जरूरतों के अनुसार, हमें 'द कम्प्लीट होम लोन' की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है. यह हमारे द्वारा संचालित एक गतिशील ग्राहक केंद्रित पेशकश है, जो इनोवेशन के प्रति प्रतिबद्धता और ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार काम करने पर ध्यान केंद्रित करती है.

जमीनी स्तर पर सावधानीपूर्वक रिसर्च के माध्यम से, हमने ग्राहकों की उन जरूरतों की पहचान की, जो अधूरी हैं. इससे  होम लोन के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली. यह नई पेशकश बाजार में फाइनेंसिंग के लिए प्रमुख समाधान प्रदान करने के साथ ही हमारे मूल्यवान ग्राहकों, भागीदारों व हितधारकों के लिए मूल्य स्‍थापित करने पर हमारे निरंतर फोकस का एक प्रमाण है. हमारे नए टीवी विज्ञापनों का उद्देश्य ब्रैंड की दृश्यता को बढ़ाना और हमारी पेशकश को प्रभावी ढंग से ग्राहकों तक पहुंचाना है. हमें भरोसा है कि वे दर्शकों को पसंद आएंगे, जिससे होम लोन अधिक आसान हो जाएगा.

क्‍या बोले कंपनी के चीफ ए‍क्‍जीक्‍यूटिव?  
एलटीएफ में चीफ एक्‍जीक्‍यूटिव - अर्बन फाइनेंस, संजय गरियाली ने कहा कि दिल्ली हमारे लिए एक प्रमुख बाजार है, और 'द कम्प्लीट होम लोन' के लॉन्च के माध्यम से, हम मुख्य रूप से नए घर खरीदारों को टारगेट कर रहे हैं, जो तैयार संपत्तियों (तैयार घरों) या अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन (निर्माण किए जा रहे घरों) के लिए होम लोन की तलाश कर रहे हैं. ग्राहकों की जरूरतों को समझकर, हमें रिसर्च के आधार पर डिजाइन किए गए 'द कम्प्लीट होम लोन' पेश करने पर गर्व है, जिसका उद्देश्य ग्राहकों को बेहतर समाधान प्रदान करना है. इसमें पहले बताई गई विशेषताओं के अलावा , पेपरलेस प्रोसेसिंग, बिना किसी परेशानी के डॉक्युमेंटेशन (दस्तावेजीकरण) और सबसे अच्छे सेवा मानक और आकर्षक ब्याज दरों जैसी विशेषताएं इस पेशकश को बहुत खास बना देती हैं. 


क्या सट्टा बाजार और शेयर मार्केट चुनाव के रुझान को प्रभावित कर रहे हैं? रिपोर्ट में जानिए

2019 के चुनावों की तुलना में 2024 के लिए मतदान प्रतिशत कम था, आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि यह वास्तव में स्वतंत्रता के बाद से भारत के चुनावी इतिहास में सबसे अधिक है.

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Tuesday, 14 May, 2024
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पिछले दो हफ्तों से सट्टा बाज़ार के रुझान शेयर बाज़ार की चाल को काफ़ी हद तक प्रभावित कर रहे हैं. सट्टा बाज़ार के अनुसार, मार्च में मतदान के पहले चरण से पहले, भाजपा अकेले 338 सीटें जीत रही थी. लेकिन जैसे-जैसे मतदान का 5वां चरण नज़दीक आ रहा है, सट्टा बाज़ार ने भाजपा की सीटों की संख्या घटाकर 290 कर दी है, जो दर्शाता है कि मोदी लहर जिसने भाजपा को सत्ता में पहुंचाया था, वह कमज़ोर पड़ रही है. 290 के साथ भाजपा अभी भी बहुमत के आकड़े से ऊपर है, लेकिन शेयर बाज़ार के निवेशकों ने कई तरह के परिदृश्यों की कल्पना करना शुरू कर दिया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुर्सी चली जाना और भारतीय रुपये में तेज़ गिरावट शामिल है अगर भाजपा की सीटों की संख्या 272 के निशान से थोड़ी भी कम रह गई.  

सट्टेबाजों का भाजपा को कम सीटें मिलने का यह अनुमान इस तथ्य पर आधारित है कि 2019 की तुलना में 2024 में मतदान प्रतिशत कम रहा. इस तरह के अनुमानों के कारण बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी में 3 मई को अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 22794 से लगभग 1000 अंकों की गिरावट आई है. केवल 10 दिनों में, निफ्टी इंडेक्स ने 13 मई को 21,821 का निचला स्तर छुआ. इंडेक्स को छोड़कर, PSU कंपनियों के कई शेयरों में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है. साथ ही, पीएम मोदी के करीबी माने जाने वाले समूह अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर की कीमत पिछले कुछ दिनों में 10 प्रतिशत से अधिक गिर गई है. लेकिन क्या शेयर बाजार और सट्टेबाज रुझानों को गलत तरीके से समझ रहे हैं? शेयर बाजार और सट्टा बाजार में आखिर ऐसी निराशा की क्या वजह है?

