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सस्ते की उम्मीद छोड़िए, चुनावी मौसम बीतने के बाद महंगा न हो जाए Petrol-Diesel
इजरायल-हमास युद्ध के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है. कच्चा तेल भी और महंगा हो सकता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
इजरायल और हमास में जारी जंग (Israel-Hamas War) खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे. इजरायल किसी की सुनने को तैयार नहीं है, उसने साफ कर दिया है कि हमास के खात्मे तक हमले बंद नहीं होंगे. इस युद्ध में अब तक बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ है. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर दिखने लगा है. हालांकि, फिलहाल ये असर ज्यादा व्यापक नहीं है, लेकिन आने वाले दिनों में इसके व्यापक होने की पूरी आशंका है. अगर इस युद्ध में ईरान जैसे कुछ और देश उतर गए, तो फिर हालात बेकाबू हो जाएंगे. उधर, वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इजरायल-हमास युद्ध यदि और लंबा खिंचता है, तो इसका असर ग्लोबल इकॉनमी पर पड़ेगा.
World Bank ने चेताया
विश्व बैंक (World Bank) के मुताबिक, यदि इजरायल-हमास युद्ध के कारण मिडिल ईस्ट में 50 साल पहले हुए संघर्ष जैसे हालात निर्मित होते हैं, तो कच्चे तेल की कीमतें 150 डॉलर प्रति बैरल से अधिक की रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच सकती हैं. युद्ध के बड़ा रूप लेने की स्थिति में कच्चे तेल की आपूर्ति बाधित होगी. प्रतिदिन तेल आपूर्ति में 6 से 8 मिलियन बैरल तक की कमी हो सकती है. जिसका सीधा मतलब है कि क्रूड ऑयल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आएगा. इसकी कीमत 150 से 157 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है.
भारत को होगी मुश्किल
वर्ल्ड बैंक ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि युद्ध जारी रहने पर कच्चे तेल की कीमत में तेजी आएगी और इससे दुनिया के तमाम देशों में महंगाई बढ़ेगी. भारत अपनी तेल जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है. ऐसे में उसके लिए मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाएंगी. इसके अलावा, उसके इजरायल, फिलिस्तीन और ईरान जैसे देशों से व्यापारिक संबंध हैं. युद्ध का दायरा बढ़ने से उसका व्यापार बड़े पैमाने पर प्रभावित होगा. बता दें कि भारत पश्चिमी एशिया, उत्तरी अफ्रीका और यूरोप के कई देशों को दवा का निर्यात करता है. युद्ध की वजह से इसमें दिक्कत आ सकती है. विश्व बैंक के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विघटनकारी प्रभाव देखने को मिला था. अब एक बार फिर से वही हालात निर्मित हो रहे हैं.
उम्मीद पर फिरा पानी
कच्चा तेल बढ़ने से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें एक साल से स्थिर हैं, यानी इनमें किसी तरह का बदलाव देखने को नहीं मिला है. चुनावी मौसम में तेल की कीमतों में कुछ कमी की उम्मीद जरूर जगी थी, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय हालातों ने उस उम्मीद पर पानी फेर दिया है. उल्टा, दाम बढ़ने की आशंका उत्पन्न हो गई है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यदि क्रूड ऑयल के भाव बढ़ते हैं, तो फिर घरेलू स्तर पर भी कीमतें अछूती नहीं रहेंगी. चुनावी माहौल में भले ही सरकार जनता पर कोई बोझ न लादे, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ना तय हैं. तेल कंपनियां किसी भी सूरत में महंगे कच्चे तेल का बोझ खुद नहीं उठाने वालीं.
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