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कल उछला शेयर बाजार, आज देश के लिए आ गई एक और अच्छी खबर!
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हुआ है. इसी के साथ हमारा गोल्ड रिजर्व भी पहले के मुकाबले बढ़ा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 3 months ago
विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्चे पर एक अच्छी खबर सामने आई है. 26 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हुआ है. जबकि 19 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.795 अरब डॉलर की भारी गिरावट आई थी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं कि हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में 591 मिलियन डॉलर की बढ़ोत्तरी हुई है और इसके साथ ही यह 616.733 बिलियन डॉलर पहुंच गया है.
FCAs में हुआ इजाफा
19 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.795 बिलियन घटा था. उस हिसाब से देखें, तो उछाल भले ही ज्यादा बड़ा न हो, लेकिन बढ़ोत्तरी तो हुई ही है. अक्टूबर 2021 में हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. वहीं, भारत की विदेशी मुद्रा आस्तियां (Foreign Currency Asset- FCAs) भी बढ़ी हैं. 26 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान FCAs में 289 मिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है. अब एफसीए भंडार 546.144 बिलियन डॉलर पहुंच गया है. बता दें कि कुल विदेशी मुद्रा भंडार में फॉरेन करेंसी असेट (FCA) एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है.
Gold Reserve भी बढ़ा
26 तारीख को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में भी बढ़ोतरी हुई है. इस सप्ताह गोल्ड रिजर्व Gold 269 मिलियन डॉलर की मजबूती के साथ 47.481 बिलियन डॉलर रहा है. इसी तरह, स्पेशल ड्रॉइंग राइट या विशेष आहरण अधिकार (SDR) में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान SDR 27 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.248 बिलियन डॉलर पहुंच गया है.
क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार का पर्याप्त संख्या में होना हर देश के लिए महत्वपूर्ण है. इसे देश की हेल्थ का मीटर कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इसमें विदेशी करेंसीज, गोल्ड रिजर्व, ट्रेजरी बिल्स आदि आते हैं और इन्हें केंद्रीय बैंक या अन्य मौद्रिक संस्थाएं संभालती हैं. इन संस्थाओं का काम पेमेंट बैलेंस की निगरानी करना, मुद्रा की विदेशी विनिमय दर पर नजर रखना और वित्तीय बाजार स्थिरता बनाए रखना है.
आखिर क्या है इसका उद्देश्य?
विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे पहला उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि रुपया तेजी से नीचे गिरता है या पूरी तरह से दिवालिया हो जाता है तो RBI के पास बैकअप फंड मौजूद हो. इसके साथ ही गिरते रुपए को संभालने के लिए आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर को बेच सकता है. जैसा कि पिछले साल जुलाई में RBI ने 39 अरब डॉलर की बिक्री की थी. हालांकि, इससे विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आई थी. यदि किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छी स्थिति में है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि भी निखरती है, क्योंकि उस स्थिति में व्यापारिक देश अपने भुगतान के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं.
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