आंकड़ों का खेल 

पिछले दो चुनावों और हाल ही में संपन्न हुए 2023 के राज्य चुनावों को देखते हुए, जहां भाजपा ने चार में से तीन विधानसभा चुनाव जीते, इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में जनता राहुल गांधी और क्षेत्रीय दलों की तुलना में पीएम मोदी से अधिक प्रभावित है, जिन्हें पिछले 10 वर्षों में चुनावों के बाद अधिकांश जनता ने नकार दिया है. तो फिर इस बार बाजारों में डर और घबराहट क्यों पैदा हो रही है?

राष्ट्रीय चुनावों के पहले चार चरणों में कम मतदान ही एकमात्र कारण है, जिसके आधार पर सट्टेबाज भावनाओं को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि पीएम मोदी और भाजपा को हिंदू कमोडिटी मतदाताओं से कम वोट शेयर मिलेगा, जिनके बारे में माना जाता है कि वे 2019 की तुलना में अधिक संख्या में मतदान नहीं करेंगे. जबकि कांग्रेस और अन्य दलों के लिए अनुमान यह है कि वे इस बार वोट शेयर में बढ़ोतरी करेंगे, क्योंकि उनका मतदाता आधार, जिसे बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय माना जाता है, कभी भी मतदान नहीं छोड़ता है और बड़ी संख्या में मतदान करता है.

ऊपर बताए गए अनुमान की तरह अकेले ही बड़े शेयर बाजार निवेशकों और सट्टेबाजों में चिंता पैदा हो रही है, जो अपनी पोजीशन कम कर रहे हैं, जिससे निफ्टी इंडेक्स और शेयरों में गिरावट आ रही है. विदेशी निवेशक और भारत के  HNI दोनों ही भाजपा को कम सीटें मिलने की स्थिति में निफ्टी में गिरावट और रुपये के गिरने का परिणाम हैं. ऐसा अनुमान है कि अगर भाजपा 300 सीटें जीतती है तो मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने रहेंगे और बाजार में तेजी आएगी, लेकिन अगर पार्टी बहुमत के आंकड़े से पीछे रह जाती है और उसे सहयोगियों से समर्थन लेना पड़ता है, तो प्रधानमंत्री मोदी को किनारे कर दिया जाएगा और बाजार व रुपये में तेज गिरावट आएगी.

डर फैलाने और जोड़-तोड़ करने वाले क्या छिपा रहे हैं? 

फाइनेंशियल मार्केट एक्सपर्ट और पूर्व फंड मैनेजर अजय बग्गा कहते हैं कि पहले चार चरणों में अब तक के रुझान को देखते हुए, 2019 में 60 करोड़ मतदाताओं की तुलना में 2024 में 63 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे. संख्या वास्तव में अधिक हो सकती है क्योंकि मतदान के अंतिम तीन चरण उन राज्यों में हैं जो भाजपा का गढ़ हैं. 2019 में मात्र 37 प्रतिशत वोट शेयर से भाजपा को 303 सीटें मिलीं. मतदाताओं की संख्या बढ़ने की संभावना के साथ, भाजपा का वोट शेयर भी बढ़ जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप अधिक सीटें मिलेंगी.

प्रतिशत के लिहाज से इस बार मतदान प्रतिशत 2019 के मुकाबले कम दिख रहा है क्योंकि मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 2019 में 91 करोड़ मतदाता थे लेकिन तुलनात्मक रूप से 2024 में 98 करोड़ मतदाता हैं, इसलिए स्वाभाविक रूप से प्रतिशत के लिहाज से इस बार मतदान प्रतिशत 2019 के मुकाबले कम दिख रहा है. 2019 में 67 प्रतिशत मतदाता वोट डालने निकले थे जो घटकर 63 प्रतिशत या 64 प्रतिशत रह जाने की संभावना है. लेकिन कुल संख्या के लिहाज से 2019 के मुकाबले वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या में कम से कम 5-7 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की संभावना है. इसलिए, यह मानकर चलें कि कम मतदान से प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को नुकसान होगा, यदि अधिक संख्या में मतदाता वोटिंग के लिए निकलेंगे तो इससे सत्तारूढ़ पार्टी और प्रधानमंत्री को भारी जीत मिलेगी.

