होम / बिजनेस / Railway की शान कही जाती है दुर्घटना का शिकार हुई Coromandel Express
Railway की शान कही जाती है दुर्घटना का शिकार हुई Coromandel Express
बेपटरी होने वाला यह 'राजा' यानी कोरोमंडल एक्सप्रेस हावड़ा के शालीमार स्टेशन से चेन्नई के बीच रोज चलती है और चार राज्यों से होकर गुजरती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago
रेलवे के इतिहास में शुक्रवार शाम फिर एक हादसा जुड़ गया. कोरोमंडल एक्सप्रेस (Coromandel Express) बेपटरी होकर दुर्घटना का शिकार हो गई. ओडिशा के बालासोर में हुए इस एक्सीडेंट में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोमंडल एक्सप्रेस भारतीय रेलवे की प्रमुख ट्रेनों में से एक है और इसे किंग ऑफ साउथ ईस्टर्न रेलवे कहा जाता है. सरल शब्दों में कहें तो इसे राजा का दर्जा मिला हुआ है. इस ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने से रेलवे को भी बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा है. कई ट्रेनें रद्द की गई हैं, जिसके चलते इस नुकसान में और इजाफा हो गया है.
4 राज्यों से गुजरती है
बेपटरी होने वाला यह 'राजा' यानी कोरोमंडल एक्सप्रेस हावड़ा के शालीमार स्टेशन से चेन्नई के बीच रोज चलती है और चार राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु से होकर गुजरती है. पिछले साल जनवरी में इसका टर्मिनल हावड़ा से शालीमार किया गया था. ये ट्रेन अमूमन फुल रहती है, क्योंकि कोलकाता से चेन्नई जाने वाले यात्री पहली प्राथमिकता इसे ही देते हैं. दरअसल, कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई मेल से पहले अपने गंतव्य पर पहुंच जाती है, इस वजह से कोलकाता से चेन्नई जाने वालों की पहली कोशिश इस ट्रेन में सीट बुक कराने की होती है.
1977 में हुई थी शुरुआत
इस ट्रेन के इतिहास की बात करें, तो इसकी शुरुआत 1977 में हुई थी. उस समय यह हफ्ते में केवल 2 दिन चलती थी और 1,662 किमी की यात्रा 23 घंटे 30 मिनट में पूरा करती थी. उस जमाने में इसका दायरा थोड़ा सीमित था, बाद में इसके स्टॉपेज की संख्या बढ़ाई गई. जिसके चलते ट्रेन का अपने गंतव्य पहुंचने का समय भी करीब तीन घंटे बढ़ गया. अब ये ट्रेन आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से चेन्नई के बीच नॉन-स्टॉप चलती है. इस लिहाज से देखें तो लगभग 450 किमी की दूरी कोरोमंडल एक्सप्रेस बिना रुके तय करती है. इस ट्रेन के आंध्र प्रदेश में 5, ओडिशा में 7 और पश्चिम बंगाल में केवल 2 स्टॉपेज हैं.
ऐसे पड़ा कोरोमंडल नाम
इस ट्रेन के नामकरण की कहानी भी दिलचस्प है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु के महान चोल वंश ने जिस भूमि पर राज किया उसे तमिल में चोलमंडलम कहते हैं और इसी से कोरोमंडल शब्द आया है. बंगाल की खाड़ी से लगे पूर्वी तट को कोरोमंडल कोस्ट कहा जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए इस ट्रेन को कोरोमंडल एक्सप्रेस नाम दिया गया है. ये ट्रेन पूरे कोरोमंडल कोस्ट से होकर गुजरती है. कोरोमंडल एक्सप्रेस 1662 किमी का सफर 25 घंटे 30 मिनट में पूरा करती है और इसकी अधिकतम स्पीड 130 किमी प्रति घंटे है.
टैग्स