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अब Goldman Sachs ने भारत की ग्रोथ रेट को लेकर लगाया ये अनुमान, इतनी रहेगी ग्रोथ रेट
गोल्डमैन ने भारत के साथ-साथ थाईलैंड के बाजार को भी ओवरवेट की श्रेणी में रखा है. जबकि चीन के शेयरों को बाजार वैल्यू तक कम कर दिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
भारत की ग्रोथ रेट को लेकर अब तक जितने भी अनुमान सामने आए हैं वो 140 मिलियन की आबादी वाले देश के लिहाज से अच्छी ही आई है. इसी कड़ी में अब गोल्डमैन शैश ने 2023 और 2024 के लिए भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर अपना अनुमान जाहिर किया है. गोल्डमैन शैश के अनुसार 2023 में देश की अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ेगी लेकिन 2024 में इसके 6.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. गोल्डमैन ने भारत की रेटिंग को मार्केटवेट से ओवरवेट में बदल दिया है.
आखिर क्या है इसकी वजह?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की ग्रोथ रेट के ओवरवेट होने के पीछे जो वजह बताई उनमें देश की आर्थिक विकास संभावनाओं, स्थिर घरेलू म्यूचुवल फंड प्रवाह को प्रमुख वजह बताया गया है. यही नहीं चीन से संभावित आपूर्ति श्रृंखला बदलाव को भी एक वजह बताते हुए भारतीय शेयरों को मार्केटवेट से ओवरवेट में बदल दिया है.गोल्डमैन शैश के विश्लेषकों की ओर से एक नोट लिखा गया है कि 2024 में भारतीय बाजारों में बढ़त लगातार जारी रहेगी. उसमें ये भी लिखा गया है कि स्थिर आय बढ़ोतरी और बड़े स्तर पर होने वाली आर्थिक स्थिरता के कारण एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए अगला साल कठिन रहने वाला है.
भारत के लिए रहेगा बेहतर
नोट में ये भी कहा गया है कि इन चुनौतियों के बावजूद एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत में संरचनात्मक विकास की सबसे अच्छी संभावना है और यह अगले दो वर्षों में मध्य किशोर आय में बढ़ोतरी के पेशकश करता है. वॉल स्ट्रीट ब्रोकरेज को उम्मीद है कि भारत की वास्तविक आर्थिक बढ़ोतरी 2023 में 6.5 प्रतिशत और 2024 में 6.3 प्रतिशत रहेगी. ये दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से ज्यादा है. गौरतलब बात ये है कि आरबीआई ने वर्ष 2024 के लिए देश की ग्रोथ रेट का अनुमान 6.5 प्रतिशत लगाया है.
शेयर बाजार का क्या रहा है हाल?
अगर देश के शेयर बाजार पर नजर डालें तो 2021 से 2023 के बीच निफ्टी 50 ने 23 प्रतिशत की छलांग लगाई है. 2021 से 2023 के बीच घरेलू निवेशकों ने जमकर खरीददारी की, जिससे विदेशी निवेशकों द्वारा बिक्री पर नियंत्रण बना रहा. गोल्डमैन ने सिर्फ भारत को नहीं बल्कि थाईलैंड को भी ओवरवेट बताया है. जबकि चीन के शेयरों को बाजार वजन तक कम कर दिया है. बाजार के जानकारों का कहना है कि आर्थिक चिंता के कारण देश अपनी आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव कर सकते हैं. इसका सीधा फायदा भारत को होगा.
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