अजय बग्गा ने इसके साथ ही कहा कि 98 करोड़ मतदाताओं और 63 करोड़ वोटों की संभावित संख्या के इस विशाल पैमाने पर, कोई भी सर्वेक्षण सटीक होने का दावा नहीं कर सकता. इसमें सोशल मीडिया का प्रभाव भी शामिल है, जिसे बॉट्स और टूल किट के साथ हेरफेर किया जाता है. इससे मूड और नब्ज को सही ढंग से समझना बहुत मुश्किल हो जाता है, खासकर तब जब कोई व्यापक लहर न हो. बहुत सारे शोध बताते हैं कि मतदान परिणाम का सटीक पूर्वानुमान नहीं है. उस परिप्रेक्ष्य में, मतदान प्रतिशत के आधार पर भारी जीत के दावे भम्र पैदा कर रहे हैं.

कैसे काम करता है हेरफेर?

सूत्रों का कहना है कि सट्टा बाजार में, सट्टेबाजों को भाजपा की सीटों की संख्या को कम करके जो भी नुकसान हो रहा था, वे शेयर बाजारों में शॉर्ट करके उसे कवर कर रहे थे. यह विपक्षी दलों के करीबी बड़े सट्टेबाजों के लिए एक बेहतरीन बचाव है, क्योंकि उन्होंने भावनाओं को खराब करके शेयर बाजारों में जीत हासिल की है, जिसके कारण निफ्टी इंडेक्स और कई अन्य शेयरों में लगभग 1000 अंकों की गिरावट आई है, जबकि वैश्विक बाजार स्थिर हैं जो लंबे समय तक टूट रहे थे. पांचवें चरण के मतदान के बाद, जब 20 मई को 538 में से लगभग 450 सीटों के लिए मतदान होगा, तो सट्टा बाजार का रुझान उलट सकता है क्योंकि जिन लोगों ने भाजपा को शॉर्ट किया था, वे प्रतिशत के हिसाब से नहीं बल्कि मतदान की संख्या को देखते हुए कवर करने के लिए वापस आएंगे.

बाजार की स्थिति

स्ट्राइक मनी एनालिटिक्स और इंडियाचार्ट्स के संस्थापक रोहित श्रीवास्तव ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की स्थिति में बाजार में अत्यधिक बिकवाली हो रही है. लेकिन बाजार 21,800 के निकट एक डबल बॉटम बना सकता है, जो आगे एक तेजी का संकेत दे रहा है और चुनावों से पहले निफ्टी के 22800 के उच्च स्तर दोबारा छूने की संभावना है. 
 
NSE द्वारा इंडेक्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए लॉट साइज के हालिया संशोधन के आंकड़ों के अनुसार, 13 मई तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय शेयर बाजारों में इंडेक्स डेरिवेटिव सेगमेंट में 158874 कॉन्ट्रैक्ट्स के बराबर नेट इंडेक्स शॉर्ट पोजीशन होल्ड कर रहे हैं. घरेलू ट्रेडर्स जो मुख्य रूप से हाई नेट वर्थ वाले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कोविड के बाद से बाजारों में बाजार की चाल को सही तरीके से समझा है वो 230074 कॉन्ट्रैक्ट्स के बराबर नेट लॉन्ग पोजीशन होल्ड कर रहे हैं. अप्रैल 2020 में कोविड के दौरान, घरेलू ट्रेडर्स इंडेक्स में 288132 के बराबर नेट लॉन्ग पोजीशन होल्ड कर रहे थे. हाल ही में, जब निफ्टी इंडेक्स अक्टूबर 2023 में निचले स्तर पर पहुंचा और वहां से तेजी से बढ़ा, तब भी घरेलू सट्टेबाज 292822 कॉन्ट्रैक्ट्स के बराबर नेट लॉन्ग पोजीशन होल्ड कर रहे थे जिससे यह पता चलता है कि हवा किस तरफ बह रही है.

एफपीआई का हाल

सूत्रों का कहना है कि प्रमुख एफपीआई और विदेशी बैंकों ने अपने ग्राहकों के लिए कुछ परिदृश्य तैयार किए हैं, जिसके अनुसार अगर भाजपा 272 के बहुमत के आंकड़े से पीछे रह जाती है तो बाजार में और रुपये में गिरावट आ सकती है. उस स्थिति में, मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं रह सकते हैं और कई अन्य लोग अपना दावा पेश करने के लिए आगे आ सकते हैं. अगर भाजपा कम से कम 290 सीटें जीतती है, जैसा कि सट्टा बाजार भविष्यवाणी कर रहा है, तो बाजार में ज्यादा गिरावट नहीं आएगी, लेकिन विपक्ष के मजबूत होने के कारण तेजी की संभावना नहीं है. भाजपा के लिए 300 से अधिक सीटें बजट सत्र तक बाजार में तेजी का कारण बनेंगी, जो चुनाव के बाद कुछ महीनों से भी कम समय में पेश होगा.